शोधकर्ताओं ने लगभग 1500 कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यूनिटी) वाले बच्चों पर कोविड-19 के संक्रमण का अध्ययन किया
आधे से अधिक (62 फीसदी) रोगियों या उनके माता-पिता ने अध्ययन की शुरुआत में बहुत अधिक घबराहट, चिंता के बारे में बताया और गंभीर लक्षण न होने के बावजूद, पूरे अध्ययन की अवधि में इसका स्तर लगातार अधिक रहा.
शोधकर्ताओं का मानना है कि इन परिणामों से पता चलता है कि कोविड-19 की शुरुआती पहचान के लिए लक्षणों के व्यापक जांच करने से कोई फायदा नहीं होने वाला है, हो सकता है बच्चों को लगातार सांस लेने के ऊपरी मार्ग प्रणाली की समस्या हो, जिसका कोविड-19 के लक्षणों से कोई लेना देना न हो.
डॉ. डी ग्रेफ ने कहा यह अध्ययन कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले बच्चों पर महामारी के प्रभाव का निरीक्षण करने के लिए किया गया था. महामारी की पहली लहर के दौरान, कई लोगों ने अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने की कोशिश की होगी, इसलिए हमारे परिणाम बताते हैं कि या तो प्रतिरक्षा उपाय प्रभावी थे या स्वस्थ बच्चों की तरह ही बच्चों की तुलना में कोविड-19 से कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले बच्चे कम प्रभावित होते हैं.
शोध में यह भी निष्कर्ष निकला है कि प्रतिभागियों के बीच निरंतर घबराहट, चिंता बनी रही, बच्चों और युवाओं में कोविड-19 के खतरे को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने और संवाद करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है, विशेष रूप से लॉकडाउन के दौरान.
(डाउन टू अर्थ से साभार)