मुस्लिम बुजुर्ग के मॉब लिंच मामले में नया मोड़, ट्विटर और कई पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर

गाज़ियाबाद पुलिस के मुताबिक यह हेट क्राइम का मामला नहीं है. ट्विटर, द वायर समेत कई पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज.

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13 जून 2021 की शाम को वायरल हुए एक वीडियों ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा. इस वीडियों में सूफी अब्दुल समद सैफी नाम के एक मुस्लिम बुजुर्ग को कुछ लोग मार रहे है और मारपीट के दौरान ही उन लोगों ने बुजुर्ग की दाढ़ी काट दी. असहाय बुजुर्ग हाथ जोड़कर उन लोगों से माफी मांग रहे है लेकिन वीडियो में दिख रहे लोग लगातार बुजुर्ग को मार रहे है.

गाजियाबाद पुलिस ने इस वायरल वीडियो की सत्यता परखे बिना, तनावपूर्ण माहौल पैदा करने और सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश के आरोप में 15 जून की रात को करीब 11 बजे धारा 153, 153(A), 295(A), 505, 120(B) और 34 के तहत पत्रकार और ऑल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर, राना अयूब, सबा नक़वी, द वायर, कांग्रेस नेता सलमान निजामी, बिहार कांग्रेस नेता मसकूर उस्मानी, कांग्रेस की प्रवक्ता शमा मोहम्मद समेत सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर और ट्विटर इंडिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया.

इस मामले में हमने राना अयूब, सबा नक़वी, द वायर और मोहम्मद जुबैर से उनकी प्रतिक्रिया लेने चाही लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया. सबा ने एक ट्वीट के माध्यम से बताया कि “वह इस मामले में जांच पूरी हो जाने तक कोई कमेंट नहीं करेंगी.”

पत्रकार मोहम्मद जुबैर ने रात करीब साढ़े नौ बजे अपना ट्वीट डिलीट करते हुए लिखा कि, “मैंने जो वीडियो पोस्ट किया था वह डिलीट कर दिया है. पुलिस अधिकारियों और इस मामले को कवर कर रहे पत्रकारों से बातचीत के आधार पर पीड़ित को जबरिया “जय श्री राम” का नारा लगवाने वाली बात स्बित नहीं हो पायी है.”

जुबैर के इस ट्वीट के बाद गाज़ियाबाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है. “जय श्री राम” और “वंदे मातरम” जैसे शब्द कई मीडिया संस्थानों की रिपोर्ट में सामने आए थे. एनडीटीवी, फर्स्टपोस्ट, इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स नाउ ने भी अब्दुल समद के बयान को प्रकाशित किया है.

क्या हुआ था 5 जून को

7 जून को 72 वर्षीय अब्दुल समद का वीडियो वायरल होने के बाद यह मामला सामने आया था. लेकिन यह मारपीट 5 जून को हुई थी. 27 वर्षीय परवेश गुर्जर लोनी के बंथला गांव का रहना वाला है. परवेश के घर के पास गाय और भैस के रखने के लिए बने एक अन्य घर में 72 वर्षीय समद के साथ मारपीट की गई. इसी दौरान उनकी दाढ़ी भी काटी गई. मारपीट के दौरान परवेश के साथ उसका भतीजा कल्लू गुर्जर, दोस्त पोली, आदिल पहलवान, आरिफ और मुशाहिद भी मौजूद थे.

गाजियाबाद के एडिशनल एसपी (ग्रामीण) ईराज राजा ने 15 जून को दिए एक बयान में बताया, “अब्दुल समद सैफी 5 जून को बुंलदशहर के अनुपशहर इलाके से लोनी आए थे. किसी व्यक्ति के साथ सैफी बाइक पर बैठकर परवेश के घर गए. जहां पहले से ही आरोपी लड़के थे. वह इनको पहले से ही जानते थे, क्योंकि सैफी ने उन्हें ताबीज बना कर दिया था.”

