यूपी से उत्तराखंड जाने वाले यात्रियों की कोविड जांच के बाद उन्हें तुरंत आगे जाने दिया जाता है लेकिन इसकी जांच रिपोर्ट 24 से 30 घंटे बाद आती है.
इसके बाद हमने क्षेत्रीय एसएचओ दीपक कठैत से बात की. जब हमने उन्हें इस व्यवस्था के बारे में बताया तो उन्होंने कहा, "यह जिम्मेदारी मेडिकल टीम की है और प्रशासन द्वारा यह बात उन्हें बता दी गई है. अब जब तक एंटीजन टेस्ट कि रिपोर्ट नहीं आ जाती है उन्हें आगे नहीं भेजा जाएगा. इसमें मैं क्या कर सकता हूं. यह तो मेडिकल टीम की लापरवाही है."
जो लापरवाही चिड़ियापुर बॉर्डर पर हो रही है इसका जिम्मेदार कौन है? इस सवाल पर वह कहते हैं, "इस बात को मैंने वहां मौजूद डॉक्टरों से बोला है और वह इस व्यवस्था को सुधारने की बात भी कर रहे थे. अब देखते हैं क्या होता है."
क्या आपकी ड्यूटी नहीं लगी है वहा? "हमारी ड्यूटी लगी है वहां पर. लाइन बनवाने और किस गाड़ी को भेजना है किसको नहीं यह सभी काम हम ही देख रहे हैं. बाकी का काम स्वास्थ्य टीम संभाल रही है."
पर्ची काटने के लिए भी कुछ लड़के बैठाए गए हैं. वह पर्चियों पर कुछ का कुछ लिख दे रहे हैं. वह आधार कार्ड से देखकर नाम तक नहीं लिख पा रहे हैं. उम्र और नाम भी ठीक नहीं लिख पा रहे हैं? इस सवाल पर वह कहते हैं, "वह सभी प्राइवेट लड़के हैं. यह सब जल्दीबाजी में हुआ है, इसके सुधार में थोड़ा टाइम लग जाएगा. भीड़ बहुत ज्यादा आ रही है यह भी एक समस्या है."
जो कार्य एक तारीख से शुरू होना था वह एक दिन पहले ही 31 मार्च से क्यों शुरू कर दिया गया, जिस कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा? वह कहते हैं, "यह तो आदेश शायद एसडीएम सहाब के होंगे या कुंभ की तरफ से होंगे."
उनका कहना है कि अब टेस्ट के बाद रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही आगे भेजा जा रहा है, और अब 15-20 मिनट में ही रिपोर्ट आ रही है.
इस पूरे मामले पर हमने हरिद्वार के सीएमओ एसके झा से भी बात की. इस पर वह कहते हैं, "जब तक कुंभ मेला चलेगा वहां पर टेस्ट का काम जारी रहेगा. लोग स्नान कर रहे हैं, इंफेक्शन होने का ज्यादा से ज्यादा डर है इसलिए वह टेस्टिंग चल रही है.”
मैं 31 अप्रैल को गया था मेरी रिपोर्ट 1 अप्रैल को यानी 30 घंटे बाद आई है लेकिन मैं इस बीच हरिद्वार घूम कर आ गया हूं मान लिजिए मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आती तो क्या होता जबकि इस बीच मैं सैकड़ों लोगों के संपर्क में आया हूं. इस पर वह कहते हैं, "आप तो पढ़े लिखे आदमी हैं आपको तो आइसोलेट होना चाहिए था. आप हरिद्वार क्यों गए. आरटीपीसीआर जब आपका लिया गया तो आप क्यों घूमें हैं आपने नियम का कोई पालन नहीं किया. अब आपके संपर्क में जो लोग आए होंगे उन्हें सबको देखना होगा. आप कहीं जाकर आइसोलेट हो जाइए.”
टेस्ट के बाद वहां मौजूद मेडिकल टीम और पुलिस टीम ने ही हमें हरिद्वार भेजा था. इस पर वह कहते हैं, आप जाइए और कहीं आइसोलेट हो जाइए. खैर, वह हमारी किसी भी बात का कोई संतुष्ट जवाब नहीं दे पाए और बीच में ही फोन काट दिया.
लखनऊ से अपनी छह माह की बेटी का मुंडन कराने हरिद्वार पहुंचे अनिल सिंह से हमारी मुलाकात हुई. वह कहते हैं, "हम लखनऊ से यहां तक आ गए हैं हमें कोई परेशानी नहीं हुई. लेकिन चिड़ियापुर में लोगों को बेवजह परेशान किया जा रहा है. कोविड टेस्ट के नाम पर खानापूर्ति कर रहे हैं. ऐसे टेस्ट का क्या फायदा जब बिना रिपोर्ट आए ही आगे भेज रहे हैं. यह तो सिर्फ परेशान करने वाली बात है." उन्होंने हमें बाद में बताया कि उनकी रिपोर्ट भी 24 घंटे बाद आई.
यहीं पर हमारी मुलाकात अमरोहा से आए एसपी सिंह से हुई. वह कहते हैं, "चिड़ियापुर बॉर्डर पर कोई नियम कानून नहीं है. यहां भीड़ इतनी है कि अगर किसी को कोरोना नहीं है तो यहां आकर हो जाए. सब एक दूसरे के ऊपर चढ़े हुए हैं."
वह आगे कहते हैं, "उनकी उम्र 58 साल है लेकिन रिपोर्ट में 98 साल लिख दिया है. वहां पर्ची बनाने के लिए कम पढ़े लिखे लोग बैठा रखे हैं. जिन्हें कोई जानकारी नहीं है. नाम तक ठीक से नहीं लिख पा रहे हैं. आधार कार्ड नहीं होने पर उनकी पत्नी का टेस्ट भी नहीं हो सका. उन्हें हरिद्वार ऐसे ही भेज दिया गया. इस व्यवस्था के कोई मायने नहीं है.”
हरिद्वार में हमारी मुलाकात हर की पैड़ी पर बरेली से आए राकेश से हुई. वह कहते हैं, "मैं भी आज ही आया हूं बस से. हमारी बस को ऐसे रोक लिया गया जैसे किसी आतंकी की बस हो. पुलिस ने सभी यात्रियों को उतारकर कोविड टेस्ट के लिए कहा. बस में बैठे आधे से ज्यादा यात्रियों के पास आधार कार्ड नहीं था तो उनका टेस्ट ही नहीं हुआ. बाद में हम सब ऐसे ही हरिद्वार आ गए. बेमतलब परेशान कर रहे हैं लोगों को. इनती भीड़ में तो वैसे ही कोरोना हो जाएगा. ये लोग हमारी जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं."