आईएआईएम रोहतक के निदेशक धीरज शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने निदेशक पद के लिए अपना अनुभव और शैक्षिक योग्यता छुपाने का प्रयास किया.
क्या धीरज शर्मा ने अपना अनुभव बढ़ाकर बताया?
धीरज शर्मा के बायोडाटा में लिखा है कि जनवरी साल 2004 से वो लुसियाना टेक यूनिवर्सिटी (यूएस) में टीचिंग फेलो के रूप में कार्य कर रहे थे लेकिन जब यूएस में इस कॉलेज से पूछा गया तो जवाब मिला, "यह छात्र 6/2/04 (2 जून) - 2/25/06 (25 फरवरी) से डॉक्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन प्रोग्राम में था. छात्र ने 25 फरवरी, 2006 को डॉक्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की उपाधि प्राप्त की. जहां तक मुझे पता है, हमारे पास उनके 2004 के जून से पहले एक छात्र होने या जुलाई 2004 से पहले एक शिक्षण सहायक के रूप में कार्यरत होने का रिकॉर्ड नहीं है."
यहीं नहीं बायोडाटा में लिखा है कि धीरज शर्मा ने जनवरी 2006 से जनवरी 2007 तक यूएस की बॉल स्टेट यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्य किया. लेकिन यूनिवर्सिटी से मिले जवाब के अनुसार, 9 जनवरी से 17 अगस्त 2006 तक धीरज यूनिवर्सिटी में इंस्ट्रक्टर ऑफ़ मार्केटिंग थे जबकि 18 अगस्त 2006 से 31 दिसंबर 2007 तक उन्होंने सहायक शिक्षक के रूप में पढ़ाया.
न्यूज़लॉन्ड्री को मिले दस्तावेज़ों के मुताबिक नियुक्ति के समय लिखा गया कि धीरज शर्मा आईआईएम अहमदाबाद में साल 2009 से प्रोफेसर के तौर पर पढ़ा रहे हैं जबकि उनके सीवी के अनुसार साल 2009 में धीरज कनाडा के किसी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर थे. इस दस्तावेज़ में 'क्या अधिकारी पात्रता की महत्वपूर्ण तिथि के अनुसार सीधे पात्रता आवश्यकताओं को पूरा करता है' इस कॉलम के आगे हां / ना जैसा कुछ नहीं लिखा था और स्थान खाली छोड़ा था. उस समय जॉइंट सेक्रेटरी रहे प्रवीण कुमार ने 16 नवंबर, 2016 को इस दस्तावेज़ पर मुहर लगाई थी.
7 दिसंबर, 2016 के एक गुप्त दस्तावेज़ के अनुसार उस समय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) ने इस पर जवाब मांगा. इसके जवाब में प्रवीण कुमार ने लिखा, "अनजाने में यह जानकारी लिखनी छूट गई. इसे 'हां ' पढ़ा जाए.'
धीरज शर्मा इससे पहले भी कानूनी कार्रवाई में फंस चुके हैं. आईआईएम रोहतक में उनके साथ काम कर चुकी एक पूर्व महिला सहायक प्रोफेसर ने मई 2018 में उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी. धीरज के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 और 354-ए के तहत मामला दर्ज था हालांकि पुलिस को मामले में कोई सबूत नहीं मिला.
क्या कहते हैं वकील और सिलेक्शन समिति के सदस्य?
न्यूज़लॉन्ड्री ने धीरज शर्मा के मामले में अलग-अलग पक्षों से बात की. डिप्टी सेक्रेट्री एम श्रीधर ने धीरज शर्मा पर कोई भी टिप्पणी करने से साफ़ मना कर दिया. प्रोफेसर धीरज शर्मा ने भी हमारे सवालों का कोई जवाब नहीं दिया.
आईआईएम रोहतक में निदेशक पद की नियुक्ति के समय गठित एससीएससी समिति में शामिल रविकांत ने बताया, "दस्तावेज़ों को सत्यापित करना मेरी ज़िम्मेदारी नहीं थी. ये काम एमएचआरडी का था." जबकि एक आरटीआई में एमएचआरडी ये खुलासा करता है कि एससीएससी समिति ने दस्तावेज़ों की जांच की थी.
धीरज शर्मा के वकील चेतन मित्तल ने बताया, "कोर्ट ने बीकॉम की डिग्री जमा कराने जैसा कोई आदेश नहीं दिया है. इस पद के लिए आवेदन करने वाले किसी भी उम्मीदवार ने किसी भी रूप में कोई चिंता नहीं जताई. यह रिट आईआईएम रोहतक के बर्खास्त कर्मचारियों के इशारे पर दायर एक प्रॉक्सी रिट है. याचिकाकर्ता निदेशक धीरज शर्मा की छवि को ख़राब करना चाहते हैं."
एमएचआरडी, एससीएससी समिति, एसीसी और आईआईएम रोहतक के वकील कुशाग्र महाजन ने कहा, "केस अभी कोर्ट में पेंडिंग है. याचिकाकर्ता डिग्री की मांग कर रहे हैं. कोर्ट ने डिग्री नहीं मांगी. धीरज शर्मा की डिग्री कहां है ये एमएचआरडी बताएगी."
बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय के अनुसार धीरज शर्मा की बीकॉम की डिग्री तब तक नहीं मिल सकती जब तक कि खुद धीरज शर्मा न चाहें.