इस मामले की जांच कर रहे लोनी थाने के एसएचओ अखिलेश मिश्रा न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, “गांव के लोग पहले भी कई बार समद सैफी से ताबीज बनवा चुके हैं. परवेश ने भी ताबीज बनवाई थी जो कि इंतजार नामक एक व्यक्ति के माध्यम से बनवाई गई थी. वह परवेश का दोस्त है. ताबीज पहनने के बाद परवेश के पत्नी का गर्भपात हो गया और पिता का एक्सीटेंड हो गया और उसके दिमाग पर भी गलत असर किया.”

वह आगे कहते हैं, “जब परवेश ने ताबीज किसी अन्य मौलवी को दिखाई तो पता चला की ताबीज उलटी है. जिसके बाद परवेश ने बदला लेने के लिए मौलवी को बुलाया और साथ में अपने जिम वाले दोस्तों को भी. इस दौरान इन लोगों ने मौलवी के साथ मारपीट, गाली-गलौज की और दाढ़ी काट दी.”

हालांकि पुलिस के इस दावे के बीच पीड़ित अब्दुल समद सैफी ने सपा नेता उम्मेद पहलवान इदरीसी के साथ 7 जून को एक फेसबुक लाइव कर घटना की एक अलग स्थिति का बयान किया. उस लाइव में उम्मेद पहलवान कहते हैं, “सैफी 5 जून को शहीद नगर आए थे. इसके बाद वह दो बजे से पहले लोनी गोलचक्कर से एक ऑटो में हाजीपुर बेता जाने के लिए बैठे. सैफी अपने किसी दोस्त की पत्नी की मृत्यु जो की रमजान महीने में हुई थी, उसके घर जा रहे थे. पहले लॉकडाउन के चलते वो नहीं जा पाए थे.”

आगे लाइव में खुद अब्दुल समद कहते हैं, “ऑटो में बैठने के बाद, कुछ दूर जाने के बाद दो अन्य युवक भी उनके साथ ऑटो में बैठ गए और उन लोगों ने गमछे से उनका चेहरा बांध दिया और मारपीट करने लगे.”

सपा नेता उम्मेद पहलवान हमसे बातचीत में पुलिस पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहते हैं, “6 जून की रात को वह अब्दुल समद को लेकर थाने गए थे एफआईआर दर्ज करवाने लेकिन पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया. इस दौरान अब्दुल समद ने पुलिस को अपना लिखित बयान दिया. जब पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया तब हमने अगले दिन (7 जून) फेसबुक लाइव किया.”

शाम 4 बजे के इस लाइव के बाद लोनी बार्डर थाना पुलिस ने शाम करीब 7 बजकर 45 मिनट पर अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 342, 323, 504 और 506 के तहत केस दर्ज किया. आगे जांच के दौरान पुलिस ने आरोपियों की पहचान कर उनकी गिरफ्तारी की. परवेश की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने 14 जून को आदिल और कल्लू को गिरफ्तार कर लिया. इस मामले में अभी भी दो आरोपी फरार हैं जिनको पकड़ने के लिए पुलिस की जांच जारी है.

पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में कहीं भी “जय श्री राम” और “वंदे मातरम” नहीं लिखा गया है. ना ही यह लिखा गया हैं कि उनकी दाढ़ी काटी गई. सिर्फ मारपीट की बात कही गई है. जबकि वायरल वीडियो में साफ दिख रहा हैं कि बुजुर्ग की दाढ़ी काटी गई. यही बात बुजुर्ग ने फेसबुक लाइव के दौरान भी कही.

