दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
इस हफ्ते टिप्पणी में धृतराष्ट्र-संजय संवाद की वापसी. पिछला हफ्ता खबरिया चैनलों पर हिंदू मुसलमान मामलों की वापसी का हफ्ता रहा साथ में इतिहास के अंड-बंड संस्करण में एक नए मृगछौने ने एंट्री ली. साथ ही पिछला हफ्ते नरेंद्र मोदी ने बतौर प्रधानमंत्री अपनी सातवीं वर्षगांठ मनाई.
रिपब्लिक भारत पर ऐश्वर्या कपूर नामक एंकर ने तीतर लड़ाने के फेर में जिस ट्विटर से सरकार का एक कानून के एक प्रावधान पर तकरार चल रही है उसे भारत के संविधान के मुकाबिल खड़ा कर दिया. आप समझ सकते हैं कि भारत की टीवी पत्रकारिता कितने गंभीर संकट में हैं. इस वक्त में सबसे बड़ी जरूरत है खबरिया चैनलों का मौजूदा स्वरूप बदले. हर रोज़ प्राइम टाइम पर मुर्गा लड़ाने वाले एंकरों को खारिज कीजिए. यह पत्रकारिता नहीं है. असली खबरें देश के अलहदा हिस्सों में दम तोड़ रही हैं. हमारे रिपोर्टर लगातार देश के अलग अलग हिस्सों से उन ज़मीनी खबरों को आपके सामने ला रहे है.
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