लोगों की बीमार होने के बाद मौत हो गई लेकिन उन्हें कोविड से मरने वालों में शामिल नहीं किया गया.
कोविड-19 महामारी ने गांवों में भी जमकर कहर बरपाया है. राजस्थान में हालात अभी तक सामान्य नहीं हुए हैं. मई का महीना गांव के लिए भयावह रहा. जोधपुर से 145 किलोमीटर दूर कालरां गांव में 350 लोग बीमार पड़े, इनमें 13 की मौत हो गई. इनमें अधिकतर कोरोना पॉजिटिव थे तो बाकी को भी बुखार, सर्दी-खांसी के साथ सांस लेने में दिक्कत थी. लेकिन सरकारी आंकड़ों में केवल तीन मौतों को जगह मिली. कालरां से थोड़ी दूरी पर होपाडी में भी हालात ऐसे ही रहे. लोग बीमार पड़े लेकिन कोविड से मरने वालों में केवल दो नाम शामिल किये गए.
अगर सभी की टेस्टिंग होती, तो मौत की असल वजह और आंकड़े सामने आते. गांव में टेस्टिंग की सुविधा नहीं है व 18 से ऊपर आयु के लिए वैक्सीन भी नहीं पहुंची है. डॉक्टरों का कहना है कि यहां वैक्सीन की बर्बादी से बचने के लिए टीकारण देरी से शुरू हुआ है. वहीं अशोक गहलोत सरकार ने चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के विज्ञापन में काफी पैसा झोंका लेकिन गांव में किसी को भी इसका लाभ नहीं मिला है.