गाजियाबाद के एडिशनल एसपी (ग्रामीण) ईराज राजा ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “बुजुर्ग अब्दुल समद द्वारा जो भी बयान दिया गया था वह हमने एफआईआर में लिखा है. वह शुरुआत से लेकर अभी तक झूठ बोल रहे है. उन्होंने बयान दिया कि कुछ लोगों ने उन्हें ऑटो में किडनैप कर लिया और फिर उन्हें एक सुनसान जगह पर ले जाकर मारपीट करने लगे. जबकि सच्चाई ये हैं कि बुजुर्ग उन लड़कों को जानते थे. उनके कॉल रिकार्ड में मिला हैं कि वह उन लड़कों से पहले से बातचीत करते थे.”

ईराज राजा आगे कहते हैं, “ अब्दुल समद ने जो हमें बताया था वह झूठ था. उन्हें किडनैप नहीं किया गया, वह खुद परवेश के घर गए. वह आरोपी के घर पहले भी तीन बार जा चुके हैं. वह उन लड़कों को जानते थे लेकिन फिर भी उन्होंने उनके नाम नहीं बताए. वह लगातार झूठ बोल रहे हैं.”

क्या लगातार बयान बदलने के कारण पुलिस समद सैफी के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगी, इस पर एडिशनल एसपी कहते हैं, “वह पीड़ित हैं, हमारी हमदर्दी उनके साथ है. लेकिन यह नहीं पता की वह किसके बहकावे में आकर बयान दे रहे हैं.”

मुख्य आरोपी परवेश गुर्जर

इस घटना का मुख्य किरदार परवेश गुर्जर है. बंथला गांव में रहना वाला परवेश अपने परिवार के साथ रहता था. उसके घर में माता-पिता के अलावा उसका एक भाई, उसकी पत्नी और बच्चे हैं. इलाके में आपराधिक कृत्यों की वजह से वह काफी बदनाम है. उसके खिलाफ कोई भी कुछ बोलना नहीं चाहता है.

जब हम परवेश के घर पहुंचे तब वहां पहले से ही दो टीवी चैनल के पत्रकार मौजूद थे. अपने चिरपरिचित अंदाज में उन पत्रकारों ने पीटूसी की और बंद पड़े घर का दरवाजा पीटकर वह अपने कैमरामैन को वहां फोकस करने को बोल रहे थे. इस दौरान आसपास के लोग मूकदर्शक बने देख रहे थे. स्थानीय लोग कुछ भी बोलने से डर रहे थे. उन्हें पता नहीं था कि आखिर क्यों यहां दो दिनों से पुलिस और मीडिया आ रही है.

स्थानीय महिलाओं से बातचीत में किसी ने बताया, “हमें इनके (परवेश) के बारे में ज्यादा तो नहीं पता हैं लेकिन वह इलाके में गुंडागर्दी के लिए मशहूर है.”

गोपनीयता का काफी भरोसा देने के बाद एक पड़ोसी बातचीत करने को राजी हुआ. उन्होंने कहा, “परवेश का इस इलाके में काफी आंतक है. उसके खिलाफ कोई कुछ भी नहीं बोलने के तैयार नहीं होगा.” हमसे बातचीत करने के दौरान ही उनकी पत्नी ने उन्हें टोकते हुए काह, “आसपास वाले देख लेंगे तो वह (परवेश) हमारा जीना मुश्किल कर देगा.”

पड़ोसी आगे कहते हैं, “कुछ दिनों पहले ही एक छोटी सी बात को लेकर उसने मुझे बहुत पीटा था. मुझ पर कट्टा (देशी पिस्तौल) तानकर मुझसे थूक चटवाई और मुर्गा बना दिया. इसके बाद मेरे फोन से अपने अकांउट में 30 हजार रुपए ट्रांसफर करवा लिए.”

पड़ोसी के अकाउंट से अपने अकाउंट में ट्रांसफर किए गए पैसे

पुलिस के पास शिकायत नहीं करवाने की वजह पूछने पर वो कहते हैं, “इसके डर की वजह से हम लोग नहीं गए. इससे पहले भी यह कई लोगों को धमका कर उनसे रुपए छीन चुका है और जान से मारने की धमकी दे चुका है. इस कारण से कोई उसके खिलाफ बोलता नहीं है.”

