धंधे की तरकीब: सद्गुरु का ईशा फाउंडेशन टैक्स देने से कैसे बचता है

वह चमत्कारी मंत्र है "दान". ईशा फाउंडेशन अपने द्वारा बेची गई सेवाओं, मसलन योग सत्र, "आध्यात्मिक" यात्राओं और अपने द्वारा बेची गई सामग्री को भी "दान" की श्रेणी में दिखाती है.

WrittenBy:प्रतीक गोयल
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नवंबर 2019 में दायर की गई अपनी याचिका में अमरनाथ ने पूछा कि, एक निजी संस्था को सरकारी ज़मीन पर एक योजना के क्रियान्वयन के लिए जनता से इतना सारा पैसा इकट्ठा करने की इजाजत कैसे है?

अमरनाथ ने न्यूजलॉन्ड्री को बताया, "उद्घाटन कार्यक्रम में, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने घोषणा की थी कि उनकी सरकार इस प्रोजेक्ट के लिए ईशा को दो करोड़ पौधों की कोंपलें प्रदान करेगी. वासुदेव ने भी कहा था कि योजना को सरकार ने स्वीकृति दे दी है, हालांकि नीति आयोग के नियम कहते हैं कि नदियों को पुनर्जीवित करने वाली योजनाओं को केवल राज्य या केंद्र सरकारें ही चला सकती हैं.‌ निजी संस्थाएं या एनजीओ केवल उनकी मदद कर सकते हैं. कोई भी निजी संस्था राज्य सरकार की अनुमति के बिना किसी नदी के पुनर्जीवन के लिए पैसा इकट्ठा नहीं कर सकती. और इस तरफ ईशा एक ऐसी योजना के लिए बड़ी मात्रा में पैसा इकट्ठा कर रही थी जिसका पंजीकरण तक नहीं हुआ था. मैंने इसीलिए अदालत का दरवाजा खटखटाया."

अमरनाथ के द्वारा उठाई गई आपत्ति को मानते हुए जनवरी 2020 में उच्च न्यायालय ने माना कि कावेरी कॉलिंग एक पंजीकृत संस्था नहीं है और ईशा के पास इस योजना के लिए धन की उगाही करने के लिए आवश्यक सरकारी मंजूरी नहीं है. अदालत ने कर्नाटक सरकार को ईशा के द्वारा पैसा इकट्ठा किए जाने के दौरान हरकत में ना आने के लिए लताड़ा और फाउंडेशन को जितना पैसा इकट्ठा हुआ है उसका लेखा-जोखा देने के निर्देश दिए.

उसी साल मार्च में, अदालत में जवाब देते हुए ईशा फाउंडेशन ने दावा किया कि वह कावेरी कॉलिंग में शामिल नहीं थे. उन्होंने कहा कि योजना को ईशा आउटरीच चला रही थी, जिसने पिछले महीने तक 82.50 करोड़ "दान राशि" इकट्ठा कर ली थी और उसका इस्तेमाल पूरी तरह से पेड़ लगाने के लिए किया गया. इस समय ईशा की वेबसाइट दिखाती है कि इस योजना के लिए 5.6 करोड पेड़ दिए जा चुके हैं, 42 रुपए प्रति पेड़ के हिसाब से यह राशि 235 करोड़ रुपए बनती है.

कावेरी कॉलिंग की निगरानी के लिए ईशा आउटरीच के बोर्ड के सदस्य उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अरिजीत पसायत, व्यापारी किरण मजूमदार शाॅ, पूर्व केंद्रीय जल संसाधन सचिव शशि शेखर, पूर्व कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज के प्रमुख चंद्रजीत बनर्जी, टाटा स्टील के पूर्व चेयरमैन बी मुथुरामन और इसरो के पूर्व चेयरमैन एस किरण कुमार हैं.

अपने बचाव में कर्नाटक सरकार ने यह उजागर किया कि उसने कावेरी कॉलिंग योजना को स्वीकृति नहीं दी. उसने केवल कृषि और अन्य प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत ईशा को दो करोड़ कोपल प्रदान की, यह योजना किसानों को सस्ते दामों पर कोंपल उपलब्ध कराने और अगर पौधा बढ़ता है तो सालाना प्रोत्साहन राशि देने के लिए है. इसके बदले में, ईशा को किसानों को इस योजना से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करना था, न कि खुद पेड़ लगाने थे. अंततोगत्वा सरकार ने यह भी कहा कि उसने ईशा को केवल 73.44 लाख पौधे दिए क्योंकि वन विभाग ने सरकार का ध्यान इस तरफ दिलाया कि अलग-अलग प्रजातियों की दो करोड़ कोंपलों को उगाना व्यावहारिक तौर पर उचित नहीं था.

तत्पश्चात वन विभाग ने एक सार्वजनिक सूचना से स्पष्ट किया कि उन्होंने कावेरी कॉलिंग के लिए न तो भूमि उपलब्ध कराई थी और न ही धन. फरवरी 2021 में ईशा आउटरीच ने भी यह बात स्वीकार कर ली.

इस साल 8 मार्च की सुनवाई पर, उच्च न्यायालय ने परामर्श दिया कि राज्य को इस बात की जांच करनी चाहिए कि क्या ईशा फाउंडेशन ने कावेरी कॉलिंग योजना को सरकारी योजना बताकर पैसा इकट्ठा किया. ईशा आउटरीच ऐसी किसी भी जांच को रोकने के लिए तुरंत सुप्रीम कोर्ट पहुंची, जहां पर अभी मामला बिना सुनवाई के लंबित है.

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तीन पार्ट में प्रकाशित होने वाली रिपोर्ट का यह आखिरी हिस्सा है. पहला और दूसरा पार्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

यह रिपोर्ट हमारी एनएल सेना प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसमें 155 पाठकों ने योगदान दिया.

इसे सरस उपाध्याय, विशाल रघुवंशी, विपिन शर्मा, किमाया कर्मलकर, शाफिया काज़मी, सौम्या के, तपिश मलिक, सूमो शा, कृष्णन सीएमसी, वैभव जाधव, रचित आचार्य, वरुण कुझिकट्टिल, अनिमेष प्रियदर्शी, विनील सुखरमानी, मधु मुरली, वेदांत पवार, शशांक राजपूत, ओलिवर डेविड, सुमित अरोड़ा, जान्हवी जी, राहुल कोहली, गौरव जैन, शिवम अग्रवाल, नितीश के गनानी , वेंकट के, निखिल मेराला, मोहित चेलानी, उदय, हरमन संधू, आयशा, टीपू, अभिमन्यु चितोशिया, आनंद, हसन कुमार , अभिषेक के गैरोला, अधिराज कोहली, जितेश शिवदासन सीएम, रुद्रभानु पांडे, राजेश समाला, अभिलाष पी, नॉर्मन डीसिल्वा, प्रणीत गुप्ता, अभिजीत साठे, करुणवीर सिंह, अनिमेष चौधरी, अनिरुद्ध श्रीवत्सन, प्रीतम सरमा, विशाल सिंह, मंतोश सिंह, सुशांत चौधरी , रोहित शर्मा, मोहम्मद वसीम, कार्तिक, साई कृष्णा, श्रेया सेथुरमन, दीपा और हमारे अन्य एनएल सेना सदस्यों के योगदान से संभव बनाया गया है.

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