कुछ शरारती तत्वों ने होलिका के मौके पर दुकान में आग लगा दी. आग से सैलून में लगा एसी, सोफा, कुर्सी, और अन्य जरूरी सामान जल गया.
हरियाणा के करनाल से महज 16 किलोमीटर दूर सग्गा गांव में शकील अहमद पिछले 18 साल से अपना सैलून चला रहे हैं. शकील अमूमन 10 बजे तक अपने सैलून पर काम करते हैं लेकिन 28 मार्च को त्यौहार का दिन होने के चलते ग्राहक कम थे तो शकील ने करीब 8 बजे ही अपना सैलून बंद कर दिया था. उसी रात करीब 2 बजे दुकान में जोरदार धमाका हुआ. धमाके की आवाज से दुकान के आस-पास के लोग जाग गए, शकील और परिवार के लोग जब तक घर से करीब एक किलोमीटर दूर अपनी दुकान तक पहुंचे तब तक देर हो चुकी थी और सैलून में आग लगने से लाखों का नुकसान हो चुका था. यह सब तब हुआ जब लोग शाम ढलने के साथ-साथ होलिका दहन का जश्न मना रहे थे.
आरोप है कि कुछ शरारती तत्वों ने दुकान के रोशनदान से पेट्रोल डालकर आग लगा दी. आग से सैलून में लगा एसी, सोफा, कुर्सी, शीशा और अन्य जरूरी सामान जलकर राख हो गया. सैलून के समाने थोड़ी ही दूरी पर बाल भारती प्राइवेट स्कूल मौजूद है. स्कूल के सीसीटीवी से घटना की फुटेज सामने आई है. जिसमें धमाके के बाद दो शख्स भागते हुए दिखाई दे रहे हैं.
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Contributeशकील ने बताया, "सैलून में उसके अलावा अन्य चार लड़के भी काम करते हैं, सभी की रोजी-रोटी इसी दुकान से चलती है, लेकिन अब मेरा सब कुछ खत्म हो चुका है. आग से करीब 2 लाख रुपये का सामान जलकर राख हो गया. पिछले साल ही उधार लेकर दुकान का नया सामान खरीदा था जिसमें से कुछ रकम अभी भी चुकानी बाकी है."
शकील के परिवार में उनकी पत्नी, चार लड़कियां और एक लड़का है. उनके माता-पिता करीब दो साल पहले गुजर चुके हैं, ऐसे में परिवार में वो अकेले ही कमाने वाले सदस्य हैं.
शकील के पास बैठे दादा बाबू खान भी पोते के दुख में शरीक होने करनाल के कस्बे लाडवा से अपने बड़े बेटे के साथ यहां पहुंचे हैं. करीब 75 साल के बाबू खान कहते हैं, "हमारा परिवार देश की आज़ादी के पहले से गांव सग्गा में रह रहा है. गांव में आज तक धर्म को लेकर किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं रहा है. हमारे सभी पड़ोसी हिन्दू हैं और हम सब मिल जुलकर त्योहार मनाते रहे हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों से माहौल में फर्क नजर आया है. गांव की नई पीढ़ी की सोच में बहुत बदलाव आया है, जिसके कारण भाईचारे में कमी आई है. शकील की दुकान जलाने की घटना ने तो हमें तोड़ ही दिया है."
घटना के बाद से ही शकील की पत्नी शाजदा बहुत दुखी हैं और उनकी तबीयत खराब हो गई है. शाजदा कहती हैं, "दुकान से ही हमारा घर चल रहा था हमारे पास इसके अलावा कोई कमाई का साधन नहीं है जिससे अपने बच्चों को पाल सकें. हमें नुकसान का मुआवजा और दोषियों पर कानून के तहत सख्त कर्रवाई होनी चाहिए."