राजनीति का तड़का

इस मामले को बड़ा बनाने में उम्मेद पहलवान की भूमिका सामने आ रही है. उन्होंने ही अब्दुल समद के साथ लाइव कर मारपीट की बात बताई जिसके बाद पुलिस ने केस दर्ज किया. राजनीति से दूर आरोपियों को कड़ी सजा दिलाने की बात करते हुए उम्मेद कहते हैं, “इस तरह की (परवेश गुर्जर) मानसिकता वाले लोगों को सजा जरूर मिलना चाहिए. वह इलाके में गुंडागर्दी के लिए काफी मशहूर हैं. अगर ताबीज से किसी की तबीयत खराब हो गई तो वह पुलिस के पास जाता या शिकायत दर्ज कराता लेकिन मारपीट का अधिकार तो किसी को नहीं है. मारपीट तक भी ठीक था लेकिन उसने उनकी दाढ़ी काट दी… आप बताएं दाढ़ी काटने का इससे क्या लेना देना है.”

जब हमने उम्मेद से अब्दुल समद से मिलाने को कहा तो उन्होंने कहा कि, उनकी तबीयत खराब है इसलिए उन्हें वापस घर भेज दिया है. जब हमने उनसे फोन पर बातचीत कराने को कहा तो उन्होंने कहा कि वह 16 जून को रात 9 बजे एक लाइव करेगे जिसमें वह सैफी को भी शामिल करेगें.

सैफी के अचानक गायब होने पर सपा नेता कहते है, “इस मामले में मैं तो नहीं लेकिन कुछ लोग राजनीति करने लगे है. मैं हिंदू मुस्लिम की राजनीति नहीं करता हूं लेकिन कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी, आम आदमी नेता आमनुतुल्ला उनसे मिलना चाहते हैं ताकि राजनीति की जा सके. उनकी तबीयत खराब है अभी इसलिए हमने उन्हें वापस भेज दिया.”

लोनी इलाके के नवोदय के पत्रकार इंदर सिंह भाटी और प्रमोद मिश्रा जो कि लोनी पत्रकार वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष है वह कहते हैं, “इस मामले में सबसे ज्यादा राजनीति उम्मेद पहलवान कर रहे हैं. उन्हें पता है कि कुछ समय बाद उत्तर प्रदेश में चुनाव होना है इसलिए वह इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं.”

परवेश गुर्जर के बारे कहा जा रहा है कि वह लोनी के बीजेपी विधायक नंदकिशोर गुर्जर के लिए काम करता है इसलिए इस मामले में राजनीति ज्यादा हो गई है. बीजेपी विधायक के संबंध को लेकर बंथला गांव के एक अन्य युवक ने भी हमें बताया कि “वह (परवेश) विधायक का खास है. ज्यादा तो नहीं पता लेकिन वह विधायक के लिए चुनाव में काम करता है.”

अब्दुल समद के साथ लाइव वीडियो को लेकर भी उम्मेद के खिलाफ गाजियाबाद पुलिस ने एक केस दर्ज किया है. ईराज राजा ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया की उम्मेद पहलवान के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है. उसके खिलाफ सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक नफरत फैलाने के आरोप में केस दर्ज किया गया है.

गायब सुफी अब्दुल समद सैफी

इस ख़बर के वायरल होने के बाद से अब्दुल समद गायब हैं. उनके बारे में किसी को कुछ नहीं पता की अभी वह कहा हैं. उनका फोन नंबर भी बंद आ रहा है. उनकी गैर मौजदूगी में पूरे मसले को अलग रंग दिया जा रहा है. मीडिया को दिए एक बयान में सैफी के परिवार ने दावा किया कि अब्दुल समद कोई ताबीज का काम नहीं करते थे.

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