एसआईटी की रिपोर्ट में भी लव जिहाद का जिक्र नहीं है. वहीं बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद जैसे दक्षिणपंथी ग्रुपों द्वारा इसे लव जिहाद का नाम दिया जाता रहा है.
‘मामला लव जिहाद का था ही नहीं’
शालिनी यादव प्रकरण आने के बाद दक्षिणपंथी समूह द्वारा बनाए गए दबाव के बाद गठित एसआईटी ने कल्याणपुर थाने में दर्ज एफआईआर संख्या 862/20 की भी जांच की. यह एफआईआर दो जुलाई 2020 को जूही लाल कॉलोनी निवासी शाहरुख़ खान पिता खलील और दूसरे आरोपी शाहरुख़, पिता कमाल अहमद के खिलाफ देवी प्रसाद ने दर्ज कराई है.
देवी प्रसाद ने अपने एफआईआर में आरोप लगाया कि मेरी बेटी मोनिका (उम्र 19 वर्ष) और रैना (उम्र 14 वर्ष) को 9 जून को प्रतिवादियों द्वारा बहला फुसलाकर षड्यंत्र के तहत भगा ले गए. इस मामले में आरोपियों पर आईपीसी की धारा 363, 120बी, 376डी और पास्को एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया.
एसआईटी की रिपोर्ट में लिखा गया है कि वादी की बेटियों को 2 जुलाई को बरामद कर लिया गया. और साथ ही 6 जुलाई को जूही लाल कॉलोनी के रहने वाले शाहरुख़ को गिरफ्तार किया गया और अगले दिन दूसरे शाहरुख़ को भी पुलिस हिरासत में लेकर जेल भेज दी.
पीड़िता मोनिका ने कोर्ट के सामने दिए अपने 164 के बयान में बताया कि मैं अपनी मर्जी से 9 जुलाई को शाहरुख़ के घर गई थी. शाहरुख़ और खलील ने किसी भी तरह की जोर जबरदस्ती नहीं की. किसी ने मेरा बलात्कार नहीं किया. वहीं पीड़िता रिचा ने अपने 161 के बयान में आरोपियों द्वारा उसके साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने की बात कही थी.
इस मामले की जांच आवास विकास-3 के चौकी इंचार्ज आनंद द्विवेदी ने की थी. न्यूजलॉन्ड्री जब उनसे मिला और इस मामले में जानने की कोशिश की तो वह कहते हैं, ‘‘मामला लव जिहाद का नहीं था. लड़कियां भाग गई थीं. उसमें एक लड़की नाबालिक थी उसी आरोप में जेल हुई है. लव जिहाद जैसा इसमें कुछ था नहीं.’’
न्यूजलॉन्ड्री ने पीड़ित लड़कियों से मिलने की कोशिश की लेकिन जिन घरों पर लड़कियों की मां और पिताजी काम करते हैं उन्होंने बात कराने से साफ इंकार कर दिया.लड़कियों के परिजन आवास विकास में रहने वाले सुमित द्विवेदी के घर पर काम करते हैं.
सुमित न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए पूरे मामले को लव जिहाद बताते हैं. वे कहते हैं, ‘‘उन लड़कों ने दोस्ती से पहले अपना धर्म छुपाया था. जब दोस्ती हो गई तो बताया कि वे मुस्लिम हैं. उन्होंने लड़कियों को बहलाया-फुसलाया. इसे लव जिहाद नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे.’’
लड़कियों और उनके परिजनों से मुलाकात के सवाल पर सुमित साफ तौर पर मना कर देते हैं. वे कहते हैं, ‘‘वे किसी से बात नहीं करना चाहते हैं तो उन्हें क्यों परेशान करना. उन्हें कुछ हो गया. मानसिक स्थिति खराब हुई तो क्या आप जिम्मेदारी लेंगे.’’
नाराजगी जाहिर करते हुए सुमित हमें पीड़ित परिवार से मिलने की इजाजत नहीं देते हैं और फोन रख देते हैं.
एक तरह जहां जांच अधिकारी इस मामले को लव जिहाद मानने से इंकार करते हैं वहीं मीडिया का एक बड़ा हिस्सा इसे लव जिहाद लिखता है. सुमित और कानपुर के कई दक्षिणपंथी समूह इसे लव जिहाद ही मानते हैं. वे जूही लाल कॉलोनी को लव जिहाद का अड्डा बताते हैं. शाहरुख़ जूही लाल कॉलोनी का ही रहने वाला है.
न्यूजलॉन्ड्री जूही लाल कॉलोनी स्थित शाहरुख के घर पहुंचा. यहां जाने से पहले एक खंडहरनुमा बिल्डिंग में बनी पुलिस चौकी में बैठे अधिकारी से हमारी मुलाकात हुई. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए यहां के एक अधिकारी बताते हैं, ‘‘यह इलाका मिक्स आबादी वाला है. मामला भले ही मुसलमान लड़कों द्वारा हिन्दू लड़कियों से शादी का उछला हो लेकिन यहां कई हिन्दू लड़कों ने भी मुस्लिम लड़कियों से शादी की है. यहां के लिए ये कोई नई बात नहीं है. हालांकि अब बवाल तो ज़्यादा ही हो गया.’’
यहीं पुलिस अधिकारी अपने एक दुबले पतले अर्दली को लेकर हमें शाहरुख़ के घर भेजते हैं. सड़क किनारे बने छोटे से घर में बैठने की भी जगह है. हमें खड़े होकर बात करना पड़ता है. घर पर शाहरुख़ की मां और छोटे भाई से हमारी मुलाकात हुई.
शाहरुख़ की मां कहती हैं, ‘‘उसकी दोस्ती यारी थी. फोन पर बात करते थे. जब हमें इसकी जानकारी मिली तो हमने अपने लड़के को इलाहाबाद भेज दिया. वो वहीं पर गैराज में काम करता था. जिस लड़के के साथ वो काम करता था उसका नाम भी शाहरुख़ ही है. वो लोग पहले यहीं रहते थे. दूसरे शाहरुख़ की बड़ी बहन की शादी थी उससे इन लड़कियों की दोस्ती थी. शादी के बहाने ये लड़कियां वहां पहुंच गईं. मोनिका और रैना वहां 20 दिन रहीं. मेरे लड़के को शादी वादी करनी होनी तो उस वक़्त तो कोर्ट भी खुला था. लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. जिसके घर ये सब गए थे उन्होंने इनकी मां को फोन करके बताया भी तो उनकी मां ने बोला कि गई है तो आ जाएगी. इस दौरान इनके मां बाप ने केस दर्ज करा दिया. लड़कियां तो मेरे घर आई ही नहीं थीं. एक रोज पुलिस आई मेरे बड़े लड़के और मुझे लेकर गई. मेरा बड़ा बेटा डिप्रेशन का मरीज है.’’
शाहरुख़ के भाई जीशान बताते हैं, ‘‘हमें थाने में चार दिनों तक बैठाकर रखा गया. जब मेरे भाई को पता चला कि अम्मी और हम चार दिन से थाने में हैं तो मोनिका और मेरा भाई सीधे थाने पहुंच गए. वहां मोनिका ने बोला कि इसकी कोई गलती नहीं है. फिर भी मेरे भाई को जेल भेज दिया गया.’’
शाहरुख़ की मां कहती हैं, ‘‘मोनिका मेरे लड़के से शादी के लिए कहती थी. उसने हमसे कहा तो हमने लॉकडाउन के कारण रुकने के लिए कहा. मोनिका की मां बराबर मेरे लड़के से मिलती थी. किसी भी काम के लिए बुलाती थी. अपने लड़कों को समझाते हुए मैं बोली थी कि अगर ऐसा है तो मैं उनकी मां से एक बार बात करूंगी. अपनी लड़की को समझाइये और हम अपने बेटे को समझाते हैं. नहीं तो अगर शादी करना चाहते हैं तो बताइये. अभी यह सब बातें होती तो उससे पहले ही यह सब हो गया.’’
शाहरुख़ के भाई जीशान बताते हैं, ‘‘मेरा भाई बीते सात महीने से जेल में बंद है. पनकी थाने में हुए एक मामले में भी मेरे भाई का नाम जोड़ दिया गया है. वे जेल में थे तब उसका नाम पनकी में हुए मामले में जोड़ा गया है. जबकि लड़की ने साफ कहा कि मेरे भाई ने उनके साथ कुछ भी गलत नहीं किया है. वो अपने मन से गई थी. हमारे वकील अभी कह रहे हैं कि मामला बड़ा हो गया है. थोड़ा महौल शांत होगा तभी कुछ कर सकते हैं.’’
लव जिहाद क्या होता है?
कानपुर में एसआईटी ने 14 मामलों की जांच की थी जिसमें पांच मामले नौबस्ता थाने के ही हैं. इसमें से एक मामला 13 सितंबर 2020 को सीमा रैदास द्वारा दर्ज कराया गया. आईपीसी के धारा 363, 366 और एसी- एसटी एक्ट के तहत दर्ज इस मामले में आरोपी मोहम्म्द आरिफ है. जिसे पुलिस ने हिरासत में लेकर जेल भेज दिया है.
एसआईटी रिपोर्ट के मुताबिक पीड़िता नाबालिक रेखा (बदला नाम) ने कोर्ट में दिए अपने 164 के बयान में बताया, ''13 सितंबर को आरोपी उसे बॉम्बे गोहाटी पर मिला और अपने लोडर पर बैठा लिया. मैं उसे पहले से जानती थी. उसने मुझसे कहा कि मैं तुम्हें छोड़ दूंगा. वो मुझे आजमगढ़ ले गया. उसने मुझे धमकया कि अगर तुम कुछ बोलीं तो मैं तुम्हें मार दूंगा. आजमगढ़ में कुर्सी उतरने के बाद बस अड्डे ले गया. जहां उसका एक दोस्त मिला. मैं और आरिफ वहां से दिल्ली चले गए. वहां उसके एक दोस्त के घर में रुके. जब उसका दोस्त और उसकी पत्नी कहीं चले गए तो आरिफ ने मेरे साथ गलत काम किया. फिर किसी का फोन आया तो हम लोग दिल्ली से बस से झकरकटी बस अड्डे आए और वहां बस अड्डे पर मुझे छोड़कर चला गया.''
इस मामले की जांच नौबस्ता थाने के अधिकारी बृजेश कटारिया ने की थी. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए कटारिया इसे लव जिहाद की बजाय अपराध का मामला बताते हैं. वे हमें लड़की के घर तक ले गए, लेकिन लड़की के परिजनों से लड़की से बात कराने से इंकार कर दिया. लड़की की मां और सौतेले पिता से हमारी मुलाकात उनके काम करने वाली जगह पर हुई. जहां वे झुग्गी डालकर रहते हैं. लड़की के पिता का निधन हो चुका है.
जिस जगह पर पीड़िता की मां और पिता काम करते हैं वहीं आरोपी आरिफ भी काम करता था. वो लड़की और उसके परिजनों को लम्बे समय से जनता था. वहीं लड़की के परिजन भी उसे जानते थे. वहां काम करने वाले कई मज़दूरों ने हमें बताया कि आरिफ इस तरह के अपराध पहले भी कर चुका है. वो आपराधिक मानसिकता का लड़का है.
