किसी भी कला की सबसे बड़ी समीक्षा ये है कि वो देखने वाले के मन में कुलबुलाहट पैदा कर देती है. फैमिली मैन-2 के रूप में आप ऐसी ही सीरीज देखते हैं.
इस सीजन की जान है राजी का किरदार. कहते हैं कि विलेन जितना शक्तिशाली होता है हीरो उतना ही बड़ा होता है. यहां लेकिन विलेन एक महिला है वो महिला मानसिक और शारीरिक तौर पर इतनी शक्तिशाली है कि दर्शक उसके मोहपाश में बंध जाता है. इसलिए ही वो श्रीकांत द्वारा एक मनगढ़ंत कहानी सुनाने के बाद एक लम्बी चुप्पी के बाद बोलती है और अपने अतीत की कहानी बताती है और अंत में यह कहना नहीं भूलती कि उसकी कहानी असली है.
राजी को एक ओर हम सहमी डरी हुई लड़की के रूप में देखते हैं वहीं दूसरी ओर एक ट्रेंड कमांडो के रूप में. इनमें भी वह एक्स्ट्रा ऑर्डेनरी है. वह प्लेन की भी इतनी पारंगत पायलट है कि रडार की पकड़ को भी धता बंधा सकती है. उसके जिस्म से कोई छेड़छाड़ कर रहा है तो वह तुरंत प्रतिक्रिया नहीं देती. लेकिन अति होने पर वह भीभत्स मौत देती है.
ये सीरीज इस मायने में भी ख़ास है कि इसमें तमिल भाषा के भी भरपूर संवाद हैं. वो आपको अखरते नहीं यदि आप सब टाइटल में उनका अनुवाद देखते हैं. भाषा संबंधी बहुत से संवाद आपको इस बात को भी समझा देते हैं कि भाषा जबरदस्ती थोपी नहीं जा सकती.
सीरीज में समुद्र को देखना, मैदानों को देखना आपकी आंखों को सुकून देता है. आज जब हर कोई धन के पीछे भाग रहा है उस वक्त पीएम द्वारा टास्क के कर्मचारियों को सम्मानित करते समय इन ऑफिसर्स का आपसी संवाद एक आम आदमी की जद्दोजहद को बताता है.
इस सीरीज में अभिनय के दृष्टिकोण से श्रीकांत ने तो कमाल किया ही है लेकिन राजी के रूप में सामंथा ने झंडे गाड़ दिए. शारिब हाशमी ने जेके के रूप में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है वो ही ऐसा किरदार है जो श्रीकांत के मजे लेता है.
किसी भी कला की सबसे बड़ी समीक्षा ये है कि वो देखने वाले के मन में कुलबुलाहट पैदा कर देती है. फैमिली मैन-2 के रूप में आप ऐसी ही सीरीज देखते हैं.