लगातार मरीज़ों को एंबुलेंस में शिफ्ट कर रहे पैरामेडिक कर्मचारियों को पीपीई किट बदलने और पानी पीने तक का समय नहीं मिल रहा है. बावजूद इसके एंबुलेंस को कोरोना संक्रमित मरीज़ों के लिए तैयार रखा जा रहा है. जानिए अस्पतालों में कैसे काम कर रही हैं एंबुलेंस सेवाएं.
श्मशान घाट से ड्यूटी ख़त्म होने का कोई समय नहीं
दिल्ली का निगमबोध श्मशान घाट इन दिनों कोविड लाशों का ठिकाना बना हुआ है. हरीश (बदला हुआ नाम) सुबह पहली लाश के साथ एंबुलेंस में बैठकर निगमबोध पहुंच जाते हैं. जिसके बाद वो वहीं रहकर एलएनजेपी (लोक नायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल) से आने वाली कोविड लाशों का दाह संस्कार कराते हैं. उनकी दो बेटियां हैं जो छह और नौ साल की हैं. वो पूरा समय कोविड लाशों से सीधा संपर्क में रहते हैं. ऐसे मे हरीश कहते हैं कि उन्हें डर तो लगता है पर पैसे कमाना भी ज़रूरी है.
वह कहते हैं, “यहां से फ्री होने का कोई समय नहीं रहा है. कल रात को नौ बजे फ्री हुआ. बढ़ते संक्रमण की आंधी के कारण सातों दिन काम करना पड़ रहा है. यहां से पहले अस्पताल जाता हूं, नहाता हूं, और फिर इन कपड़ों को मोर्चरी में बने एक लॉकर में रखता हूं. उसके बाद ही घर जाता हूं,"
हरीश आगे कहते हैं, “वे सुबह नौ बजे निगमबोध श्मशान घाट पहुंच जाते हैं. दिन के दो बज रहे थे जब हमारी उनसे मुलाक़ात हुई. तब तक एलएनजेपी अस्पताल से 20 कोविड लाशें आ चुकी थीं. श्मशान घाट आने वाले सभी एंबुलेंस ड्राइवर और स्वास्थ्य कर्मचारी पीपीई किट पहनकर आते हैं. स्ट्रेचर से लाश को स्ट्रेचर जैसे ही दूसरे ढांचे पर लिटाया जाता है. यह काम केवल पीपीई किट पहने पैरामेडिक कर्मचारी ही करते हैं. अस्पताल लौटने के तुरंत बाद एंबुलेंस को मोर्चरी में सैनिटाइज किया जाता है. एम्बुलेंस में बैठे पैरामेडिक कर्मचारी और ड्राइवर के नहाने के लिए कमरा बनाया गया है. जिसके बाद वो अगले दौरे की तैयारी करते हैं.”
हरीश बताते हैं, “पूरा दिन पीपीई किट में बिताना बहुत कठिन है. खासकर श्मशान घाट आने वाली एंबुलेंस के लिए. धूप के कारण एंबुलेंस अंदर से गरम हो जाती है. पीपीई किट पहनकर वापिस इसी एंबुलेंस में जाते हैं. पूरे शरीर में पसीना बहने लगता है. ऐसा लगता है आग में जल रहे हैं. पानी पीने तक का समय नहीं होता. सर चकराता है. श्मशान घाट पर लाशें जलने के कारण धुआं फ़ैल जाता है जिस से घाट पर गर्मी भी बढ़ जाती है. धुएं के बीच काम करना मुश्किल है. किसी भी समय पीपीई किट उतार नहीं सकते. इसे उतारने के लिए ही दो लोगों की मदद चाहिए होती है. सांस लेने मे तकलीफ बढ़ती जा रही है. लेकिन इस बारे में कोई कुछ नहीं कर सकता." अपने काम के लिए हरीश को 14 हज़ार रूपए महीना मिलते हैं.
दिल्ली के संगमविहार में रहने वाले अभिलाष के बड़े भाई की कोविड से मौत हो गई. वो निगमबोध घाट पर खड़े थे. उनके भाई का इलाज फोर्टिस अस्पताल में चल रहा था. एंबुलेंस न मिलने के कारण उन्होंने बाहर से प्राइवेट एम्बुलेंस को बुलाया. अभिलाष कहते हैं, "इस समय कहीं भी एम्बुलेंस नहीं मिल रही है. एंबुलेंस के लिए वेटिंग लिस्ट में नाम लिखा जाता है."
राहुल (ड्राइवर) अभिलाष के भाई को अपनी एम्बुलेंस में लेकर आये. 20 साल के राहुल दो साल से खुद की एंबुलेंस चला रहे हैं. वो बताते हैं, "सुबह से चार चक्कर लगा चुका हूं. फोर्टिस से लाशों को निगमबोध लाता हूं. हर चक्कर के तीन हज़ार रुपए मिल जाते हैं. "
महाराजा अग्रसेन अस्पताल (पंजाबी बाग) उन 14 निजी अस्पतालों में शामिल है जिन्हे पूर्ण कोविड मरीज़ों के लिए आरक्षित किया गया है. महाराजा अग्रसेन अस्पताल के वरिष्ठ प्रशासन अधिकारी, राकेश गेरा अपने यहां एंबुलेंस सेवाओं का हाल बताते हैं, "हमने एक एंबुलेंस कोविड के मरीज़ों के लिए आरक्षित रखी है जिसमें ड्राइवर और हाउस कीपिंग स्टाफ को पीपीई किट दी जाती है. मरीज़ खुद की गाड़ियों में यहां आते हैं. कोविड लाशों के लिए हमारे पास एंबुलेंस की कोई सुविधा नहीं है लेकिन हम बाहर से एंबुलेंस की व्यवस्था कराने में मदद करते हैं जिसमे दो हज़ार का खर्चा आ जाता है."
नॉन- कोविड मरीज़ नहीं दे पा रहे एंबुलेंस का पैसा
सफदरजंग अस्पताल के अंदर ही हमारी मुलाकात 30 वर्षीय राहुल से हुई जो 14 साल से एंबुलेंस चला रहे हैं. राहुल प्राइवेट एंबुलेंस चलाते हैं. उनके तीन बच्चे हैं. वो पहले 10 से 12 हज़ार कमा लेते थे लेकिन अब उनकी कमाई पर असर पड़ा है. इसकी वजह बताते हुए राहुल कहते हैं, "लोगों को कोरोना हो रहा है लेकिन पिछली कोरोना लहर ने सभी की नौकरी और कमाई के साधन छीन लिए हैं. कोविड के कारण मृतकों के परिजन सरकारी व्यवस्था पर निर्भर रहते हैं. जिनको कोविड नहीं है उनके पास इतना पैसे नहीं हैं कि प्राइवेट एंबुलेंस बुक कर सकें."
बता दें कि देश में कोविड संक्रमण तेज़ी से पैर फैला रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारत में रविवार को 2,61,500 नए कोविड -19 मामले सामने आये. दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा मंगलवार शाम को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में नए 28,395 कोरोनवायरस मामले सामने आये जो पिछले साल महामारी के बाद से एक ही दिन में सबसे ज्यादा हैं. दिल्ली में पाजिटिविटी दर 32% से अधिक पहुंच गई है.