कोर्ट ने कहा, अगर कोई नागरिक सोशल मीडिया या इंटरनेट पर अपनी शिकायत को रखता है तो उसे गलत अफवाह न कहा जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने उन सभी राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को आगाह किया है कि सोशल मीडिया पर मदद मांगने वालों पर कोई भी कार्रवाई नहीं होगी. अगर किसी सरकार ने कोई केस किया तो उसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा.
कोविड 19 को लेकर सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, “सूचना का निर्बाध प्रवाह होना चाहिए.”
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कड़े शब्दों में कहा, जैसा में पहले कह चुका हूं. हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि, अगर कोई नागरिक सोशल मीडिया या इंटरनेट पर अपनी शिकायत को रखता है तो उसे गलत अफवाह न कहा जाए.
एबीपी न्यूज की खबर के मुताबिक, शीर्ष अदालत ने केंद्र, राज्यों और सभी पुलिस महानिदेशकों को निर्देश दिया है कि वे ऐसे किसी भी व्यक्ति पर अफवाह फैलाने के आरोप पर कोई कार्रवाई नहीं करें.
एक अन्य याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार पर कोरोना वायरस को लेकर सवालों की बौछार कर दी. एनडीटीवी के आशीष भार्गव की रिपोर्ट के मुताबिक, शीर्ष कोर्ट ने पूछा कि मरीजों के अस्पताल में भर्ती करने की क्या प्रक्रिया है. अहमदाबाद में सिर्फ 108 एंबुलेंस में आने वाले मरीजों को भर्ती किया जाता है, इसके अलावा अस्थायी कोविड सेंटर बनाने की क्या तैयारी है, जो लोग इंटरनेट नहीं जानते या पढ़े लिखे नहीं हैं, उनके लिए वैक्सीन की क्या व्यवस्था है, श्मशान में काम करने वाले कर्मियों की टीकाकरण की क्या योजना है, जरूरी दवाओं के लिए पेटेंट की व्यववस्था होगी और यह कैसे सुनिश्चित किया जाएगा कि वैक्सीन को लेकर एक राज्य को दूसरे पर प्राथमिकता नहीं मिलेगी?
जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि दिल्ली में ऑक्सीजन के हालात खराब हैं. गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी ये ही हालात हैं. दिल्ली में हकीकत में ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं है. आपको भविष्य में हमें यह बताना होगा कि आज और सुनवाई के अगले दिन से क्या बेहतर हुआ.
कोर्ट में जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम कंट्रोल रूम के अधिकारियों से लाइव जुड़े रहते हैं, नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है, कुछ राज्यों में दिक्कतें आ रही हैं हम उसको भी जल्दी हल कर लेंगे.