किसान नेता राकेश टिकैत की अपील के बाद गाजीपुर बॉर्डर पर रात भर लोगों का आना जारी रहा.
26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड के बाद गाजीपुर बॉर्डर से हजारों किसान अपने घर लौट गए. इसके बाद माहौल ऐसा बनाया गया कि मानों आंदोलन खत्म होने वाला है. मीडिया के एक तबके ने भी आग में घी डालने का काम किया. गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस की मौजूदगी क्या हुई सोशल मीडिया और मेनस्ट्रीम मीडिया ने बाबा रामदेव की याद दिला दी. लेकिन यह सब ज्यादा देर तक नहीं चल सका. कुछ घंटे बाद ही पूरा मामला यू टर्न ले गया. राकेश टिकैत की रोने वाली वीडियो और तस्वीरें जैसे ही लोगों तक पहुंची तो एक बार फिर किसानों में जोश भर गया. यानी कुछ देर के इस इमोशनल माहौल ने आंदोलन में नई जान डाल दी. आधी रात को ही लोगों का गाजीपुर बॉर्डर पर आना शुरू हो गया. हाल ये रहा कि गाजीपुर बॉर्डर को खाली कराने पहुंची पुलिस को भी आधी रात को वापस लौटना पड़ा.
इस घटना के बाद सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर भी आंदोलनकारी एक्टिव हो गए. सोशल मीडिया और ऑडियो मैसेज के जरिए लोगों को रात में ही सूचना देने का काम शुरू हो गया. मैसेज में लोगों से अपील की जाने लगी कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे. इसका असर भी होता दिखाई दिया. गाजीपुर बॉर्डर पर पूरी रात रुकने के बाद हमने देखा कि रात में ही चार पहिया वाहनों से लोग गाजीपुर आंदोलन में शामिल होने पहुंच गए.
बॉर्डर पर मौजूद युवाओं के अलग-अलग गुटों ने रात भर नारेबाजी कर आंदोलनकारियों में जोश भरने का काम किया. वहीं एक ट्रैक्टर पर तेज आवाज में डीजे बजाकर उसके सामने डांस करते हुए और नारेबाजी करते हुए युवाओं को देखा जा सकता था. ये सब यह संदेश देने की कोशिश कर रहे थे कि आंदोलन खत्म नहीं हुआ है बल्कि और तेज हुआ है. कई युवा चेहरे पूरी रात लाइव करके लोगों को गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचने की अपील करते रहे.
बता दें कि बृहस्पतिवार शाम से ही गाजीपुर बॉर्डर पर हलचल शुरू हो गई थी. पुलिस ने गाजीपुर बॉर्डर को चारो ओर से घेर सा लिया था. चारो ओर से बैरिकेडिंग कर आंदोलन की ओर जाने वाले सभी रास्ते बंद कर दिए थे. हम भी जब गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे तो हमारी कैब को भी पुलिस ने एंट्री देने से मना कर दिया. जिसके बाद करीब दो किलोमीटर तक पैदल चलकर हम धरना स्थल पर पहुंचे.
रात भर नहीं सोए राकेश टिकैत, मंच पर लोगों से करते रहे वार्ता
किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत रात भर नहीं सोए. वह मंच पर ही बैठकर लोगों से बात करते रहे. बीच में कई बार उन्होंने मीडिया को भी संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने मीडिया के जरिए किसानों से गाजीपुर आने की अपील की. उन्होंने कहा, "कुछ किसान ट्रैक्टर लेकर रात में ही गाजीपुर बॉर्डर के लिए चल दिए हैं, और कुछ सुबह चल देंगे. यह आंदोलन ऐसे खत्म नहीं होगा. जब तक ये तीनों कृषि कानून वापस नहीं हो जाते हैं तब तक हम यहां से नहीं उठेंगे. यह आंदोलन ऐसे ही शांतिपूर्ण चलता रहेगा."
आधी रात में वायरल किया गया ऑडियो संदेश
देर रात तक सिंघु और टिकरी बॉर्डर से भी लोगों ने किसान आंदोलन में जुड़ने की अपील की. व्हाट्सएप द्वारा भेजे गए ऑडियो संदेश में बताया गया कि गाजीपुर में हुई गुंडागर्दी से लोग आहत हैं. यह संदेश हमें भी रात सवा बारह बजे प्राप्त हुआ. ट्रॉली टाइम्स अखबार निकालने वाले अजय पाल ने हमें यह संदेश भेजा था.
इस ऑडियो संदेश में वह कहते हैं- "माफी चाहता हूं कि मैं आपको इतनी रात में परेशान कर रहा हूं. लेकिन यह एक जरूरी सूचना है. जो भी सरकार पुलिस और प्राइवेट गुंडों के द्वारा गाजीपुर बॉर्डर पर गुंडागर्दी करवा रही है. गुंडो से जबरदस्ती आंदोलन में बैठे लोगों को जो उठाने की कोशिश की है उसके विरोध में पंजाब, हरियाणा उत्तर प्रदेश और राजस्थान के हजारों लाखों किसान दिल्ली आ रहे हैं. वह सभी लोग रात में ही चल दिए हैं. सरकार का यह गेम अब उल्टा पड़ गया है. सरकार ने जो 26 तारीख की बात को आधार बनाकार एक एजेंडा सेट करने की कोशिश की थी वह अब पूरी तरह से उलट गया है. क्योंकि अब लोग यह चाल समझ चुके हैं. लोगों में पूरा उत्साह है और किसान आंदोलन में डटे हुए हैं."
