मस्जिद विवाद: यूपी पुलिस ने द वायर और उसके दो पत्रकारों के खिलाफ दर्ज की एफआईआर

बाराबंकी प्रशासन के मुताबिक, इस वीडियो में अवैध निर्माण के खिलाफ की गई कार्रवाई के तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है.

Article image

उत्तर प्रदेश की बाराबंकी पुलिस ने मस्जिद ढहाए जाने में “गलत जानकारी” फैलाने के आरोप में द वायर और उसके दो पत्रकारों समेत दो अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.

द वायर ने बाराबंकी के रामसनेही घाट में मस्जिद गिराए जाने पर एक वीडियो स्टोरी की है. प्रशासन के मुताबिक, इस वीडियो में अवैध निर्माण के खिलाफ की गई कार्रवाई के तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है. साथ ही वीडियो में गलत और तर्कहीन बयान दिया गया है.

जिले के डीएम ने जारी एक बयान में कहा, द वायर के समाचार में कहा गया है कि पुलिस और प्रशासन ने एक धर्म विशेष के धार्मिक ग्रंथों को नदी और नालों में फेंक दिया है. जबकि ऐसा कुछ नहीं हुआ है. धार्मिक भावनाओं को भड़काने, सांप्रदायिक रंग देने के आरोप में धारा 153, 153-A, 505(1)(B), 120-B और 34 के तहत केस दर्ज किया गया है.

एफआईआर कॉपी
imageby :

पुलिस की इस कार्रवाई पर द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन ने जारी एक बयान मे कहा, “14 महीनों में यूपी पुलिस द्वारा द वायर और उसके पत्रकारों के खिलाफ यह चौथा केस है. हर केस आधारहीन है. आदित्यनाथ सरकार मीडिया की स्वतंत्रता में विश्वास नहीं करती है और राज्य में क्या हो रहा है, इसकी रिपोर्ट करने वाले पत्रकारों के काम को अपराधीकरण कर रही है.”

क्या है मस्जिद का मामला

बाराबंकी ज़िले के रामसनेही घाट में तहसील परिसर में मौजूद ग़रीब नवाज़ मस्जिद, जिसे तहसील वाली मस्जिद भी कहा जाता है, को ज़िला प्रशासन ने 'अवैध निर्माण' बताते हुए 17 मई को बुलडोज़र से गिरा दिया था.

बाराबंकी डीएम ने एक बयान में कहा था कि, “इस मामले में संबंधित लोगों को नोटिस जारी किया गया था. जब नोटिस तामील हुआ तब नोटिस तामील होते ही परिसर में रह रहे लोग परिसर छोड़कर फ़रार हो गए थे. तहसील परिसर की सुरक्षा की दृष्टि से तहसील प्रशासन की टीम द्वारा 18 मार्च को क़ब्ज़ा प्राप्त कर लिया गया था.”

एबीपी न्यूज के मुताबिक 17 मई की शाम को उप जिलाधिकारी दिव्यांशु पटेल की अदालत के आदेश पर रामसनेही घाट तहसील परिसर से सटे उनके आवास के ठीक सामने स्थित एक पुरानी मस्जिद को कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच जमींदोज कर दिया गया था. यह मस्जिद उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के रिकॉर्ड में दर्ज थी. वहीं, प्रशासन का दावा है कि वह एक अवैध आवासीय परिसर था.

बता दें कि इस मामले में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सुनवाई भी कर रहा है.

Also see
article imageखनन माफियाओं के खिलाफ खबर करने पर पत्रकार को जान से मारने की धमकी!
article imageअयोध्या में लूट और स्विस बैंक में जमाखोरी के बीच मीडिया की चिरंतन राग दरबारी

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like