एक अध्ययन के मुताबिक, कीटनाशक प्रदूषण के कारण भारत सहित एशिया में लगभग 49 लाख वर्ग किलोमीटर कृषि भूमि खतरे में हैं.
शोधकर्ताओं ने कहा कि रूस, यूक्रेन और स्पेन में उच्च (एलिवेटेड) प्रदूषण का अनुमान है, यहां की लगभग 62 प्रतिशत कृषि भूमि (23 लाख वर्ग किलोमीटर) में कीटनाशक प्रदूषण का सबसे अधिक खतरा है. दुनिया भर में कीटनाशक का उपयोग बढ़ने के आसार हैं क्योंकि वैश्विक जनसंख्या के 2030 तक 850 करोड़ होने की संभावना है.
एसोसिएट प्रोफेसर मैगी ने कहा, "एक गर्म होती जलवायु में, जहां दुनिया भर में आबादी बढ़ रही है, कीटनाशकों का उपयोग कीटों के आक्रमणों में होने वाली वृद्धि से निपटने और अधिक लोगों के भोजन की मांग को पूरा करने के लिए आवश्यक है."
शोधकर्ताओं ने पर्यावरण के प्रकार- जैसे मिट्टी, सतह का पानी, भूजल और वातावरण के संदर्भ में खतरे को अलग-अलग भागों मे बांटा. तांग ने कहा, "इनमें से सतह के पानी को सबसे अधिक खतरा है क्योंकि यह बह कर जलमार्ग को प्रदूषित कर सकता है."
अध्ययनकर्ताओं ने स्थायी कृषि और टिकाऊ जीवन के लिए एक वैश्विक रणनीति बनाने का सुझाव दिया है, जिसमें कीटनाशकों का उपयोग, खाद्य हानि और भोजन की बर्बादी के कम होना शामिल है.
2019 में संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक पर्यावरण आउटलुक (जीईओ) ने कीटनाशक के उपयोग को कम करने का आह्वान किया था और कहा कि खाद्य उत्पादन में कीटनाशकों का उपयोग न केवल जैव विविधता के नुकसान के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है, बल्कि वायु, ताजे पानी और समुद्री जल का एक प्रमुख प्रदूषक भी है, खासकर जब हम रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों के भरोसे खेती को छोड़ देते हैं.
(डाउन टू अर्थ से साभार)