हिंसा लेकिन सांप्रदायिक नहीं: भाजपा का बंगाल में दुष्प्रचार

20 लोगों को लील देने वाली हिंसा अपने आप में भयानक है, उसे हिंदू-मुस्लिम का रंग देने की जरूरत नहीं.

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प्रचार की लड़ाई

जमीन की झड़पों के अलावा सोशल मीडिया पर एक दूसरी लड़ाई चल रही थी जिसमें भाजपा हिंसा को सांप्रदायिक रूप देने की कोशिश कर रही थी. वह कह रहे थे कि हिंदुओं पर हमला मुसलमान कर रहे हैं.

भाजपा नेता स्वपन दासगुप्ता जो तारकेश्वर से चुनाव लड़े और हार गए, ने ट्वीट किया कि "हज़ार से ज्यादा हिंदू परिवार" "लुटेरी/हत्यारी भीड़" से छुपे हुए थे. उन्होंने यह भी लिखा कि "महिलाओं के साथ शारीरिक उत्पीड़न या और भी कुछ बुरे बर्ताव की खबरें" मिल रही हैं.

भाजपा के राज्य के यूथ विंग के अध्यक्ष और विष्णुपुर से सांसद सुमित्रा खान ने दावा किया कि नानूर में दो महिलाओं का तृणमूल के गुंडों ने सामूहिक बलात्कार किया. उनका यह ट्वीट बाद में हटा दिया गया.

बीरभूम जिले के एसपी नागेंद्र त्रिपाठी ने इन आरोपों को "निराधार" बताया.

उन्होंने मीडिया से कहा, "कल शाम से फेसबुक और ट्विटर पर यह फैलाया जा रहा है और कुछ विशेष राजनैतिक सोच वाले लोग इन्हें फॉरवर्ड और रीट्वीट कर रहे हैं. वह कह रहे हैं कि नानूर इलाके में महिलाओं के साथ बलात्कार और कई महिलाओं के साथ छेड़खानी हुई है. हमने इन दावों की पुष्टि की और स्थानीय भाजपा नेताओं से बात भी की है, खबर निराधार है. यहां तक कि स्थानीय भाजपा नेता कह रहे हैं कि उन्हें ऐसी किसी घटना की जानकारी नहीं है."

खास बात है कि त्रिपाठी की नियुक्ति चुनाव आयोग के द्वारा की गई थी और उनकी सोशल मीडिया पर, चुनावों के दौरान नंदीग्राम में ममता बनर्जी से साफगोई की वजह से काफी तारीफ हुई थी.

इसके बाद भाजपा की एक महिला पोलिंग एजेंट ने मीडिया को बताया कि सोशल मीडिया पर 'गलत जानकारी' फैलाई जा रही थी कि उनका सामूहिक बलात्कार हुआ है. उन्होंने कहा कि यह खबर निराधार है.

भाजपा के बंगाल प्रमुख और राष्ट्रीय जनरल सेक्रेटरी कैलाश विजयवर्गीय ने भी हिंसा को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की. उन्होंने ट्विटर पर एक वीडियो डाला जिसमें दो आदमी, दो महिलाओं को पीट रहे थे और दावा किया कि "मुसलमान हिंदुओं को पीट रहे हैं."

लेकिन नंदीग्राम पुलिस थाने के एक अफसर ने इस संवाददाता को बताया कि वह वीडियो किसी व्यक्तिगत झगड़े का था न कि किसी राजनैतिक झगड़े का.

भाजपा महिला मोर्चा के सोशल मीडिया प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय प्रमुख, प्रीति गांधी ने एक ऐसा वीडियो शेयर किया जिसके साथ छेड़छाड़ की गई थी. इसमें आदमियों का एक समूह, तृणमूल कांग्रेस के चुनावी गाने, खेला होबे पर नाचते हुए तलवारें लहरा रहा था. 2020 का एक यूट्यूब वीडियो, यही दृश्य एक दूसरे गाने पर दिखाता है.

