नागरिक संगठन रिहाई मंच ने कहा- मुख्य शहर में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया के कार्यालय को योगी सरकार ने ढहा दिया.
आजमगढ़ से हिंदी और अंग्रेजी में निकलने वाले पायनियर अखबार के कार्यालय को गिराए जाने को नागरिक संगठन रिहाई मंच ने जिला प्रशासन का तानाशाही भरा कदम बताया और इसकी निंदा की है.
मंच के महासचिव राजीव यादव ने कहा, “आजमगढ़ में एसडीएम ने अपने ही नोटिस को धता बताकर अखबार के कार्यालय पर जेसीबी चलवाकर गैरकानूनी कृत्य किया है. इस घटना से साफ होता है कि जब मुख्य शहर में वो भी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया के कार्यालय को योगी सरकार में ढहा दिया जा रहा है तो सुदूर गावों में आम जनता की स्थिति क्या होगी.”
वह कहते हैं, हमें प्रथम दृष्टया लगता है कि यह अखबार के कार्यालय के साथ वरिष्ठ पत्रकारों और आम जनता के संवाद केन्द्र के रूप में भी था जिससे प्रशासन अपने को चिढ़ा-चिढ़ा महसूस करता था. वहीं प्रशासन ने अतिक्रमण के नाम पर पटरी के किनारे कार्यालयी सामानों को बेचने वालों पर कार्रवाई की है. जबकि अगर यह कार्यालय सड़क की ओर हैं तो वहां मौजूद बहुत से सरकारी निर्माण भी सड़क की ओर किए गए हैं.
मंच महासचिव ने कहा कि अगर अखबार का कार्यालय अवैध था तो क्या उसके पक्ष को सुने बगैर कार्रवाई की इजाजत कौन सा कानून प्रशासन देता है. अखबार को चलाने वाले सुनील दत्ता और राम अवध यादव दोनों जर्नलिस्ट क्लब में हैं. राम अवध यादव श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष भी हैं.
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