एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि लंबी अवधि के अन्य स्वास्थ्य जोखिम के अलावा, रोगियों के सामने स्वस्थ होने के छह महीने बाद भी मृत्यु के उच्च जोखिम बना हुआ है.
हाल ही में जर्नल ‘नेचर’ में प्रकाशित एक अध्ययन में दावा किया गया है कि न केवल महीनों तक कोविड-19 के लक्षण बने रह सकते हैं, बल्कि स्वस्थ हो चुके मरीजों में संक्रमण के छह महीने बाद तक मृत्यु का 59 प्रतिशत खतरा ज्यादा होता है.
क्लिनिकल एपिडेमियोलॉजी सेंटर, रिसर्च एंड डवलपमेंट सर्विस, वीए सेंट लुईस हेल्थ केयर सिस्टम, सेंट लुइस, एमओ, यूएसए के ज़ियाद अल-एली, यान शी और बेंजामिन बोवे की ओर से किए गए अध्ययन में संयुक्त राज्य अमेरिका में 87 हजार से अधिक कोविड-19 रोगियों की जांच की गई.
कोविड-19 के दीर्घकालिक प्रभावों के कारण होने वाली मौतों के लिए सीधे तौर पर इस संक्रमण को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है. लेकिन इस नए शोध से पता चलता है कि छह महीनों में प्रति 1,000 मरीजों पर आठ अतिरिक्त मौतें हुईं, “अस्पताल में भर्ती होने और 30 से ज्यादा दिनों में दिवंगत होने वाले मरीजों में, बीते छह महीने में प्रति 1,000 रोगियों पर 29 मौतें अतिरिक्त रहीं.”
एक प्रेस विज्ञप्ति में इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक, एमडी ज़ियाद अल-ऐली ने कहा, “जहां तक महामारी से होने वाली कुल मौतों का सवाल है, तो यह संख्या बताती है कि तत्काल वायरल संक्रमण के कारण जिन मौतों की हम गणना कर रहे हैं, वह तो केवल हिमखंड का ऊपर दिखने वाला सिरा भर हैं.” अल-ऐली ने इसे “अमेरिका का अगला बड़ा स्वास्थ्य संकट” करार दिया है.
उन्होंने कहा, “देखते हुए कि 30 मिलियन (तीन करोड़) से अधिक अमेरिकी इस वायरस से संक्रमित हुए, और दीर्घकालिक कोविड-19 का बोझ बहुत ज्यादा है, इस बीमारी का प्रभाव कई वर्षों तक और यहां तक कि दशकों तक बना रहेगा.”
26 अप्रैल की शाम तक, भारत में 17.3 मिलियन (173 लाख) कोविड-19 संक्रमण के मामले थे. जैसा कि पहले ही विस्तार से बताया गया है, हजारों ठीक हो चुके मरीज थकावट, घबराहट के दौरे पड़ने, फेफड़ों के संक्रमण और अन्य बीमारियों से परेशान हैं. जब भारत स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे पर भारी दबाव के साथ कोरोना मामलों के दूसरे उछाल से जूझ रहा है, कोविड से ठीक होने वाले इसके लिए “अगला बड़ा स्वास्थ्य संकट” हो सकते हैं, जैसा कि अल-एली ने यूएसए के लिए कहा है.
(डाउन टू अर्थ से साभार)