दूरदराज से आए परिजन इसी मिट्टी से अपनों के निकलने की आस में हैं जिस पर बुलडोज़र दौड़ रहे हैं. लेकिन मशीनें सड़क और पुल बनाने में व्यस्त हैं.
उधर धौलीगंगा पर एनटीपीसी के प्रोजेक्ट पर बुधवार को हताश परिवार वालों ने नारेबाज़ी भी की. यहां सुरंग में फंसे लोगों को निकालने की कोशिश रविवार से ही हो रही है लेकिन अब तक कोई कामयाबी न मिल पाने के कारण आपदा प्रबंधन की क्षमता पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहा है.
न्यूज़लॉन्ड्री ने यह समझने के लिये कि राहत कार्य में कामयाबी क्यों नहीं मिल रही है, राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन (एनडीआरएफ) के निदेशक एस एन प्रधान से कई बार बात करने की कोशिश की लेकिन उनसे कोई संपर्क नहीं हो पाया. एनडीआरएफ के डीआईजी एम के यादव ने कहा कि ग्राउंड पर जो लोग काम कर रहे हैं वह इस बारे में बताने के लिये बेहतर स्थिति में होंगे.
उधर सेना के एक अधिकारी ने तपोवन में कहा कि सुरंग में लगातार मलबा आने से राहत कार्य में दिक्कत हो रही है और इस बात की कोशिश हो रही है कि स्लश को सुरंग में जाने से रोका जाये ताकि फंसे लोगों तक पहुंचा जा सके. गुरुवार को धौलीगंगा का जलस्तर बढ़ने से कुछ देर के लिये राहत कार्य रोकना भी पड़ा.
महत्वपूर्ण है कि उत्तराखंड में आई आपदा में कुल 200 से अधिक लोग लापता हैं. इनमें से कई स्थानीय और प्रवासी मज़दूर हैं. उत्तराखंड के अलावा यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और नेपाल के लोग हैं. मौके पर मौजूद लोगों का कहना है कि सरकार ने खोज अभियान को सिर्फ तपोवन स्थित एनटीपीसी के प्लांट तक सीमित रखा है जबकि उसे ऋषिगंगा और धौलीगंगा के बहाव के साथ पूरे रिवर बेसिन में खोज करनी चाहिये.
हालांकि भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) जिसके 450 जवान अलग-अलग जगह राहत और बचाव कार्य में लगे हैं- की डीआईजी अपर्णा कुमार कहती हैं कि यह कहना गलत है कि किसी एक जगह तक सर्च ऑपरेशन सीमित किया गया है.
कुमार के मुताबिक “आईटीबीपी, एनडीआरएफ औऱ राज्य की राहत एजेंसी एसडीआरएफ ये सभी नदी के ऊपर और नीचे दोनों और खोज कर रहे हैं. ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि लोग कहां हो सकते हैं. कल (बुधवार को) हमारे जवानों ने गौचर (ऋषिगंगा से करीब 100 किलोमीटर दूर) से एक लाश निकाली है. यह इतना बड़ा इलाका है कि सब जगह खोजकर्मी आप देख नहीं सकते और वह हर जगह जेसीबी मशीन लेकर नहीं जायेंगे. कहीं एक-दो जवान रस्सी लेकर भी जा रहे हैं और लापता लोगों को ढूंढ रहे हैं. अगर एक छोटी सी जगह (तपोवन) में वह इकट्टठा हुये हैं तो यह नहीं कह सकते कि वह सिर्फ वहीं हैं. वह वहां दिख रहे हैं क्योंकि वहां लोगों के ज़िन्दा होने की सबसे अधिक संभावना है”
वहीं उत्तराखंड के ताजा हालात पर पीआईबी उत्तराखंड ने ट्वीट कर जानकारी दी है. कहा गया है कि 204 लापता में से अभी तक 35 शव बरामद किए गए हैं. जिसमें से 10 शवों की शिनाख्त की गई है.
उधर धौलीगंगा पर एनटीपीसी के प्रोजेक्ट पर बुधवार को हताश परिवार वालों ने नारेबाज़ी भी की. यहां सुरंग में फंसे लोगों को निकालने की कोशिश रविवार से ही हो रही है लेकिन अब तक कोई कामयाबी न मिल पाने के कारण आपदा प्रबंधन की क्षमता पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहा है.
न्यूज़लॉन्ड्री ने यह समझने के लिये कि राहत कार्य में कामयाबी क्यों नहीं मिल रही है, राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन (एनडीआरएफ) के निदेशक एस एन प्रधान से कई बार बात करने की कोशिश की लेकिन उनसे कोई संपर्क नहीं हो पाया. एनडीआरएफ के डीआईजी एम के यादव ने कहा कि ग्राउंड पर जो लोग काम कर रहे हैं वह इस बारे में बताने के लिये बेहतर स्थिति में होंगे.
उधर सेना के एक अधिकारी ने तपोवन में कहा कि सुरंग में लगातार मलबा आने से राहत कार्य में दिक्कत हो रही है और इस बात की कोशिश हो रही है कि स्लश को सुरंग में जाने से रोका जाये ताकि फंसे लोगों तक पहुंचा जा सके. गुरुवार को धौलीगंगा का जलस्तर बढ़ने से कुछ देर के लिये राहत कार्य रोकना भी पड़ा.
महत्वपूर्ण है कि उत्तराखंड में आई आपदा में कुल 200 से अधिक लोग लापता हैं. इनमें से कई स्थानीय और प्रवासी मज़दूर हैं. उत्तराखंड के अलावा यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और नेपाल के लोग हैं. मौके पर मौजूद लोगों का कहना है कि सरकार ने खोज अभियान को सिर्फ तपोवन स्थित एनटीपीसी के प्लांट तक सीमित रखा है जबकि उसे ऋषिगंगा और धौलीगंगा के बहाव के साथ पूरे रिवर बेसिन में खोज करनी चाहिये.
हालांकि भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) जिसके 450 जवान अलग-अलग जगह राहत और बचाव कार्य में लगे हैं- की डीआईजी अपर्णा कुमार कहती हैं कि यह कहना गलत है कि किसी एक जगह तक सर्च ऑपरेशन सीमित किया गया है.
कुमार के मुताबिक “आईटीबीपी, एनडीआरएफ औऱ राज्य की राहत एजेंसी एसडीआरएफ ये सभी नदी के ऊपर और नीचे दोनों और खोज कर रहे हैं. ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि लोग कहां हो सकते हैं. कल (बुधवार को) हमारे जवानों ने गौचर (ऋषिगंगा से करीब 100 किलोमीटर दूर) से एक लाश निकाली है. यह इतना बड़ा इलाका है कि सब जगह खोजकर्मी आप देख नहीं सकते और वह हर जगह जेसीबी मशीन लेकर नहीं जायेंगे. कहीं एक-दो जवान रस्सी लेकर भी जा रहे हैं और लापता लोगों को ढूंढ रहे हैं. अगर एक छोटी सी जगह (तपोवन) में वह इकट्टठा हुये हैं तो यह नहीं कह सकते कि वह सिर्फ वहीं हैं. वह वहां दिख रहे हैं क्योंकि वहां लोगों के ज़िन्दा होने की सबसे अधिक संभावना है”
वहीं उत्तराखंड के ताजा हालात पर पीआईबी उत्तराखंड ने ट्वीट कर जानकारी दी है. कहा गया है कि 204 लापता में से अभी तक 35 शव बरामद किए गए हैं. जिसमें से 10 शवों की शिनाख्त की गई है.
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