लड़की की मां सीमा न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए कहती हैं, “हम लोग आरिफ को जानते थे. पता नहीं क्या ऐसा हुआ. लड़की चली गई. इधर-उधर हमने पूछा तो हमें शक हुआ तो हमने शिकायत दर्ज कराई. पुलिस उसके पिता और भाई को पकड़कर थाने में लाई फिर वो मेरी बेटी को बस स्टैंड छोड़कर भाग गया. वो पूर्व में लड़कियों को फंसाकर बेंच चुका है.”
आपको कैसे पता चला कि आरोपी आरिफ ही है. लड़की की मां कहती है, ‘‘हम शक के दायरे में मामला दर्ज कराने गए. फिर हमने उस लड़के को फोन किया. वो उल्टा सीधा बोलने लगा. हम क्या जाने. हमको क्या पता. फिर मेरे मन को लगा कि इसी ने ऐसा किया है. फिर उसी लड़के का फोन आया और बोला कि तुम्हारी लड़की के पास फोन है. हमने मना किया तो बोला कि लड़की को फोन नहीं दोगे तो वो भाग जाएगी. फिर हमें लगा कि इसे कैसे पता कि हमने लड़की को फोन नहीं दिया. फिर हमने उसपर मामला दर्ज कराया.’’
लड़की की मां सीमा बताती हैं कि हम जैसे-तैसे आरिफ के घर पहुंचे. हमारे साथ पुलिसकर्मी भी गए थे. वहां से उसके पिता और भाई को पकड़कर लाए तब वो दबाव में आया और फिर वापस लौटा. पुलिस उसको हिरासत में ली. वो शादीशुदा था. उसकी पत्नी थाने में आकर लड़ने लगी.
आपको लगता है कि यह लव जिहाद का मामला है. लड़की के परिजन कहते हैं, ‘‘लव जिहाद क्या होता है. हमें नहीं मालूम. हमारी लड़की वापस आ गई हमें ख़ुशी है. हम लोग तो मज़दूर हैं. हमें काम से समय ही नहीं मिलता है कि हम लड़ाई लड़ें. सरकारी वकील हमारे मामले को देख रहे हैं.’’
न्यूजलॉन्ड्री ने लड़के के परिवार से बात करने की कोशिश की लेकिन हमारी बात नहीं हो पाई.
‘मामला लव जिहाद का था ही नहीं’
शालिनी यादव प्रकरण आने के बाद दक्षिणपंथी समूह द्वारा बनाए गए दबाव के बाद गठित एसआईटी ने कल्याणपुर थाने में दर्ज एफआईआर संख्या 862/20 की भी जांच की. यह एफआईआर दो जुलाई 2020 को जूही लाल कॉलोनी निवासी शाहरुख़ खान पिता खलील और दूसरे आरोपी शाहरुख़, पिता कमाल अहमद के खिलाफ देवी प्रसाद ने दर्ज कराई है.
देवी प्रसाद ने अपने एफआईआर में आरोप लगाया कि मेरी बेटी मोनिका (उम्र 19 वर्ष) और रैना (उम्र 14 वर्ष) को 9 जून को प्रतिवादियों द्वारा बहला फुसलाकर षड्यंत्र के तहत भगा ले गए. इस मामले में आरोपियों पर आईपीसी की धारा 363, 120बी, 376डी और पास्को एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया.
एसआईटी की रिपोर्ट में लिखा गया है कि वादी की बेटियों को 2 जुलाई को बरामद कर लिया गया. और साथ ही 6 जुलाई को जूही लाल कॉलोनी के रहने वाले शाहरुख़ को गिरफ्तार किया गया और अगले दिन दूसरे शाहरुख़ को भी पुलिस हिरासत में लेकर जेल भेज दी.
पीड़िता मोनिका ने कोर्ट के सामने दिए अपने 164 के बयान में बताया कि मैं अपनी मर्जी से 9 जुलाई को शाहरुख़ के घर गई थी. शाहरुख़ और खलील ने किसी भी तरह की जोर जबरदस्ती नहीं की. किसी ने मेरा बलात्कार नहीं किया. वहीं पीड़िता रिचा ने अपने 161 के बयान में आरोपियों द्वारा उसके साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने की बात कही थी.
