हिंदुस्तान टाइम्स का जयपुर एडिशन बंद, कई पत्रकारों की गई नौकरी

पिछले साल भी बड़े पैमाने पर हिंदुस्तान अखबार, हिंदुस्तान टाइम्स और मिंट से कर्मचारी निकाले गए थे.

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कोरोना महामारी में अब भी पत्रकारों की छंटनी जारी है. ताजा मामला हिंदुस्तान टाइम्स के जयपुर ए़डिशन का है. जहां अखबार बंद होने के कारण कई पत्रकारों समेत अन्य कर्मचारियों की नौकरी चली गईं.

हिंदुस्तान टाइम्स ने यह एडिशन इसी सप्ताह बंद किया है. कंपनी के इस फैसले के बारे में कर्मचारियों को बंद होने के कुछ दिन पहले ही बताया गया था. एडिशन बंद होने के बाद अब यह ब्यूरो की तरह काम करेगा.

संस्थान के एक पूर्व कर्मचारी जिनकी नौकरी एडिशन बंद होने के कारण चली गई वह न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहते हैं, “मैं इस संस्था में पिछले करीब 20 साल से काम कर रहा हूं. लेकिन अचानक से एडिशन बंद कर दिया गया, वो भी बिना कोई कारण बताए. बस दो महीने की सैलरी देने को कहा गया है.”

सीनियर रिपोर्टर के पद पर काम करने वाले एक अन्य पत्रकार कहते हैं, “21 जून की शाम को हमें इस्तीफा देने के लिए कहा गया. जब मैनें इस्तीफा देने के लिए समय मांगा तो प्रबंधन ने कहा कि अगर आप अभी इस्तीफा नहीं देगे तो आप को बर्खास्त कर दिया जाएगा. 20 साल एक कंपनी में काम करने के बाद इस तरह से हमें निकाला गया.”

नौकरी जाने और परिवार की जिम्मेदारी होने के सवाल पर वह कहते हैं, “अभी नौकरी ढूंढ रहे हैं. 20 साल काम करने के बाद कंपनी ने दो लाख से भी कम रूपए ग्रेच्यूटी के रूप में दी है. आप सोचिए, आप ने अपने 20 साल किसी कंपनी को दे दिए और वह अंत में आप को दो लाख रूपए भी पूरे नहीं दे रहे हैं.”

वह आगे कहते हैं, “पूर्णकालिक कर्मचारी हूं लेकिन कॉन्ट्रैक्ट पर. कंपनी तीन-तीन साल का कॉन्ट्रैक्ट करवाती थी. इसलिए अभी पता नहीं है कि मजीठिया वेज बोर्ड के नियमों के अतंर्गत आता हूं या नहीं.”

राजस्थान के एक अन्य पत्रकार कहते हैं, “अखबार ने अपने सभी कर्मचारियों को निकाल दिया है. जिनकी संख्या करीब 20 है. इसमें सभी कर्मचारी शामिल हैं. जो अन्य जिलों में भी थे. अभी मात्र एडिटोरियल में एक ही कर्मचारी है जो काम देख रहे हैं. बाकी कोई नहीं.”

पत्रकार ने बताया कि, "अखबार फायदा में चल रहा था. कंपनी के खुद के कर्मचारी कम है फ्रीलांसर हैं जो कंपनी से जुड़े हुए थे.

बता दें कि पिछले साल भी बड़े पैमाने पर हिंदुस्तान अखबार, हिंदुस्तान टाइम्स और मिंट से कर्मचारी निकाले गए थे. वहीं प्रसिद्ध और लोकप्रिय नंदन और कादम्बिनी पत्रिका का प्रकाशन भी बंद कर दिया था. साहित्यिक पत्रिका कादम्बिनी 1960 से प्रकाशित हो रही थी वहीं बाल पत्रिका नंदन 1964 से.

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