केरल हाईकोर्ट ने लाइव लॉ के खिलाफ नए गाइडलाइंस के तहत कार्रवाई करने पर लगाई रोक

कोर्ट ने कार्यवाही करने पर रोक लगाने के साथ ही केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया है.

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केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को न्यूज पोर्टल लाइव लॉ के पक्ष में फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार को इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स 2021 के तीसरे पार्ट के तहत किसी भी तरह की कार्रवाई पर रोक लगा दी है.

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यह याचिका लाइव लॉ मीडिया प्राइवेट लिमिटेड, लाइव लॉ के फाउंडर और एडिटर इन चीफ एमए राशिद और मैनेजिंग एडिटर मनु सेबस्टियन ने मंगलवार को दायर की थी. कोर्ट ने कार्यवाही करने पर रोक लगाने के साथ ही केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया है.

जस्टिस पीवी आशा ने इस मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से पूछा कि इस कानून से आपके रिपोर्टिंग पर क्या असर पड़ेगा. वकील संतोष मैथ्यू ने कहा, “रूल के पार्ट तीन में स्व नियमन की बात कही गई है, विडंबना यह है कि वे इसे "स्व नियामक" कहते हैं. इस बॉडी को मंत्रालय के साथ पंजीकृत होना होगा. पंजीकरण करने से पहले, मंत्रालय यह निर्णय लेगा कि यह बॉडी स्वीकार्य है या नहीं.”

हम कोर्ट के फैसलों की रिपोर्टिंग करते हैं, अगर वह फैसला किसी को खुशग़वार नहीं हुआ और उसने शिकायत कर दी तो हमें उस शिकायत के लिए अपने कंटेंट पर बातचीत करनी होगी. और यह स्व नियामक जो केंद्र सरकार की दया पर होगा, वह इस मामले में फैसला लेगा.

संतोष मैथ्यू ने आगे कोर्ट में दलील देते हुए कहा, दिल्ली में किसी के तथाकथित नैतिक मानकों को तय करने के कारण हमारे खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता.

केंद्र सरकार के वकील सुविन मेनन ने कहा, कोर्ट के फैसले इस रूल के तहत नहीं आएंगे. उन्होने कहा, जैसा फैसला है अगर उसको वैसे ही रिपोर्ट करेंगे तो उसके लिए एडिटर जिम्मेदार नहीं होगे. इस पर जज ने पूछा क्या आर्टिकल भी इसके दायरे में आएंगे?

इस पर केंद्र के वकील ने कहा, “हां, आर्टिकल भी लेकिन ऐसे आर्टिकल जो अवमानना ​​करने वाला है.” इस पर जज ने कहा, “कोर्ट इसका ध्यान रखेगा”. सुविन मेनन ने आगे कहा, “आर्टिकल के लिए उसके लेखक और एडिटर जिम्मेदार होंगे.”

इस पर लाइव लॉ के वकील संतोष मैथ्यू ने कहा, “मैं यह नहीं कह रहा हूं कि मैं उत्तरदायी नहीं हूं. मैं केवल आईटी अधिनियम के धारा 69 के तहत कह रहा हूं कि उनके पास मुझे रेगुलेट करने की कोई शक्ति नहीं है.”

संतोष मैथ्यू ने कोर्ट से कहा “वह जबरदस्ती की कार्रवाई से सुरक्षा चाहता है.” उन्होने कहा, “हम स्व-नियामक का गठन नहीं करना चाहते हैं. यह हमारे ऊपर बोझ है. हमारा इसके गठन का कोई इरादा नहीं है. हमारे अनुसार धारा 69 केवल इंटरमीडियरी की चिंता है.”

बता दें कि इससे पहले द वायर, उसके एडिटर्स और द न्यूज मिनट की एडिटर ने दिल्ली हाईकोर्ट में इस नए गाइडलाइंस के खिलाफ याचिका दायर की थी. जिस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है.