इस मामले की जांच आवास विकास-3 के चौकी इंचार्ज आनंद द्विवेदी ने की थी. न्यूजलॉन्ड्री जब उनसे मिला और इस मामले में जानने की कोशिश की तो वह कहते हैं, ‘‘मामला लव जिहाद का नहीं था. लड़कियां भाग गई थीं. उसमें एक लड़की नाबालिक थी उसी आरोप में जेल हुई है. लव जिहाद जैसा इसमें कुछ था नहीं.’’
न्यूजलॉन्ड्री ने पीड़ित लड़कियों से मिलने की कोशिश की लेकिन जिन घरों पर लड़कियों की मां और पिताजी काम करते हैं उन्होंने बात कराने से साफ इंकार कर दिया.लड़कियों के परिजन आवास विकास में रहने वाले सुमित द्विवेदी के घर पर काम करते हैं.
सुमित न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए पूरे मामले को लव जिहाद बताते हैं. वे कहते हैं, ‘‘उन लड़कों ने दोस्ती से पहले अपना धर्म छुपाया था. जब दोस्ती हो गई तो बताया कि वे मुस्लिम हैं. उन्होंने लड़कियों को बहलाया-फुसलाया. इसे लव जिहाद नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे.’’
लड़कियों और उनके परिजनों से मुलाकात के सवाल पर सुमित साफ तौर पर मना कर देते हैं. वे कहते हैं, ‘‘वे किसी से बात नहीं करना चाहते हैं तो उन्हें क्यों परेशान करना. उन्हें कुछ हो गया. मानसिक स्थिति खराब हुई तो क्या आप जिम्मेदारी लेंगे.’’
नाराजगी जाहिर करते हुए सुमित हमें पीड़ित परिवार से मिलने की इजाजत नहीं देते हैं और फोन रख देते हैं.
एक तरह जहां जांच अधिकारी इस मामले को लव जिहाद मानने से इंकार करते हैं वहीं मीडिया का एक बड़ा हिस्सा इसे लव जिहाद लिखता है. सुमित और कानपुर के कई दक्षिणपंथी समूह इसे लव जिहाद ही मानते हैं. वे जूही लाल कॉलोनी को लव जिहाद का अड्डा बताते हैं. शाहरुख़ जूही लाल कॉलोनी का ही रहने वाला है.
न्यूजलॉन्ड्री जूही लाल कॉलोनी स्थित शाहरुख के घर पहुंचा. यहां जाने से पहले एक खंडहरनुमा बिल्डिंग में बनी पुलिस चौकी में बैठे अधिकारी से हमारी मुलाकात हुई. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए यहां के एक अधिकारी बताते हैं, ‘‘यह इलाका मिक्स आबादी वाला है. मामला भले ही मुसलमान लड़कों द्वारा हिन्दू लड़कियों से शादी का उछला हो लेकिन यहां कई हिन्दू लड़कों ने भी मुस्लिम लड़कियों से शादी की है. यहां के लिए ये कोई नई बात नहीं है. हालांकि अब बवाल तो ज़्यादा ही हो गया.’’
यहीं पुलिस अधिकारी अपने एक दुबले पतले अर्दली को लेकर हमें शाहरुख़ के घर भेजते हैं. सड़क किनारे बने छोटे से घर में बैठने की भी जगह है. हमें खड़े होकर बात करना पड़ता है. घर पर शाहरुख़ की मां और छोटे भाई से हमारी मुलाकात हुई.
