दुर्भाग्यपूर्ण है कि भोपाल गैस हादसे के चार दशक बाद भी प्रोसेस सेफ्टी रेग्युलेशन में नहीं हुआ सुधार

बीते दो वर्षों में कई फैक्ट्रियों में रसायन और खतरनाक पदार्थों की प्रोसेसिंग करने वाली यूनिट में विस्फोट हुए. इस दौरान कई कामगारों की मृत्यु हुई है. वैज्ञानिक रिपोर्ट का अभाव बना रहा है.

WrittenBy:विवेक मिश्रा
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समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि आंध्र प्रदेश में वीएनएआई में 9 महीने के भीतर ऐसी दो घटनाएं हुई हैं और इन दोनों में सेफ्टी रेग्युलेशन और उसे लागू करने का अभाव रहा है. लोगों की बेशकीमती जिंदगी को कंपनी किसी भाव का नहीं समझती है. न ही काम के स्थानों पर ऐसी दुर्घटनाओं में मरने वाले व्यक्तियों के लिए कोई स्तरीय मुआवजे का मानक है. दुर्घटनाओं की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक न किया जाना सुरक्षा नीति के बिल्कुल विपरीत है. इस विकसित दुनिया में ऐसी सभी रिपोर्ट सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध होनी चाहिए.

आंध्र प्रदेश स्थित वीएनएआई यूनिट के विरुद्ध एनजीटी में भास्कर राव वेमुरी की ओर से दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस यूनिट के संचालन के लिए कृषि जल का इस्तेमाल किया जाता है जिसके बदले में राज्य सरकार की तरफ से किसानों को मुफ्त बिजली दी जाती है. यह न सिर्फ पर्यावरणीय मानकों के खिलाफ है बल्कि भू-जल स्तर में तेजी से गिरावट का कारण भी है.

इस मामले में एनजीटी ने 2 जून, 2021 को सुनवाई करते हुए कहा था कि 11 मई, 2021 को हुए हादसों को लेकर समिति जांच कर अपनी रिपोर्ट तीन महीने में पेश करें. इस मामले पर अगली सुनवाई अक्तूबर में होनी है.

देशव्यापी लॉकडाउन के बाद इस वर्ष मार्च तक 12 से अधिक औद्योगिक दुर्घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं.

(साभार- डाउन टू अर्थ)

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