लापरवाही और अव्यवस्था के फंदे पर चढ़े पंचायत चुनाव की ड्यूटी पर तैनात शिक्षक

15 अप्रैल को उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के दौरान तमाम कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ जिसके चलते राज्य में अब तक 700 से अधिक शिक्षाकर्मी कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर जान गंवा चुके हैं.

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पोलिंग बूथ पर न सैनिटाइज़ेशन न सामाजिक दूरी

मोहम्मद रिज़वानुल्ला खान की बड़ी बहन अंजुम फातिमा कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय की प्रधान अध्यापिका थी. 55 वर्षीय फ़ातिमा 23 साल से शिक्षा क्षेत्र से जुडी हुई हैं. पोलिंग ड्यूटी से पहले फातिमा बिल्कुल स्वस्थ थीं. उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई. वो 14 तारीख को विकास खंड गई थीं. उन्हें रिज़वान छोड़ने गए थे.

रिज़वान न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं कि चुनाव वाले दिन कैसे कोरोना प्रोटोकॉल्स को दरकिनार कर दिया गया था. "उस दिन कोई सामाजिक दूरी का पालन नहीं कर रहा था. सैनिटाइज़र की कोई व्यवस्था नहीं थी. एक टेंट लगाकर, मैट बिछा दिया गया जिसके नीचे दो सौ लोग बैलट पेपर लेकर बैठे थे. सभी एक दूसरे से चिपके जा रहे थे. भीड़ इस तरह एक दूसरे पर गिरी जा रही थी जैसे कोई मुफ़्त का सामान बंट रहा हो," रिज़वान कहते हैं.

दस अप्रैल को फातिमा ट्रेनिंग के लिए बाबा गंभीर परीक्षा गृह गई थी. उस दिन भी कोविड को लेकर कोई सतर्कता नहीं बरती जा रही थी. 15 अप्रैल के बाद धीरे-धीरे फातिमा की तबियत बिगड़ने लगी. उन्हें खांसी-जुकाम की शिकायत थी. शुरू में परिवार को लगा ड्यूटी के कारण थकावट होने से तबियत ख़राब हो रही होगी इसलिए घर पर ही दवाई दी गई लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं आया. 21 अप्रैल को फातिमा को अस्पताल में दिखाया गया, एक्स-रे में निमोनिया निकला. सभी लक्षण कोरोना की तरफ इशारा कर रहे थे. अगले दिन से उनका ऑक्सीजन गिरने लगा. उन्हें सांस लेने में दिक्कत आने लगी जिसके बाद उन्हें 25 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन अफ़सोस 26 अप्रैल को उनकी मौत हो गई.

मोहम्मद रिज़वानुल्ला खान

रिज़वान के मुताबिक फातिमा ने उन्हें बताया था कि पंचायत ड्यूटी के कारण ही उनकी सेहत बिगड़ी है. उनके परिवार में उनकी 22 साल की बेटी है. पिछले वर्ष 2020 में उनके पति का देहांत हो गया था. रिज़वान चाहते हैं कि पंचायत ड्यूटी के कारण मरने वाले सभी अध्यापकों और कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा की राशि दी जाए. साथ ही मुआवज़ा भी दिया जाए.

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षा संघ के अध्यक्ष राजेश धर दुबे ने न्यूज़लॉन्ड्री से बात की. उनकी मांग है कि पंचायत चुनाव के दौरान मृतक कर्मचारियों और अध्यापकों को "कोविड फ्रंटलाइन वारियर" का दर्जा दिया जाए और 50 लाख रुपए का मुआवज़ा दिया जाए.

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