शाहरुख़ की मां कहती हैं, ‘‘उसकी दोस्ती यारी थी. फोन पर बात करते थे. जब हमें इसकी जानकारी मिली तो हमने अपने लड़के को इलाहाबाद भेज दिया. वो वहीं पर गैराज में काम करता था. जिस लड़के के साथ वो काम करता था उसका नाम भी शाहरुख़ ही है. वो लोग पहले यहीं रहते थे. दूसरे शाहरुख़ की बड़ी बहन की शादी थी उससे इन लड़कियों की दोस्ती थी. शादी के बहाने ये लड़कियां वहां पहुंच गईं. मोनिका और रैना वहां 20 दिन रहीं. मेरे लड़के को शादी वादी करनी होनी तो उस वक़्त तो कोर्ट भी खुला था. लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. जिसके घर ये सब गए थे उन्होंने इनकी मां को फोन करके बताया भी तो उनकी मां ने बोला कि गई है तो आ जाएगी. इस दौरान इनके मां बाप ने केस दर्ज करा दिया. लड़कियां तो मेरे घर आई ही नहीं थीं. एक रोज पुलिस आई मेरे बड़े लड़के और मुझे लेकर गई. मेरा बड़ा बेटा डिप्रेशन का मरीज है.’’
शाहरुख़ के भाई जीशान बताते हैं, ‘‘हमें थाने में चार दिनों तक बैठाकर रखा गया. जब मेरे भाई को पता चला कि अम्मी और हम चार दिन से थाने में हैं तो मोनिका और मेरा भाई सीधे थाने पहुंच गए. वहां मोनिका ने बोला कि इसकी कोई गलती नहीं है. फिर भी मेरे भाई को जेल भेज दिया गया.’’
शाहरुख़ की मां कहती हैं, ‘‘मोनिका मेरे लड़के से शादी के लिए कहती थी. उसने हमसे कहा तो हमने लॉकडाउन के कारण रुकने के लिए कहा. मोनिका की मां बराबर मेरे लड़के से मिलती थी. किसी भी काम के लिए बुलाती थी. अपने लड़कों को समझाते हुए मैं बोली थी कि अगर ऐसा है तो मैं उनकी मां से एक बार बात करूंगी. अपनी लड़की को समझाइये और हम अपने बेटे को समझाते हैं. नहीं तो अगर शादी करना चाहते हैं तो बताइये. अभी यह सब बातें होती तो उससे पहले ही यह सब हो गया.’’
शाहरुख़ के भाई जीशान बताते हैं, ‘‘मेरा भाई बीते सात महीने से जेल में बंद है. पनकी थाने में हुए एक मामले में भी मेरे भाई का नाम जोड़ दिया गया है. वे जेल में थे तब उसका नाम पनकी में हुए मामले में जोड़ा गया है. जबकि लड़की ने साफ कहा कि मेरे भाई ने उनके साथ कुछ भी गलत नहीं किया है. वो अपने मन से गई थी. हमारे वकील अभी कह रहे हैं कि मामला बड़ा हो गया है. थोड़ा महौल शांत होगा तभी कुछ कर सकते हैं.’’
लव जिहाद क्या होता है?
कानपुर में एसआईटी ने 14 मामलों की जांच की थी जिसमें पांच मामले नौबस्ता थाने के ही हैं. इसमें से एक मामला 13 सितंबर 2020 को सीमा रैदास द्वारा दर्ज कराया गया. आईपीसी के धारा 363, 366 और एसी- एसटी एक्ट के तहत दर्ज इस मामले में आरोपी मोहम्म्द आरिफ है. जिसे पुलिस ने हिरासत में लेकर जेल भेज दिया है.
एसआईटी रिपोर्ट के मुताबिक पीड़िता नाबालिक रेखा (बदला नाम) ने कोर्ट में दिए अपने 164 के बयान में बताया, ''13 सितंबर को आरोपी उसे बॉम्बे गोहाटी पर मिला और अपने लोडर पर बैठा लिया. मैं उसे पहले से जानती थी. उसने मुझसे कहा कि मैं तुम्हें छोड़ दूंगा. वो मुझे आजमगढ़ ले गया. उसने मुझे धमकया कि अगर तुम कुछ बोलीं तो मैं तुम्हें मार दूंगा. आजमगढ़ में कुर्सी उतरने के बाद बस अड्डे ले गया. जहां उसका एक दोस्त मिला. मैं और आरिफ वहां से दिल्ली चले गए. वहां उसके एक दोस्त के घर में रुके. जब उसका दोस्त और उसकी पत्नी कहीं चले गए तो आरिफ ने मेरे साथ गलत काम किया. फिर किसी का फोन आया तो हम लोग दिल्ली से बस से झकरकटी बस अड्डे आए और वहां बस अड्डे पर मुझे छोड़कर चला गया.''
