हफपोस्ट को खरीदने के बाद बजफीड ने 47 कर्मचारियों को निकाला

हफपोस्ट कर्मचारियों की यूनियन ने कहा, “हमें खुद को साबित करने का पर्याप्त समय नहीं दिया गया.”

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अमेरिकी न्यूज पब्लिशर कंपनी बजफीड ने हाल ही में खरीदे गए हफपोस्ट के 47 कर्मचारियों को निकाल दिया है. बजफीड ने कहा है कि हफपोस्ट को घाटे से उबारने के लिए हमें कर्मचारियों को निकालना पड़ रहा है.

कंपनी ने जिन 47 कर्मचारियों को निकाला है उनमें कई रिपोर्टर्स, प्रोड्यूसर्स और एडिटर्स शामिल हैं. इस छंटनी पर हफ़पोस्ट के कार्यकारी संपादक हिलेरी फ्रे, वेबसाइट के कार्यकारी संपादक, और कार्यकारी संपादक लुईस रूग ने भी इस्तीफा दे दिया है.

बजफीड के सीईओ जोनाह परेटी ने कर्मचारियों के साथ एक बैठक में कहा, “हम हफपोस्ट का पुनर्गठन कर इसे प्रॉफिट की ओर तेजी से ले जाना चाहते हैं. दुर्भाग्य से इसमें स्टाफ में कमी शामिल है, और अगले कुछ दिनों में कई प्रतिभाशाली सहयोगियों को निकाला जाएगा."

परेटी ने कहा, “पिछले साल करीब 20 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है और बिना हस्तक्षेप के यह नुकसान इस साल भी होगा. हालांकि बजफीड एक प्रॉफिट कंपनी है लेकिन हमारे पास इतने संसाधन नहीं हैं कि हम दो साल के घाटे का समर्थन कर पाएं.”

वहीं इस फैसले पर हफपोस्ट कर्मचारियों की यूनियन ने कहा, “हमें खुद को साबित करने का पर्याप्त समय नहीं दिया गया.”

इस फैसला को सोशल मीडिया पर कंपनी के कई पत्रकारों ने साझा किया है. साथ ही कंपनी के इस फैसले से नाराजगी भी जाहिर की है.

45 कर्मचारियों को निकाले जाने के साथ ही हफपोस्ट कनाडा को भी बंद कर दिया गया है. कंपनी ने इसे बंद करने के पीछे भी वित्तीय हालात को जिम्मेदार बताया है.

बता दें कि इससे पहले नवंबर 2020 में अचानक हफपोस्ट भारत भी बंद हो गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक संचार क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वेरिजोन ने हफपोस्ट को अमेरिकी मीडिया कंपनी बजफीड को बेच दिया था. लेकिन इस अधिग्रहण में भारत और ब्राजील ऑफिस शामिल नहीं था.

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कंपनी ने जिन 47 कर्मचारियों को निकाला है उनमें कई रिपोर्टर्स, प्रोड्यूसर्स और एडिटर्स शामिल हैं. इस छंटनी पर हफ़पोस्ट के कार्यकारी संपादक हिलेरी फ्रे, वेबसाइट के कार्यकारी संपादक, और कार्यकारी संपादक लुईस रूग ने भी इस्तीफा दे दिया है.

बजफीड के सीईओ जोनाह परेटी ने कर्मचारियों के साथ एक बैठक में कहा, “हम हफपोस्ट का पुनर्गठन कर इसे प्रॉफिट की ओर तेजी से ले जाना चाहते हैं. दुर्भाग्य से इसमें स्टाफ में कमी शामिल है, और अगले कुछ दिनों में कई प्रतिभाशाली सहयोगियों को निकाला जाएगा."

परेटी ने कहा, “पिछले साल करीब 20 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है और बिना हस्तक्षेप के यह नुकसान इस साल भी होगा. हालांकि बजफीड एक प्रॉफिट कंपनी है लेकिन हमारे पास इतने संसाधन नहीं हैं कि हम दो साल के घाटे का समर्थन कर पाएं.”

वहीं इस फैसले पर हफपोस्ट कर्मचारियों की यूनियन ने कहा, “हमें खुद को साबित करने का पर्याप्त समय नहीं दिया गया.”

इस फैसला को सोशल मीडिया पर कंपनी के कई पत्रकारों ने साझा किया है. साथ ही कंपनी के इस फैसले से नाराजगी भी जाहिर की है.

45 कर्मचारियों को निकाले जाने के साथ ही हफपोस्ट कनाडा को भी बंद कर दिया गया है. कंपनी ने इसे बंद करने के पीछे भी वित्तीय हालात को जिम्मेदार बताया है.

बता दें कि इससे पहले नवंबर 2020 में अचानक हफपोस्ट भारत भी बंद हो गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक संचार क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वेरिजोन ने हफपोस्ट को अमेरिकी मीडिया कंपनी बजफीड को बेच दिया था. लेकिन इस अधिग्रहण में भारत और ब्राजील ऑफिस शामिल नहीं था.

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