कोविड का कोहराम: शोक संदेशों से पटे गुजराती अखबार

संदेश और दिव्य भास्कर राजकोट संस्करणों में पन्ना दर पन्ना शोक संदेशों और श्रद्धांजलियों से भर गया है.

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कोविड से बुरी तरह प्रभावित राज्यों में गुजरात इस लिहाज से सबसे ऊपर है कि यहां रिकवरी रेट सबसे खराब है लिहाजा यहां कोविड से मरने वालों की दर सबसे ज्यादा है. इसका एक नतीजा हमें गुजरात के अखबारों में दिख रहा है. अखबार शोक संदेशों से भरते जा रहे हैं. 22 अप्रैल को राज्य में आधिकारिक तौर पर कोरोना से संक्रमण के 13,105 नए मामले आए और कोविड से 137 मौतें हुई.

लेकिन यह एक आम धारणा बन चुकी है कि सरकारी आंकड़े सही तस्वीर नहीं दिखा रहे. गुजरात के दो प्रमुख अखबारों के शुक्रवार संस्करणों पर एक नजर ही इस धारणा को और पक्का कर देती है. गुजराती अखबार संदेश के 20 में से 8 पन्ने और दिव्य भास्कर के 14 में से चार पन्ने केवल मृतकों की श्रद्धांजलि और शोक संदेशों के लिए रखे गए. जबकि आधिकारिक तौर पर राजकोट में पिछले साल महामारी शुरू होने से अब तक, कोविड से केवल 354 मौतें ही हुई हैं.

स्थानीय अखबारों में शोक और श्रद्धांजलि संदेश पिछले 2 महीनों से लगातार बढ़ रहे हैं, जो संभवतः कोविड-19 वालों की बढ़ती हुई संख्या की झलक दिखा रहे हैं. हालांकि कुछ संदेशों को एक से ज्यादा बार भी दिया गया है.

शुक्रवार को प्रकाशित हुए कुछ शोक संदेशों में यह भी बताया गया था कि "मौजूदा हालात" को देखते हुए दिवंगत आत्मा के लिए केवल "टेलीफोनिक प्रार्थना सभा" ही रखी जाएगी.

भास्कर में छपे एक अत्यधिक दु:खद शोक संदेश में एक दंपत्ति की फ़ोटो है. मृत्यु की वज़ह का ज़िक्र न करते हुए लिखा है, ‘अमरसिंह जडेजा की मृत्यु 20 अप्रैल को हुई और उनकी पत्नी बिंदुबा जडेजा कि मृत्यु उसके अगले दिन हो गई. उनके लिए प्रार्थना सभा फोन पर ही रखी जाएगी.’

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