उत्तर प्रदेश में आखिर लोग क्यों अपने परिजनों को दफना रहे हैं?

लोग गंगा नदी के किनारे शवों को दफना रहे हैं. उसके पीछे सबसे बड़ा कारण गरीबी है.

शिव भरण उदास होकर कहते हैं, ‘‘वहां मौजूद पंडित ने दूर से ही मंत्रों का जाप किया. हमने कब्र खोदने वाले को 700 रुपए दिए. वहीं उसे दफना कर चले आए. हमारे परिवार में पहली बार ऐसा हुआ की हमने किसी को दफनाया है. इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ. हम मज़बूर थे. हमारे पास कोई विकल्प नहीं था.’’

देर शाम जब हम बक्सर घाट पहुंचे तो एक नौजवान कब्र खोदकर वापस लौट रहा था. वो यहां बीते कई सालों से ये काम कर रहा है. नौजवान ने न्यूजलॉन्ड्री को बताया, ‘‘यहां जो लोग अपनों को दफा रहे हैं उसके पीछे सबसे बड़ा कारण गरीबी है. जलाने के लिए लकड़ी खरीदने और फिर पंडित को भुगतान करने में काफी पैसा खर्च होता है जो वो नहीं कर सकता, इसलिए वे दफना रहे हैं.’’

इस नौजवान से जब हमने पूछा कि बीते एक महीने में आपने कितने गड्ढे खोदे तो उसने बताया कि मुझे ठीक से याद नहीं. अब तो शवों में थोड़ी कमी आई है. पहले तो यह पूरा इलाका भरा रहता था.

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