प्रीति ने अपना वीडियो नहीं हटाया लेकिन भाजपा की राज्य इकाई के सदस्य अभिजीत दास जिन्होंने पहले यह वीडियो शेयर किया, बाद में उन्होंने उसे हटा दिया.

कई और लोगों ने भी इस कथानक को, यह कहते हुए खूब बढ़ाया की यह हिंसा, 1947 में बंटवारे के समय बंगाल में हुई हिंसा जैसी है. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि यह "बंटवारे के दिनों की याद" दिलाता है, वहीं विश्व हिंदू परिषद के बंगाल प्रवक्ता सॉरीश मुखर्जी ने, आज के बंगाल के वातावरण की तुलना 1946 के उस दिन से की, जिस दिन मुस्लिम लीग ने अलग देश पाकिस्तान बनाने के लिए "सीधी कार्यवाही" करने की घोषणा की थी.

लेखक अभिजीत मजूमदार ने विश्व हिंदू परिषद की प्रेस विज्ञप्ति को ट्विटर पर शेयर किया और उसकी एक लाइन वहीं लिखी, "हिंदू समाज को आत्मरक्षा का पूरा अधिकार है, और वो उसका इस्तेमाल करेगा." अभिजीत ने लिखा, "बिल्कुल करना चाहिए." उन्होंने हिंसा की तुलना, "जिहादियों के द्वारा खून से होली" मनाने से की.

इस हिंसा से जुड़ा एक रोचक तथ्य यह भी है कि भाजपा के द्वारा तथाकथित तौर पर मारे गए पांच तृणमूल कार्यकर्ताओं में से चार हिंदू थे.

गलत प्रचार यहीं नहीं रुका.

पश्चिमी मिदनापुर जिले में एक लड़की मरी हुई पाई गई. पुलिस पूछताछ शुरू कर पाती उससे पहले ही कई सोशल मीडिया के योद्धाओं ने यह दावा किया कि "उसका बलात्कार और हत्या मुर्शिदाबाद के शांतिप्रिय कारीगरों" ने की है. यहां पर यह उपमा साफ समझ आती है क्योंकि मुर्शिदाबाद जिले की दो-तिहाई जनसंख्या मुस्लिम है और उनमें से काफी लोग कारीगरी करते हैं.

जिले के पुलिस अधिकारियों ने हमें बताया कि यह आरोप बेबुनियाद हैं.

अपनी पहचान गुप्त रखने की शर्त पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "अभी पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक आई नहीं और उन्हें बलात्कारियों के संप्रदाय का ज्ञान भी हो गया! हम ऐसी खबरें फैलाने वालों के खिलाफ कार्यवाही करेंगे."

लड़की के घर के पास रहने का दावा करने वाले एक व्यक्ति ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा की लड़की की मृत्यु को सांप्रदायिक तनाव में बदलने की कोशिशें हो रही थीं.

हिंसा बनाम झूठी खबरें

सीपीआई-माले की सदस्य कविता कृष्णन ने इस कथानक को अपनी पीठ में कम से कम शब्दों में रेखांकित किया.

सीपीआईएम के एक समर्थक, अभिनेता जॉयराज भट्टाचार्जी ने कहा, "इसमें कोई शक नहीं कि राजनीतिक हिंसा हो रही है और तृणमूल से वामपंथी, आईएसएफ और भाजपा के कार्यकर्ता सभी त्रस्त हैं. लेकिन इस हिंसा को सांप्रदायिक पुट देकर भाजपा उससे भी गंदा खेल, खेल रही है. यह घटनाएं राजनीतिक हिंसा की हैं, जो बंगाल की राजनैतिक संस्कृति का बहुत सालों से हिस्सा रहा है… भाजपा के सांप्रदायिक प्रचार में रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है."

आज की परिस्थितियों के हिसाब से, हिंसा के इस चक्र को रोकने की पूरी जिम्मेदारी नई चुनी हुई ममता बनर्जी की सरकार पर है. इसी के साथ भाजपा के जिम्मेदार विपक्ष की भी राज्य को बहुत आवश्यकता है, लेकिन उसे सोशल मीडिया पर इन अफवाहों को उड़ाकर आग को हवा देने से बचना चाहिए.

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