इस मामले की जांच नौबस्ता थाने के अधिकारी बृजेश कटारिया ने की थी. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए कटारिया इसे लव जिहाद की बजाय अपराध का मामला बताते हैं. वे हमें लड़की के घर तक ले गए, लेकिन लड़की के परिजनों से लड़की से बात कराने से इंकार कर दिया. लड़की की मां और सौतेले पिता से हमारी मुलाकात उनके काम करने वाली जगह पर हुई. जहां वे झुग्गी डालकर रहते हैं. लड़की के पिता का निधन हो चुका है.
जिस जगह पर पीड़िता की मां और पिता काम करते हैं वहीं आरोपी आरिफ भी काम करता था. वो लड़की और उसके परिजनों को लम्बे समय से जनता था. वहीं लड़की के परिजन भी उसे जानते थे. वहां काम करने वाले कई मज़दूरों ने हमें बताया कि आरिफ इस तरह के अपराध पहले भी कर चुका है. वो आपराधिक मानसिकता का लड़का है.
लड़की की मां सीमा न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए कहती हैं, “हम लोग आरिफ को जानते थे. पता नहीं क्या ऐसा हुआ. लड़की चली गई. इधर-उधर हमने पूछा तो हमें शक हुआ तो हमने शिकायत दर्ज कराई. पुलिस उसके पिता और भाई को पकड़कर थाने में लाई फिर वो मेरी बेटी को बस स्टैंड छोड़कर भाग गया. वो पूर्व में लड़कियों को फंसाकर बेंच चुका है.”
आपको कैसे पता चला कि आरोपी आरिफ ही है. लड़की की मां कहती है, ‘‘हम शक के दायरे में मामला दर्ज कराने गए. फिर हमने उस लड़के को फोन किया. वो उल्टा सीधा बोलने लगा. हम क्या जाने. हमको क्या पता. फिर मेरे मन को लगा कि इसी ने ऐसा किया है. फिर उसी लड़के का फोन आया और बोला कि तुम्हारी लड़की के पास फोन है. हमने मना किया तो बोला कि लड़की को फोन नहीं दोगे तो वो भाग जाएगी. फिर हमें लगा कि इसे कैसे पता कि हमने लड़की को फोन नहीं दिया. फिर हमने उसपर मामला दर्ज कराया.’’
लड़की की मां सीमा बताती हैं कि हम जैसे-तैसे आरिफ के घर पहुंचे. हमारे साथ पुलिसकर्मी भी गए थे. वहां से उसके पिता और भाई को पकड़कर लाए तब वो दबाव में आया और फिर वापस लौटा. पुलिस उसको हिरासत में ली. वो शादीशुदा था. उसकी पत्नी थाने में आकर लड़ने लगी.
आपको लगता है कि यह लव जिहाद का मामला है. लड़की के परिजन कहते हैं, ‘‘लव जिहाद क्या होता है. हमें नहीं मालूम. हमारी लड़की वापस आ गई हमें ख़ुशी है. हम लोग तो मज़दूर हैं. हमें काम से समय ही नहीं मिलता है कि हम लड़ाई लड़ें. सरकारी वकील हमारे मामले को देख रहे हैं.’’
न्यूजलॉन्ड्री ने लड़के के परिवार से बात करने की कोशिश की लेकिन हमारी बात नहीं हो पाई.