आज तक के एंकर रोहित सरदाना का निधन, रोजाना दो पत्रकारों की हो रही मौत

मशहूर टीवी एंकर रोहित सरदाना कोरोना से जंग लड़ रहे थे. स्वास्थ्य बिगड़ने के बाद रोहित को नोएडा के मेट्रो अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां शुक्रवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई.

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रोहित के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शोक व्यक्त किया. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, "रोहित सरदाना ने हमें बहुत जल्द छोड़ दिया. ऊर्जा से भरपूर, भारत की प्रगति और एक दयालु हृदय के व्यक्ति थे. रोहित को लोग याद रखेंगे. उनके असामयिक निधन ने मीडिया जगत में एक बहुत बड़ा शून्य पैदा हुआ है. उनके परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के प्रति संवेदना. ॐ शांति."

न्यूज़लॉन्ड्री ने आज तक डिजिटल के एक्जीक्यूटिव एडिटर पाणिनि आनंद से बात की. पाणिनि बीते 13 सालों से रोहित को जानते थे. रोहित की खबर सुन कर उन्हें धक्का लगा. "मेरे और रोहित के बीच कई बार राजनीतिक मतभेद रहते थे. चर्चा एकदम से आग पकड़ लेती थी. रोहित के साथ गंभीर चर्चा करना मुझे हमेशा याद रहेगा," पाणिनि कहते हैं. "आखिरी बार मैं रोहित से ऑफिस में मिला था. तब हम यही बात कर रहे थे कि कैसे सुरक्षित रहकर कोरोना को मात दी जाए. वो बहुत सकारात्मक दिख रहे थे," पाणिनि ने रोहित के साथ अपनी आखिरी चर्चा के बारे में हमें बताया.

रोहित की मौत पर आते ट्वीट के बाद से तमाम मीडिया में उनकी खबरें आनी शुरू हो गईं. लेकिन आज तक ने तुरंत कोई जानकारी नहीं साझा की. इस पर पाणिनि बताते हैं, “रोहित की मौत की सूचना सार्वजनिक करने से पहले उनके परिवार से बात करना ज़रूरी था. रोहित का जाना सबके लिए अविश्वसनीय है. ट्विटर और तमाम चैनलों पर खबरें आने लगी थीं लेकिन हमारे लिए ज़रूरी था कि हम परिवार की स्थिति को भी समझें और पहले उन्हें सूचित करें. जिसके बाद ही हमने अपने चैनल आज तक पर रोहित को श्रद्धांजलि दी," पाणिनि ने बताया.

आनंद रोहित के साथ बिताए दिनों को याद करते हैं. उन्होंने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि रोहित भले ही दिल्ली में रहते और काम करते हों लेकिन उन्हें कभी दिल्ली की हवा नहीं लगी, "रोहित हरियाणा का रहने वाला था. दिल्ली आकर भी वो दिल्ली का नहीं हो सका. वो हमेशा अपनी जड़ों से जुड़ा रहता था."

न्यूज़लॉन्ड्री ने आईआईएमसी में प्रोफेसर और मीडिया समीक्षक आनंद प्रधान से भी बात की जो उन्हें अरसे से जानते थे. उन्होंने कहा कि रोहित सरदाना की मौत की खबर सुनकर उन्हें व्यक्तिगत रूप से धक्का पहुंचा है. "रोहित एक नामी पत्रकार थे. वो सबसे अच्छे से मिलते थे. उनके जाने से उनके परिवार और प्रशंसकों को धक्का लगा है," प्रधान कहते हैं.

आज सुबह असम की वरिष्ठ पत्रकार, नीलाक्षी भट्टाचार्य की मृत्यु की भी खबर सामने आई है. नीलाक्षी नई दिल्ली में टाइम्स ऑफ इंडिया के लिए काम कर चुकी हैं. उन्होंने भी शुक्रवार सुबह कोविड की चपेट में आकर दम तोड़ दिया. इसके अलावा लखनऊ में पत्रकार चंदन प्रताप सिंह की मृत्यु की खबर आई है.

देश में बढ़ रही कोरोना महामारी औसतन हर रोज़ दो पत्रकारों की जान ले रही है. यह महीना पत्रकारों के लिए भी उतना ही बुरा रहा जितना आम पीड़ित जनता के लिए. पिछले 28 दिनों में 52 पत्रकारों की मौतें हुई हैं.

दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ परसेप्शन स्टडीज द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, एक अप्रैल, 2020 से 28 अप्रैल, 2021 यानी लगभग एक साल के दौरान कोविड-19 की चपेट में आकर 101 पत्रकारों की जान गई है. भारत में महामारी की शुरुआत से ही मीडिया चैनल और संगठन बिना रुके काम कर रहे हैं. पत्रकार लगातार देश में कोरोना से हो रही मौत की वास्तविक संख्या को टटोलने से लेकर सड़क पर मर रही जनता और बेड- ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी पर रिपोर्टिंग कर रहे हैं.

इस तरह पत्रकार रोजाना कोरोना के बिल्कुल करीब जाते हैं, इसका भारी दुष्प्रभाव पत्रकारों पर पड़ा है. उत्तर प्रदेश में अब तक 19, तेलंगाना में 17, और महाराष्ट्र में 13 पत्रकार कोरोना से मारे गए हैं. आनंद प्रधान मानते हैं कि पत्रकार किसी भी घटना के "फर्स्ट रिस्पॉन्डर" होते हैं बिलकुल एम्बुलेंस और पुलिस की तरह. सरकार को जल्द से जल्द पत्रकारों का टीकाकरण करना चाहिए.

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