सीपीआईएम के कथित रूप से 'राजनीतिक हत्याओं' में शामिल होने के बावजूद, केरल की 'कोविड रॉकस्टार' के निर्वाचन क्षेत्र में उनके लिए समर्थन स्पष्ट है.
कन्नूर में राजनैतिक हत्याएं
फिर भी, मट्टननुर में हर कोई शैलजा को लेकर उतना उत्साहित नहीं है. जहां शैलजा ने भोजन किया था वहां से सात किलोमीटर दूर हम सीपी मुहम्मद से मिले, जिन्होंने 2018 में यह प्रण लिया था कि वह सीपीआईएम को 'कभी भी वोट नहीं देंगे'.
मुहम्मद ने बताया कि 12 फरवरी, 2018 की देर रात उनके बेटे एसपी शुहैब के एक्सीडेंट की खबर उन्हें जगाया. गल्फ़ में रहने वाल युवा कांग्रेस के कार्यकर्ता शुहैब तीन साल में पहली बार छुट्टी पर घर आए थे. उन्हें चार दिनों में वापस लौटना था.
अगली सुबह जाकर मुहम्मद को पता चला कि शुहैब अब नहीं रहे. आरोप है कि उन पर कुछ लोगों ने बम से हमला किया और फिर तलवार से उनकी हत्या कर दी. "उनके शरीर पर धारदार हथियार से कई वार किए गए थे," उनके पिता ने कहा. मुहम्मद ने कहा कि उन्होंने अपने बेटे का क्षत-विक्षत शव देखने से मना कर दिया था और पोस्टमार्टम के उपरांत टांके लगाने के बाद ही उन्होंने उसे देखा था.
ख़बरों के अनुसार शुहैब को सीपीआईएम कार्यकर्ताओं के एक समूह ने मार दिया था. ऐसी हिंसा यहां असामान्य नहीं है. साल 2000 से 2016 के बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और सीपीआईएम के बीच वर्चस्व की लड़ाई में कन्नूर में कम से कम 69 राजनैतिक हत्याएं हुईं. न्यूज़मिनट के अनुसार शुहैब की हत्या केरल में 2016 में पिनराई विजयन के मुख्यमंत्री बनने के बाद से 21 वीं राजनैतिक मृत्यु है.



शुहैब के मामले में शुरू-शुरू में एलडीएफ सरकार ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं की भूमिका से इंकार कर दिया. लेकिन आगे चलकर सीपीआईएम ने हत्या के आरोपी चार कार्यकर्ताओं को निलंबित कर दिया. मामले में वर्तमान में 17 आरोपी हैं, और सभी सीपीआईएम कार्यकर्ता हैं. कांग्रेस ने शुहैब के परिवार को मदद दी और मामले की सीबीआई जांच की मांग की. इस अनुरोध को 2019 में केरल उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया.
नतीजतन, मुहम्मद कहते हैं कि वह सीपीआईएम को कभी भी वोट नहीं देंगे.
"पार्टी (सीपीआईएम) का एक भी व्यक्ति हमसे मिलने नहीं गया," उन्होंने कहा. "उनका अपने कार्यकर्ताओं को निलंबित करना यह दर्शाता है कि वे मानते हैं कि मेरे बेटे की मौत में उनकी पार्टी की भूमिका थी. फिर भी, वह कभी नहीं आए.”
जब न्यूज़लॉन्ड्री ने शैलजा से पूछा कि क्या वह शुहैब के परिवार से मिलेंगी, तो उन्होंने सवाल से बचने का प्रयास किया. "हम किसी परिवार के खिलाफ नहीं हैं," उन्होंने कहा. “कोई भी हत्या दुखद है. उस समय की स्थिति ऐसी ही थी." उन्होंने कहा कि कन्नूर में शुहैब की मौत एकमात्र ऐसा मामला नहीं है और सीपीआईएम 'सभी राजनैतिक हत्याओं' की निंदा करती है.
मुहम्मद ने कहा, "सीपीआईएम थोड़ी भी आलोचना बर्दाश्त नहीं कर सकती. यदि आप उनके खिलाफ खुलकर बोलते हैं, तो वे आपको मार देंगे या आपके हाथ-पैर काट कर सड़ने के लिए छोड़ देंगे. आपको रास्ते से हटाने के लिए जो कुछ भी करना पड़े, वह करेंगे. केके शैलजा एक बेहतरीन महिला हो सकती हैं. उन्होंने कोविड के दौरान बहुत अच्छा काम किया होगा. लेकिन मैंने अपने बेटे को खोया है और उनके पार्टी कार्यकर्ताओं ने ही उसे मार डाला. मेरे लिए बस यही मायने रखता है.”
मुहम्मद अब अपने बेटे के नाम पर कपड़ों की दुकान चलाते हैं, जिसे उन्होंने चार महीने पहले स्थापित किया था. "अब मुझे अपना जीवन फिर से शुरू करना है," उन्होंने कहा, "वरना मैं भी इस राजनैतिक उठापटक में खो जाऊंगा."
निष्कर्ष
लेकिन शुहैब के मामले ने मट्टननुर के मतदाताओं को अपनी राजनैतिक निष्ठाओं पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित नहीं किया है. सीपी मुहम्मद की दुकान से कुछ ही दूर, एक स्थानीय चाय की दुकान पर चार लोगों ने न्यूज़लॉन्ड्री से ऐसा ही कहा. उनमें से तीन सीपीआईएम के वफादार थे; चौथा कांग्रेस के लिए वोट करता है.
"शैलजा टीचर हमारी हैं," 62 वर्षीय मूसेकुट्टी ने कहा. "मट्टननुर विधानसभा सीपीआईएम की है, यह तथ्य नहीं बदलेगा.”
चाय की दुकान के मालिक, 65 वर्षीय एस श्रीधरन ने बताया कि जब शुहैब की हत्या हुई थी तो कुछ विरोध-प्रदर्शन हुए थे लेकिन सबकुछ जल्दी ही भुला दिया गया. उन्होंने कहा, "सड़क से उतर कर उस ब्रिज पर जाएं जहां सभी राजनैतिक पोस्टर और झंडे लगे हैं. आपको एक भी आरएसपी का झंडा नहीं दिखेगा. सीपीआईएम यहां पहले ही जीत चुकी है.”
फोटो आदित्य वारियर, ध्यानेश वैष्णव के इनपुट्स के साथ
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