दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
इस बार टिप्पणी में धृतराष्ट्र संजय संवाद की वापसी हो रही है. पूरे देश में जैसे जैसे कोरोना का उत्पात बढ़ रहा है वैसे-वैसे भाजपा के प्रवक्ताओं का अज्ञान और घमंड मिलकर एक जहरीला कॉकटेल बनता जा रहा है. पिछले हफ्ते हमने भाजपा के एक प्रवक्ता गौरव भाटिया के बारे में बताया था, इस हफ्ते उनसे भी दो पायदान ऊपर एक प्रवक्ता खड़ी हैं जिनका नाम है संजू वर्मा.
जितने चौड़े से संजू वर्मा ने ऑनस्क्रीन झूठ बोल दिया उसके लिए 56 इंच का सीना तो चाहिए ही. मौजूदा केंद्र सरकार और उसके नेताओं की सबसे बड़ी विरासत यही है, ऊपर से नीचे तक भरोसे से झूठ बोलना सबको आता है. संजू वर्मा के इस अज्ञानता भरे दावे के बाद कोरोना से निपटने की मौजूदा सरकारी प्रणाली के बारे में कुछ चीजें आप भी जान लीजिए ताकि अगली बार जब संजू वर्मा से मुलाकात हो तो पूछ सकें.
पिछले साल कोरोना के आसन्न खतरे के बाद लागू हुए लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार ने ताबड़तोड़ कई निर्णय लिए थे इनमें से एक था 2 अप्रैल को केद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किया गया एक सर्कुलर. इस सर्कुलर के जरिए कोरोना के इलाज से संबंधित दवाएं, पीपीई किट, एन-95 मास्क और वेंटिलेटर्स की जरूरतों के लिए राज्य सरकारों को केंद्र सरकार से निवेदन करना होगा. बाद में जब दिसंबर के महीने में वैक्सीन देने का चरण शुरू हुआ तब एक बार फिर से केंद्र सरकार ने इस पर कड़ा नियंत्रण रखते हुए खुद ही इसका वितरण करना शुरू किया. किसको कितना वैक्सीन मिलेगा यह निर्णय केंद्र सरकार करती है. हाल ही में केंद्र के इस कड़े नियंत्रण के खिलाफ कई राज्यों ने अपना विरोध भी दर्ज करवाया है.
लगे हाथ एक और चीज को समझ लीजिए तब आपको अहसास होगा कि आज हालात क्यों हाथ से निकल गए हैं. नवंबर के बाद से जब कोरोना की पहली वेव थमने लगी थी, उस वक्त केंद्र सरकार सुपरमैन बनने लगी थी. अपने ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को वैक्सीन देने की बजाय मोदीजी वैक्सीन डिप्लोमेसी चला रहे थे. अगर ज्यादा से ज्यादा लोगों को उस वक्त वैक्सीन दे दी गई होती तो आज देश के पास एक प्राइमरी डिफेंस लाइन तैयार हो गई होती पर ऐसा कुछ नहीं किया गया.
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Contributeइस कचौधन में चार महत्वपूर्ण महीने बर्बाद हो गए. देश कोरोना की दूसरी लहर में फंस गया है. संक्रमण की दर पहले से कई गुना तेज है. मरने की दर भी बढ़ रही है. लेकिन मोहतरमा, संजू वर्मा कह रही हैं कि भाजपा शासित राज्य कोरोना से निपटने में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. उनके दावे में इस लिहाज से सच्चाई है कि भाजपा शासित राज्य आंकड़ों को दबाने, मीडिया की नजरों से दूर रख पाने की बाजीगरी अच्छे से कर रहे हैं. हमने कुछ भाजपा शासित राज्यों का आकलन इस टिप्पणी में किया है.
इस टिप्प्णी में हमने गुजरात का खास तौर से जिक्र इसलिए किया क्योंकि राष्ट्रीय मीडिया बहुत चालाकी से सारा ध्यान महाराष्ट्र पर केंद्रित करके भाजपा शासित राज्यों की बदहाली को छुपा रहा है. इसकी वजह यह है कि गुजरात मोदीजी का गृहराज्य है, और मोदीजी मीडिया के सबसे बड़े पालनहार हैं. लिहाजा नेशनल मीडिया इस महामारी के दौर में भी बेशर्मी से खबरों को छिपाने-दबाने में लगा हुआ है. मीडिया के इस दिवालिएपन को दूर करने का एक ही तरीका है कि अब जनता यानी आप खुद मीडिया को समर्थन दें ताकि मीडिया जनहित की खबरों को इस बेशर्मी से छुपाए नहीं. न्यूज़लॉन्ड्री सब्सक्रिप्शन पर आधारित ऐसा ही एक मंच है. हमारा साथ दें ताकि खबरें आज़ाद रहें.
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