बीजेपी नेता दिल्ली की केजरीवाल सरकार को निशाना बना रहे हैं कि आठ प्लांट अलॉट हुए, लेकिन बना सिर्फ एक. हालांकि प्लांट लगाने की जिम्मेदारी राज्यों की नहीं है.
केंद्र सरकार द्वारा अक्टूबर महीने में जब टेंडर निकाला गया तब 150 ऑक्सीजन प्लांट की जानकारी दी गई थी. शयद बाद में इसमें 12 और जोड़े गए. टेंडर में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 14, महराष्ट्र में 10, मध्य प्रदेश, दिल्ली और गुजरात में आठ, उत्तराखंड ओडिशा और हिमचाल प्रदेश में सात, असम, पांडुचेरी और हरियाणा में छह, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, केरल और तेलंगना में पांच, छत्तीसगढ़, राजस्थान और झारखंड में चार, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, चंडीगढ़, पंजाब और लद्दाख में तीन, त्रिपुरा, लक्ष्यदीप और गोवा में दो, मिजोरम और सिक्किम में एक ऑक्सीजन प्लांट लगना है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के ही मुताबिक दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़ समेत कई और राज्यों में सिर्फ एक-एक ही ऑक्सीजन प्लांट लग है. दिल्ली, यूपी, महाराष्ट्र ये वो राज्य हैं जहां कोरोना भयानक रूप ले चुका है. यहां ऑक्सीजन दूसरे राज्यों से ट्रेन और जहाज के जरिए मंगाई जा रही है. कोरोना की पहली लहर में भी इन राज्यों की स्थिति बेहतर नहीं थी.
ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या बीजेपी शासित राज्य उत्तर प्रदेश, हरियाणा ने भी अपने यहां एक-एक प्लांट ही लगवाए? बीजेपी शासित असम, त्रिपुरा और गोवा आदि राज्यों ने अपने यहां एक भी प्लांट नहीं लगवाए. क्या उन्होंने भी केंद्र सरकार से मिले पैसे खा लिए? इस नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगा.
ऑक्सीजन प्लांट लगाने में राज्य सरकार की भूमिका
पीएम केयर फंड से बनने वाले इन ऑक्सीजन प्लांट के निर्माण में राज्य सरकार की क्या भूमिका है यह जानने के लिए हमने उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिला अस्पताल के अनुज कुमार से संपर्क किया. वे जिला अस्पताल में बतौर मैनेजर काम करते हैं. यहां भी अब तक प्लांट नहीं लग पाया है.
न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कुमार कहते हैं, ‘‘टेंडर तो केंद्र सरकार द्वारा जारी किया गया. लेकिन टेंडर जारी होने के बाद बजट केंद्र सरकार ने सीधे उन कंपनियां को देना है जिसे निर्माण करना था. जहां तक रही इसमें राज्य सरकार की भूमिका तो हमें प्लांट लगाने के लिए जगह और वहां बिजली पहुंचानी है. इसके अलावा राज्य सरकार का दूसरा कोई काम नहीं है.’’
कुमार आगे बताते हैं, ‘‘हमारे अस्पताल में भी प्लांट लगना था. हमने करीब दो महीने पहले जगह देकर वहां बिजली का कनेक्शन पहुंचा दिया, लेकिन अभी तक प्लांट लगा नहीं है. अब सारी जिम्मेदारी उन कंपनी के हाथ में है जिसे टेंडर दिया गया है.’’
मध्य प्रदेश के खंडवा जिला अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लग चुका है. यहां के सिविल सर्जन ओपी जुगतावत से जब न्यूजलॉन्ड्री ने संपर्क किया तो उनका कहना था, ‘‘राज्य सरकार या केंद्र सरकार की क्या भूमिका है यह मुझे नहीं पता. हमने उन्हें जगह, बिजली और रखरखाव की सुविधा उपलब्ध कराई है. हमारा प्लांट चलने लगा है.’’