शकील बताते हैं, "गांव के ही एक व्यक्ति ने फोन करके उन्हें धमकी दी थी. वह पिछले दस साल से बाल कटवाने और दाढ़ी बनवाने के लिए मेरे पास ही आता था, लेकिन एक दिन अचानक से फोन करके वह मुझे धमकी देने लगा. उसने कहा की मैंने उसकी 10 साल की बच्ची की स्टाइलिश कटिंग क्यों की. उसने कहा कि 'तुम मुसलमान हो और हम गांव में मुसलमान को दुकान नहीं चलाने देंगे और उसने मेरे पहनावे पर भी टिप्पणी की."
शकील आगे बताते हैं, "इसके बाद जब मैंने गांव के कुछ लोगों को इसके बारे में बताया तो उन्होंने उसको डांट फटकार लगाई जिसके बाद उसने कभी परेशान नहीं किया. लेकिन पिछले कुछ दिनों से गांव के ही दो लड़के कुलदीप और अंकित मेरी दुकान पर आकर परेशान कर रहे थे. इन दोनों ने कई बार मेरे ग्राहकों के साथ झगड़ा भी किया और दुकान के बाहर खड़े होकर हल्ला किया. गांव में सब मिलजुल कर रहते हैं बस आजकल के कुछ नए लड़के हैं जो सोशल मीडिया पर धर्म के खिलाफ चलने वाली नफरत के शिकार हैं और इसी तरह के लोग हमें परेशान करते हैं."
शकील की दुकान के मालिक 65 वर्षीय महेन्द्र सिंह कहते हैं, "इस घटना से हमें भी बहुत दुख हुआ है. शकील हमारे सामने ही बड़ा हुआ है, हम सुख-दुख में एक दूसरे का साथ देते आये हैं. शकील पिछले 6 साल से हमारी दुकान में सैलून चला रहा है और यहां कभी कोई दिक्कत नहीं हुई है."
घटना की तफ्तीश को लेकर पुलिस के रवैये पर भी सवाल उठ रहे हैं. 29 मार्च की सुबह एक बार मौके पर आने के बाद पुलिस ने कोई जानकारी नहीं जुटाई. हालांकि पुलिस ने गांव के दो युवकों के खिलाफ केस दर्ज किया है. एफआईआर में आरोपी के तौर पर कुलदीप और अंकित पर आईपीसी की धारा 34, 427 और 436 के तहत केस दर्ज किया गया है.
मामले की जांच कर रहे तरावड़ी थाने के पुलिस अधिकारी गुरजीत सिंह कहते हैं, "गांव की पंचायत और शकील की ओर से मामले को गांव स्तर पर ही निबटाने के लिये 4 अप्रैल तक का वक्त मांगा गया है और मामले में अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है."
शकील ने बताया पुलिस ने घटना की फॉरेंसिक टीम से जांच का हवाला देते हुए दुकान के अन्दर जाने से मना किया है और दुकान बंद करवा दी है. लेकिन अब तक फॉरेंसिक टीम सैंपल लेने नहीं आई है. वहीं गांव के सरपंच से बात करने पर पता चला कि पंचायत स्तर पर मामले को निबटाने के लिए पुलिस ने दो दिन का वक्त दिया है. जबकि शकील का कहना है कि अगर उसको न्याय नहीं मिला तो वह जिला सचिवालय के बाहर धरना देकर न्याय की मांग करेगा.
हालांकि गांव की सरपंच सुमन कहती हैं, "गांव में 20 से 25 घर मुस्लिम समुदाय के रहते हैं. गांव में आज तक कभी धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं हुआ. शकील लगभग 18 साल से गांव में दुकान चला रहा है आज तक कोई भी शिकायत नहीं आई है. वह अपने काम से मतलब रखता है और गांव में किसी को उससे कोई परेशानी नहीं है."
पहले भी विवादों में रहा है सग्गा गांव
इससे पहले यह गांव दलित दूल्हे की घुड़चढ़ी को लेकर विवादों में रहा है. सग्गा में राजपूत समुदाय के कुछ लोगों ने दलित दूल्हे को घुड़चढ़ी करने से रोका था जिसके बाद गांव के दलितों ने करनाल डीसी दफ्तर के बाहर धरना दिया था और गांव से पलायन करने की धमकी दी थी.
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