आज से लगभग 112 साल पहले 1909 में इसकी शुरुआत हुई थी, जब अमेरिका के शहर न्यूयॉर्क में करीब 15 हजार महिलाओं ने मार्च निकालकर नौकरी में कम घंटों, बेहतर सैलरी और वोटिंग के अधिकार की मांग की थी.
ये सब तो विश्व स्तरीय बात रही अब बात करते हैं अपने देश की तो भारत की जीडीपी में महिलाओं का योगदान केवल 17% का है वहीं ग्लोबली ये आंकड़ा 37% है. महिला श्रम शक्ति की बात की जाए तो 2005 से श्रम शक्ति लगातार घटते जा रहा हैं. इकनोमिक सर्वे के अनुसार 2011-2012 में महिला श्रम शक्ति भागीदारी जो 33.1% हुआ करता था वो 2017-2018 में घटकर 25.3% हो गया. बात कृषि विभाग की करें तो ऑक्सफेम इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार 33% महिला कृषि क्षेत्र में श्रमिक की तरह वहीं 48% महिला किसान हैं. जिनमें से केवल 12.8% महिलाएं ऐसी है जिनके पास खुद की ज़मीन हैं.
बात अगर विज्ञान की करें तो मणिपुर विश्विद्यालय के एक सर्वे के अनुसार पूरे देश में 14% महिला ही वैज्ञानिक शोधकर्ता हैं. आईटी सेक्टर की बात करें तो यहां हालात बाकि जगह से सुधरी है इस क्षेत्र में 34% महिला श्रमिक हैं जो अर्थव्यवस्था में अपना योगदान देती हैं. राजनीति की बात की जाए तो भारत में 2018 के लोकसभा के चुनाव में 542 में से मात्र 78 सीट महिलाओं के नाम रहीं.
भारत में मीडिया का बोल बाला है ऐसे में इसको कैसे भूल सकते है, यूएन के एक सर्वे के अनुसार भारत में 5% से भी कम मीडिया क्षेत्र में महिलाओं ने लीडरशिप संभाली हैं. वहीं मैगज़ीन की बात की जाए तो 13.6% , टीवी में 20.9% और डिजिटल में 26.3% महिला उच्च पदों पर हैं.
शर्ली चिशोल्म अमेरिका की पहली श्याम कांग्रेस महिला नेता उन्होंने कहा था कि "इफ दे डोंट गिव यू अ सीट एट टेबल ब्रिंग अ फोल्डिंग चेयर" अभी के समय में महिलाओं के लिए ये बात एकदम सटीक बैठती है. अब ऐसा दौर है जब महिलाएं अपना अवसर खुद बनाती हैं. उसके बाद भी आंकड़े पूरे विश्व में महिलाओं की स्थिति को बखूबी बयान कर रहे हैं.
ये सब तो विश्व स्तरीय बात रही अब बात करते हैं अपने देश की तो भारत की जीडीपी में महिलाओं का योगदान केवल 17% का है वहीं ग्लोबली ये आंकड़ा 37% है. महिला श्रम शक्ति की बात की जाए तो 2005 से श्रम शक्ति लगातार घटते जा रहा हैं. इकनोमिक सर्वे के अनुसार 2011-2012 में महिला श्रम शक्ति भागीदारी जो 33.1% हुआ करता था वो 2017-2018 में घटकर 25.3% हो गया. बात कृषि विभाग की करें तो ऑक्सफेम इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार 33% महिला कृषि क्षेत्र में श्रमिक की तरह वहीं 48% महिला किसान हैं. जिनमें से केवल 12.8% महिलाएं ऐसी है जिनके पास खुद की ज़मीन हैं.
बात अगर विज्ञान की करें तो मणिपुर विश्विद्यालय के एक सर्वे के अनुसार पूरे देश में 14% महिला ही वैज्ञानिक शोधकर्ता हैं. आईटी सेक्टर की बात करें तो यहां हालात बाकि जगह से सुधरी है इस क्षेत्र में 34% महिला श्रमिक हैं जो अर्थव्यवस्था में अपना योगदान देती हैं. राजनीति की बात की जाए तो भारत में 2018 के लोकसभा के चुनाव में 542 में से मात्र 78 सीट महिलाओं के नाम रहीं.
भारत में मीडिया का बोल बाला है ऐसे में इसको कैसे भूल सकते है, यूएन के एक सर्वे के अनुसार भारत में 5% से भी कम मीडिया क्षेत्र में महिलाओं ने लीडरशिप संभाली हैं. वहीं मैगज़ीन की बात की जाए तो 13.6% , टीवी में 20.9% और डिजिटल में 26.3% महिला उच्च पदों पर हैं.
शर्ली चिशोल्म अमेरिका की पहली श्याम कांग्रेस महिला नेता उन्होंने कहा था कि "इफ दे डोंट गिव यू अ सीट एट टेबल ब्रिंग अ फोल्डिंग चेयर" अभी के समय में महिलाओं के लिए ये बात एकदम सटीक बैठती है. अब ऐसा दौर है जब महिलाएं अपना अवसर खुद बनाती हैं. उसके बाद भी आंकड़े पूरे विश्व में महिलाओं की स्थिति को बखूबी बयान कर रहे हैं.
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