छत्तीसगढ़: 22 जवानों की मौत सत्ता परिवर्तन के बाद अब तक की सबसे बड़ी घटना, रैलियों में व्यस्त शाह

2000 से ज्यादा जवानों को एक बेहद सघन जंगल में भेजने से पहले पर्याप्त इंटेलिजेंस इनपुट क्यों नहीं लिए गए? ऐसा कैसे हुआ कि 600 से ज्यादा माओवादी एक जगह इकट्ठा थे लेकिन इसकी जानकारी सुरक्षा बालों को नहीं हुई?

WrittenBy:आवेश तिवारी
Date:
Article image

सरकार लगाती रही है तालमेल के अभाव का आरोप

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल माओवादी ऑपरेशन में बार-बार तालमेल के अभाव का आरोप लगाते रहे हैं. पिछले वर्ष मार्च माह में सुकमा में माओवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में छत्तीसगढ़ के 17 पुलिसकर्मियों की मौत के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र पर घटना के दौरान ‘तालमेल की कमी’ का आरोप लगाया था. उन्होंने दावा किया था कि सीआरपीएफ के जवान ‘मौके से 500 मीटर’ दूर मौजूद थे लेकिन उन्होंने कार्रवाई नहीं की क्योंकि उन्हें आदेश नहीं दिया गया था.

बताया जाता है कि उस ऑपरेशन में ‘सीआरपीएफ और डीआरजी (जिला रिजर्व गार्ड) की दोनों टीमें एक साथ ऑपरेशन पर गई थीं. मुठभेड़ स्थल से 500 मीटर की दूरी पर सीआरपीएफ के जवान थे, उन्हें आगे बढ़ने का आदेश नहीं मिला जिसके कारण वे वहीं रुके रहे और कार्रवाई नहीं की. आखिरकार घटना में 17 लोगों की मौत हो गई.

बीजापुर में शनिवार को घटी घटना में भी ऐसी ही चीजें सामने आ रही हैं. यह सवाल जरूर उठेगा कि 2000 से ज्यादा जवानों को एक बेहद सघन जंगल में भेजने से पहले पर्याप्त इंटेलिजेंस इनपुट क्यों नहीं लिए गए? ऐसा कैसे हुआ कि 600 से ज्यादा माओवादी एक जगह इकट्ठा थे लेकिन इसकी जानकारी सुरक्षा बालों को नहीं हुई?

संदेह के घेरे में शान्ति प्रस्ताव

एक के बाद एक घट रही माओवादी वारदात उस शान्ति प्रस्ताव के आने के बाद हो रही है जिसके बारे में CONCERNED CITIZEN SOCIETY OF CITIZEN यानी 4C नाम के एक संगठन ने यह दावा किया था कि नक्सली सरकार से सुलह करना चाह रहे हैं. गौरतलब है कि मार्च के पहले सप्ताह में भाजपा समेत अन्य पार्टियों के प्रतिनिधियों और एक्टिविस्टों के इस संगठन ने पदयात्रा भी शुरू की थी, हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बार-बार कहा है कि पहले माओवादी हिंसा का रास्ता छोड़े फिर कोई बात हो सकती है.

शान्ति प्रस्ताव की यह खबर देश के लगभग सभी बड़े अखबारों पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई थी. अजीबोगरीब यह हुआ कि इस प्रस्ताव के सामने आने के कुछ दिनों बाद माओवादियों ने प्रेस नोट जारी करके बातचीत के लिए तीन शर्तें रख दी. खुद पहल करने वाले एक्टिविस्टों और पत्रकारों को धमकियां भी दी. इस प्रस्ताव पर राज्य के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा था कि वो इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से बात करेंगे, हालांकि साहू के अलावा सरकार के अन्य किसी नेता ने इस कथित शान्ति प्रस्ताव पर कोई टिप्पणी नहीं की.

(साभार- जनपथ)

Also see
article imageदलितों के साथ हुई हिंसा माओवादी संपर्कों के उलझाव में
article imageपुलवामा में मुठभेड़ को कवर कर रहे पत्रकार के साथ पुलिस ने की मारपीट

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like