दिल्ली में, दीनदयाल उपाध्याय, दीपचंद बंधु, अम्बेडकर नगर अस्पताल, बाबा साहेब अम्बेडकर अस्पताल, बुराड़ी अस्पताल, सत्यवती राजा हरिश्चंद्र, सफदरजंग अस्पताल और लोकनायक अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगने हैं. इन सभी जगहों पर कुछ लोगों को इसकी देखरेख की जिम्मेदारी दी गई. हमने आठों अस्पतालों में ऑक्सीजन लगाने के लिए जिम्मेदार डॉक्टर और अधिकारियों को फोन किया. हमारी बात दीपचंद बंधु, बुराड़ी अस्पताल और सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों और अधिकारियों से हुई.
नरेला स्थित सत्यवती राजा हरिश्चंद के एमएस डॉक्टर संजय कुमार जैन से न्यूज़लॉन्ड्री ने बात की. ऑक्सीजन प्लांट को जगह उपलब्ध कराने के सवाल पर जैन कहते हैं, ‘‘सब कुछ हो रखा है. सिर्फ ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन लगना बाकी है.’’ आपने कितने महीने पहले टेंडर वाली कंपनी को यह सब उपलब्ध करा दिया था. इस सवाल के जवाब में जैन कहते हैं, ‘‘अभी मेरे पास बिल्कुल समय नहीं है. कई ज़रूरी काम बाकी है.’’
इसके बाद न्यूजलॉन्ड्री ने सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर कृष्ण कुमार से फोन पर संपर्क किया. सफदरजंग में प्लांट लगवाने की जिम्मेदारी एक तरह से कुमार के पास ही है. प्लांट के लिए सुविधा उपलब्ध कराने के सवाल पर कुमार बताते हैं, ‘‘जमीन काफी पहले उपलब्ध करा दी गई है. ऑक्सीजन मशीन को बाहर तो रख नहीं सकते हैं. उसके लिए कुछ निर्माण कार्य कराना होगा. इसके लिए टेंडर जारी किया गया है. जल्द ही प्लांट लग जाएगा.’’
दिल्ली में एकमात्र बुराड़ी अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लग पाया है. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए बुराड़ी अस्पताल के प्रमुख डॉक्टर राजेंद्र कहते हैं, ‘‘हमारे यहां मार्च महीने में प्लांट लग गया था. हमने उन्हें जगह और बिजली उपलब्ध करायी है बाकी केंद्र सरकार ने अपना काम किया.”
जिन जगहों पर ऑक्सीजन प्लांट लगने हैं उनमें से कुछ अस्पतालों के अधिकारियों और डॉक्टर से बात करते हुए एक बात तो साफ हो गई कि राज्य सरकारों को केंद्र सरकार ने एक रुपए नहीं दिए हैं. क्योंकि राज्य सरकारों को प्लांट लगाने के लिए बजट नहीं दिया गया. यह काम केंद्र सरकार की स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की सेंट्रल मेडिकल सर्विस सोसाइटी कर रही थी. राज्यों को सिर्फ जगह उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी है. ऐसे में दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार पर कंगना रनौत और अमित मालवीय द्वारा पैसे खाने का आरोप लगाना महज राजनीतिक दांव पेच है. इसका हकीकत से कोई वास्ता नहीं.
आखिर क्यों नहीं लगा दिल्ली में प्लांट
एक तरफ जहां बीजेपी और उसके समर्थक दिल्ली के अरविंद केजरीवाल सरकार पर हमला कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए जगह और बिजली उपलब्ध करा दी है, लेकिन केंद्र सरकार ने जिसे टेंडर दिए हैं वो देखने तक नहीं आए. इसी कारण दिल्ली में प्लांट नहीं लग पाया है.
आप प्रवक्ता राघव चड्ढा ने इसको लेकर एनडीटीवी से कहा, ‘‘पीएम केयर फंड ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, जो डॉक्टर हर्षवर्धन का मंत्रालय है उसको हिंदुस्तान में ऑक्सीजन प्लांट बनाने की जिम्मेदारी और पैसा दिया गया. दिल्ली में जो प्लांट बनने थे उसमें दिल्ली सरकार से जमीन मांगी गई. अस्पताल के भीतर जमीन आवंटित करने के लिए उनको बोला. हमने उनको आठों जगह जमीन दे दी.’’
