एक जुलाई को जिला सूचना अधिकारियों से यह जानकारी, सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के उपनिदेशक (विज्ञापन) उर्वशी रंगारा ने पत्र लिखकर मांगी है. विवाद बढ़ने के बाद इसे वापस ले लिया गया और सात जुलाई को दूसरा पत्र जारी किया गया.
हरियाणा में पत्रकारों पर बढ़े हमले
भारत में मीडिया की आज़ादी को लेकर सवाल खड़े होते रहते हैं. इसी महीने प्रेस की स्वतंत्रता के लिए काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने मीडिया की आज़ादी पर हमला कर रहे 37 राष्ट्र प्रमुखों की सूची जारी की है. इसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी एक हैं. इस सूची में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी मौजूद हैं.
वहीं रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा जारी प्रेस की आज़ादी के मामले में भारत की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है. साल 2020 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत 180 देशों में 142वें नंबर पर है. वहीं 2017 में भारत 136वें, साल 2018 में 138वें और साल 2019 में 140वें स्थान पर था.
भारत में मीडिया की आज़ादी पर बढ़ते खतरे का असर हरियाणा में भी देखने को मिलता है. किसान आंदोलन के दौरान यहां आए दिन पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज होने और पुलिस द्वारा उन्हें परेशान करने की खबर आ रही है.
अप्रैल महीने में 'द इंक' वेबसाइट के पत्रकार रुद्र राजेश कुंडू के खिलाफ हिसार पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी. यह एफआईआर हिसार पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी विकास लोहचब ने धारा 66F, 153-A और 153-B के तहत दर्ज कराया था. कुंडू पर सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक पर "भड़काऊ" संदेश पोस्ट करने का आरोप लगा था.
करीब तीन महीने गुजर जाने के बाद भी इस मामले में कुछ भी नहीं हुआ. न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कुंडू कहते हैं, ‘‘हरियाणा क्या देश के किसी भी हिस्से में पत्रकारिता करना आसान नहीं रह गया है.सरकारें चाहती हैं कि पत्रकार उनके पीआर बनकर काम करें.’’
कैथल जिले के रहने वाले पंजाब केसरी के पत्रकार ज्ञान गोयल और दैनिक भास्कर के अजीत सैनी पर स्थानीय ब्लॉक डेवलपमेंट अधिकारी (बीडीओ) ने एक मई को सरकारी काम में बांधा पहुंचाने को लेकर मामला दर्ज कराया था. हालांकि दो दिन बाद 3 मई को इनका नाम एफआईआर से हटा दिया गया.
न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए गोयल कहते हैं, ‘‘मनरेगा मज़दूरों ने ब्लॉक ऑफिस पर प्रदर्शन किया था. मज़दूरों ने हमें प्रेस रिलीज भेज दी थी और हमारे कैमरामैन फोटो क्लिक करने गए थे. हम वहां गए भी नहीं थे लेकिन बीडीओ ने सरकारी काम में बांधा पहुंचाने का आरोप लगाकर हम दोनों का नाम एफआईआर में दर्ज करा दिया. हम ब्लॉक ऑफिस गए ही नहीं थे तो सरकारी काम में बांधा कैसे पहुंचा सकते थे. ऐसे में हमने जब हाईकोर्ट जाने की बात की तो हमारा नाम हटा दिया गया.’’
30 जून को कैथल जिले के ही पत्रकार मनोज मलिक पर भी एफआईआर दर्ज की गई. आईपीसी की धारा 147, 149, 332 और 353 के तहत एफआईआर डीसी ऑफिस में तैनात गार्ड इंचार्ज ईश्वर सिंह ने दर्ज कराई. इस एफआईआर में पांच लोगों को नामज़द किया गया जिसमें से एक 32 वर्षीय पत्रकार मनोज मलिक का भी नाम है. मलिक कैथल में न्यूज़ इंडिया, ईटीवी भारत और इंडिया टीवी के लिए काम करते हैं. इनपर ईश्वर सिंह ने सरकारी काम में बांधा पहुंचाने और मारपीट करने का आरोप लगाया है.
न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए मलिक कहते हैं, ‘‘लोग डीसी ऑफिस के बाहर बिजली-पानी नहीं आने के कारण प्रदर्शन कर रहे थे तो बतौर पत्रकार मैं उसे कवर करने गया था. वहां जो एसएचओ थे वे प्रदर्शन करने वालों में एक का गर्दन पकड़े हुए थे. जिसका मैं वीडियो बना रहा था. एसएचओ ने सोचा कि वीडियो बनाकर सुबह चैनल पर चलाएगा. ऐसे में दबाव डालने के लिए मेरे पर मामला दर्ज करा दिया. करीब दस दिन हो गए, लेकिन मेरे मामले में कुछ भी नहीं हुआ है.’’
मलिक हरियाणा में पत्रकारिता करने में आ रही परेशानियों का जिक्र करते हुए कहते हैं, ‘‘सरकार पत्रकारों पर दबाव बना रही है. अधिकारियों को इन्होंने काफी छूट दे रखी है. पहले इतनी छूट नहीं थी. अगर हम आंकड़ें निकालकर सरकार के खिलाफ खबर करते हैं तो ऐसे ही फंसा देते हैं.’’
मालूम हो कि हरियाणा में सूचना मंत्रालय मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के पास ही है.