इस नए गाइडलाइंस को लेकर संपादकों की सबसे बड़ी संस्था एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और डिजीपब न्यूज़ इंडिया फ़ाउंडेशन ने भी अपनी चिंताएं जाहिर की हैं.

यहां पढ़ें पूरा फैसला-

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यह याचिका लाइव लॉ मीडिया प्राइवेट लिमिटेड, लाइव लॉ के फाउंडर और एडिटर इन चीफ एमए राशिद और मैनेजिंग एडिटर मनु सेबस्टियन ने मंगलवार को दायर की थी. कोर्ट ने कार्यवाही करने पर रोक लगाने के साथ ही केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया है.

जस्टिस पीवी आशा ने इस मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से पूछा कि इस कानून से आपके रिपोर्टिंग पर क्या असर पड़ेगा. वकील संतोष मैथ्यू ने कहा, “रूल के पार्ट तीन में स्व नियमन की बात कही गई है, विडंबना यह है कि वे इसे "स्व नियामक" कहते हैं. इस बॉडी को मंत्रालय के साथ पंजीकृत होना होगा. पंजीकरण करने से पहले, मंत्रालय यह निर्णय लेगा कि यह बॉडी स्वीकार्य है या नहीं.”

हम कोर्ट के फैसलों की रिपोर्टिंग करते हैं, अगर वह फैसला किसी को खुशग़वार नहीं हुआ और उसने शिकायत कर दी तो हमें उस शिकायत के लिए अपने कंटेंट पर बातचीत करनी होगी. और यह स्व नियामक जो केंद्र सरकार की दया पर होगा, वह इस मामले में फैसला लेगा.

संतोष मैथ्यू ने आगे कोर्ट में दलील देते हुए कहा, दिल्ली में किसी के तथाकथित नैतिक मानकों को तय करने के कारण हमारे खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता.

केंद्र सरकार के वकील सुविन मेनन ने कहा, कोर्ट के फैसले इस रूल के तहत नहीं आएंगे. उन्होने कहा, जैसा फैसला है अगर उसको वैसे ही रिपोर्ट करेंगे तो उसके लिए एडिटर जिम्मेदार नहीं होगे. इस पर जज ने पूछा क्या आर्टिकल भी इसके दायरे में आएंगे?

इस पर केंद्र के वकील ने कहा, “हां, आर्टिकल भी लेकिन ऐसे आर्टिकल जो अवमानना ​​करने वाला है.” इस पर जज ने कहा, “कोर्ट इसका ध्यान रखेगा”. सुविन मेनन ने आगे कहा, “आर्टिकल के लिए उसके लेखक और एडिटर जिम्मेदार होंगे.”

इस पर लाइव लॉ के वकील संतोष मैथ्यू ने कहा, “मैं यह नहीं कह रहा हूं कि मैं उत्तरदायी नहीं हूं. मैं केवल आईटी अधिनियम के धारा 69 के तहत कह रहा हूं कि उनके पास मुझे रेगुलेट करने की कोई शक्ति नहीं है.”

संतोष मैथ्यू ने कोर्ट से कहा “वह जबरदस्ती की कार्रवाई से सुरक्षा चाहता है.” उन्होने कहा, “हम स्व-नियामक का गठन नहीं करना चाहते हैं. यह हमारे ऊपर बोझ है. हमारा इसके गठन का कोई इरादा नहीं है. हमारे अनुसार धारा 69 केवल इंटरमीडियरी की चिंता है.”

बता दें कि इससे पहले द वायर, उसके एडिटर्स और द न्यूज मिनट की एडिटर ने दिल्ली हाईकोर्ट में इस नए गाइडलाइंस के खिलाफ याचिका दायर की थी. जिस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है.

इस नए गाइडलाइंस को लेकर संपादकों की सबसे बड़ी संस्था एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और डिजीपब न्यूज़ इंडिया फ़ाउंडेशन ने भी अपनी चिंताएं जाहिर की हैं.

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