भारतीय न्यूजपेपर सोसायटी ने गूगल से रेवेन्यू शेयर करने की मांग की

आईएनएस ने कहा, गूगल को अपने विज्ञापन राजस्व में प्रकाशक की हिस्सेदारी बढ़ाकर 85 फीसदी करना चाहिए.

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आस्ट्रेलिया के बाद अब भारत में भी भारतीय मीडिया कंपनियों ने टेक कंपनियों से रेवेन्यू शेयर करने की मांग की है. भारतीय न्यूजपेपर सोसायटी (आईएनएस) ने गूगल को पत्र लिखकर कहा है कि कंपनी को अखबारों की सामग्री इस्तेमाल करने के लिए भुगतान करना चाहिए.

देश में अखबरों की सबसे बड़े संस्था आईएनएस ने पत्र में कहा, "अखबारों में हजारों की संख्या में पत्रकार काम करते हैं, जो खबरें लाते हैं और उनका वेरिफिकेशन करते हैं. इस पर बड़ी राशि खर्च होती है. समाचार पत्रों की ओर से तैयार की गई सामग्री पर उनका मालिकाना हक है. अखबारों की विश्वसनीय सामग्री के चलते ही गूगल को भारत में शुरुआत से ही विश्वसनीयता मिली है.

आईएनएस ने गूगल इंडिया के प्रमुख को लिखे पत्र में कहा भारतीय अखबारों की सामग्री का इस्तेमाल करने के लिए वह उन्हें भुगतान करे. साथ ही यह भी कहा है कि कंपनी को अपने विज्ञापन राजस्व में प्रकाशक की हिस्सेदारी बढ़ाकर 85 फीसदी करनी चाहिए.

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एक्सचेंज फॉर मीडिया की खबर के अनुसार, गूगल की आमदनी में ऑनलाइन विज्ञापन एक बड़ा हिस्सा है. कंपनी के तीसरे क्वार्टर में जारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में कंपनी को 14 प्रतिशत का मुनाफ़ा हुआ हैं 2019 के तीसरे क्वार्टर के मुकाबले.

मातृभूमि के मैनेजिंग डायरेक्टर श्रेयम कुमार कहते है, “अगर हम गूगल विज्ञापनों से राजस्व के बारे में बात करते हैं, तो हिस्सेदारी इतनी कम है कि यह लगभग कुछ भी नहीं है. गूगल विज्ञापनों से मिलने वाली आमदनी को लेकर कोई पारदर्शिता नहीं है.”

प्रिंट प्रकाशक सबसे ज्यादा इससे प्रभावित है, क्योंकि कई गुना खर्च कर वह इन खबरों को ऑनलाइन पोस्ट करते हैं, जिसके बदले उन्हें सही रेवेन्यू नहीं मिलता है. वहीं वीडियो के लिए एक अच्छा राजस्व हिस्सा है. उदाहरण के लिए यूट्यूब पर वीडियो डालने वाले समाचार ब्रांडो में विज्ञापनों के लिए 45:55 राजस्व हिस्सेदारी की व्यवस्था है.

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आस्ट्रेलिया के बाद अब भारत में भी भारतीय मीडिया कंपनियों ने टेक कंपनियों से रेवेन्यू शेयर करने की मांग की है. भारतीय न्यूजपेपर सोसायटी (आईएनएस) ने गूगल को पत्र लिखकर कहा है कि कंपनी को अखबारों की सामग्री इस्तेमाल करने के लिए भुगतान करना चाहिए.

देश में अखबरों की सबसे बड़े संस्था आईएनएस ने पत्र में कहा, "अखबारों में हजारों की संख्या में पत्रकार काम करते हैं, जो खबरें लाते हैं और उनका वेरिफिकेशन करते हैं. इस पर बड़ी राशि खर्च होती है. समाचार पत्रों की ओर से तैयार की गई सामग्री पर उनका मालिकाना हक है. अखबारों की विश्वसनीय सामग्री के चलते ही गूगल को भारत में शुरुआत से ही विश्वसनीयता मिली है.

आईएनएस ने गूगल इंडिया के प्रमुख को लिखे पत्र में कहा भारतीय अखबारों की सामग्री का इस्तेमाल करने के लिए वह उन्हें भुगतान करे. साथ ही यह भी कहा है कि कंपनी को अपने विज्ञापन राजस्व में प्रकाशक की हिस्सेदारी बढ़ाकर 85 फीसदी करनी चाहिए.

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एक्सचेंज फॉर मीडिया की खबर के अनुसार, गूगल की आमदनी में ऑनलाइन विज्ञापन एक बड़ा हिस्सा है. कंपनी के तीसरे क्वार्टर में जारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में कंपनी को 14 प्रतिशत का मुनाफ़ा हुआ हैं 2019 के तीसरे क्वार्टर के मुकाबले.

मातृभूमि के मैनेजिंग डायरेक्टर श्रेयम कुमार कहते है, “अगर हम गूगल विज्ञापनों से राजस्व के बारे में बात करते हैं, तो हिस्सेदारी इतनी कम है कि यह लगभग कुछ भी नहीं है. गूगल विज्ञापनों से मिलने वाली आमदनी को लेकर कोई पारदर्शिता नहीं है.”

प्रिंट प्रकाशक सबसे ज्यादा इससे प्रभावित है, क्योंकि कई गुना खर्च कर वह इन खबरों को ऑनलाइन पोस्ट करते हैं, जिसके बदले उन्हें सही रेवेन्यू नहीं मिलता है. वहीं वीडियो के लिए एक अच्छा राजस्व हिस्सा है. उदाहरण के लिए यूट्यूब पर वीडियो डालने वाले समाचार ब्रांडो में विज्ञापनों के लिए 45:55 राजस्व हिस्सेदारी की व्यवस्था है.

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