चड्ढा आगे केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहते हैं, ‘‘उन्होंने 142 प्लांट बनाने का ठेका एक ठेकेदार को दिया है, जिसमें आठ दिल्ली के भी बनाने थे. अब आठ में से एक प्लांट इनका ठेकेदार बनाकर फरार हो गया. बाकी जो 132-34 के आसपास प्लांट हैं वो भी उस ठेकेदार ने नहीं बनवाया. साफ़ तौर पर एक भ्रष्टाचार केंद्र सरकार ने पीएम केयर फंड की आड़ में किया है. हमने कई दफा पत्र लिखकर कहा कि आपने हमसे जमीन मांगी हमने जमीन दे दी. अब तक प्लांट क्यों नहीं लगा.’’
न्यूजलॉन्ड्री ने बीजेपी दिल्ली के प्रवक्ता हरीश खुराना से सम्पर्क किया. जब हमने उनसे पूछा कि आप नेता दावा कर रहे हैं कि ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए जमीन और बाकी संसाधन उपलब्ध करा दिए हैं या टेंडर वाला लगाने नहीं आया. आप क्या कहेंगे? इसपर वे कहते हैं, ‘‘उनसे कहिए की जमीन और बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए उन्होंने कोई पत्राचार तो किया होगा. उसको जारी करके हमें झूठा साबित कर दें. उन्होंने हाल ही में 9 अप्रैल को उन्होंने अपना नोडल अधिकारी बदला है. क्यों बदला क्योंकि पहले जो थे उन्होंने ठीक से काम नहीं किया. उन्होंने जमीन उपलब्ध नहीं कराई.’’
जब खुराना से उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित 14 में से सिर्फ एक ऑक्सीजन प्लांट बनने को लेकर सवाल किया. जिस पर उनका कहना था, “मैं उत्तर प्रदेश का नागरिक नहीं हूं. दिल्ली का नागरिक हूं और दिल्ली सरकार से सवाल करना मेरा काम है. यूपी की जनता वहां की सरकार से सवाल करेगी.’’
केंद्र सरकार ने जब टेंडर जारी कर दिया. दिल्ली सरकार के दावे के मुताबिक उन्होंने जमीन उपलब्ध करा दी ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर प्लांट क्यों नहीं लगा. इस सवाल का जवाब जिस कंपनी को टेंडर मिला उसी के अधिकारी दे सकते हैं.
स्क्रॉल ने अपनी रिपोर्ट के दौरान पाया था कि उत्तम एयर प्रोडक्ट्स, एयरऑक्स टेक्नोलॉजी और ऑब्स्टैम टेक्नोलॉजी इन तीन कंपनियों को अलग-अलग जगहों पर टेंडर मिला था. दिल्ली के अस्पतालों में लगाने का टेंडर किसे मिला यह पता लगाना मुश्किल रहा ऐसे में हमने तीन कंपनियों से संपर्क करने की कोशिश की. लेकिन हमारी किसी से बात नहीं हुई. इनकी वेबसाइट पर मौजूद ईमेल आईडी पर हमने सवाल भेज दिया है. अगर कोई जवाब आता है तो उसे खबरों में जोड़ दिया जाएगा.
अक्टूबर 2020 में टेंडर जारी होने के बाद अप्रैल 2021 तक कुल 162 ऑक्सीजन प्लांट में से सिर्फ 33 का ही निर्माण हो पाया है. अभी 129 उसमें से भी बनना बाकी है. इसी बीच केंद्र सरकार ने रविवार को देश के 550 अस्पतालों में पीएम केयर फंड से प्लांट लगाने की घोषणा कर दी है. केंद्र सरकार की घोषणा के बाद मीडिया इसे मास्टर स्ट्रोक कह रहा है. बीजेपी नेता इसके लिए प्रधानमंत्री को बधाई दे रहे हैं. हालांकि सवाल तो यह है कि क्या सरकार 550 जिलों में ऑक्सीजन प्लांट लगवा पाएगी या उसका भी हाल 162 प्लांट जैसा ही होगा.