संदेश में आगे कहा गया है, "असल में किसान आंदोलन तो अब शुरू हुआ है अब तक तो यह ट्रैलर था. कल सुबह तक सभी मोर्चों पर माहौल बदला हुआ दिखेगा. इतने लोग एक साथ सड़कों पर आ गए हैं कि रोड जाम होने लगे हैं. सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर लोग डटे हुए हैं."
खबर सुनकर रात में ही गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे लोग
राकेश टिकैत के रोने वाली खबर सुनकर आधी रात को ही लोग गाजीपुर बॉर्जर पहुंच गए. गाड़ियों के कई जत्थे रात भर आते रहे. यह सभी नारेबाजी करते हुए मंच पर पहुंचे. इस दौरान रात में पहुंचे कई लोगों से हमारी मुलाकात हुई.
करीब दो बजे गुड़गांव से गाजीपुर पहुंचे मनप्रीत सिंह कहते हैं, "उन्हें फेसबुक के माध्यम से पता चला कि गाजीपुर में पुलिस जबरदस्ती लोगों को उठाकर आंदोलन को खत्म करने की कोशिश कर रही है. राकेश टिकैत जी को जो कुछ गलत बोला गया है वह हम बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. वह 62 दिनों से लगे हुए हैं, उन्हें अब ऐसे परेशान किया जाएगा यह सही नहीं है. हमारा आंदोलन शांतिपूर्वक चल रहा है. हम किसी से लड़ाई भी नहीं कर रहे हैं. हम यहां से ऐसे खाली नहीं करेंगे. वह लगभग 70 लोगों के साथ यहां गाड़ियों से पहुंचे हैं."
हरियाणा के गुहाना गुरुद्वारा से पहुंचे मुकेंद्र सिंह कहते हैं, "वह चार लोग यहां गाड़ी से आए हैं. जब मैंने राकेश टिकैत की रोने वाली वीडियो देखी तो मुझसे रुका नहीं गया. 62 दिन तक प्रेम से आंदोलन चला है लेकिन अब वो रोने वाला वीडियो देखा नहीं गया. ये सरकार नहीं पसीज रही है, पर सरकार जो चाहती है वह अब नहीं होगा. हम यहां आ गए हैं चाहें हमारी जान ले लें पर हम यहां से नहीं जाएंगे. यहीं पर अब सारा दिन सारी रात रहेंगे. हम इससे पहले सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर भी रहे हैं. अभी दो तीन दिन के लिए मैं अपने बच्चों के साथ रहने घर गया हुआ था लेकिन चौधरी साहब की यह वीडियो देखकर मुझे लौटना पड़ा. वीडियो देखकर ही मैं वहां से तुरंत निकल गया."
वह आगे कहते हैं, "अब आकर दिखाएं पुलिस वाले हम गोली खाने को तैयार हैं पर हम यहां से जाने वाले नहीं हैं. अब जब यह तीनों कानून रद्द हो जाएंगे तब ही हम यहां से खाली करेंगे."
वहीं गुड़गांव से आए धरेंद्र सिंह कहते हैं. "प्रधानमंत्री जी आपका हर हुक्म हम सर माथे से मानते हैं. हम बहुत भोले लोग हैं. आप जैसे कहते हैं हम वैसे ही मान लेते हैं. लेकिन अब हमारी बात भी तो मान लो. हम किसान हैं अन्नदाता हैं. हम रात दिन अपनी खेती करते हैं, खेत जोतते हैं, उसको बोते हैं और फिर लोग खाते हैं. इसलिए हम आपसे निवेदन करते हैं कि हमारी इन कानूनों को वापस करने वाली विनती को मान लो"
उन्होंने कहा, "आप कहते हो थाली खड़काओ तो हम थाली खड़का देते हैं, आप कहते हो दीपक जलाओ तो हम दीपक जला देते हैं. आप कहते हो फूल बरसाओ तो हम फूल भी बरसा देते हैं. कोरोना भगाने के लिए. लेकिन अब हमारी बात भी मान लो कि ये तीनों कानून वापस ले लो. आप कहते हो कि यह लाभदायक हैं, हमे तो ऐसा लाभ चाहिए ही नहीं. जिस चीज का टीका आप लगा रहे हो वह टीका तो हमें चाहिए ही नहीं. आप उस टीके को वापस ले लो. हम आपसे विनती करते हैं कि जो टीका आप हमें लगा रहे हो आप उसे वापस ले लो हमें नहीं चाहिए. ये तीनों कानूनों वाला टीका हमें नहीं चाहिए, आपको मुबारक."
आधी रात को आने के सवाल पर वह कहते हैं, "इतना दर्द देखने की शक्ति हमारे अंदर नहीं है. जो मर्जी कर लो अब हम यहां से नहीं जाने वाले हैं. फेसबुक पर चौधरी साहब की वीडियो देखकर हम यहां आए हैं. टीवी वाले तो हमें दिखा ही नहीं रहे हैं. हमें पता नहीं क्या क्या कह रहे हैं. कभी खालिस्तानी, आतंकवादी, अलगाववादी, पाकिस्तानी और उग्रवादी पता नहीं क्या क्या कह रहे हैं. जबकि हम जनता के बीच रहने वाले उनके बच्चे हैं. हमें गोली चलाने वाला कहते हैं. जबकि हमारा ही खाते हैं और ये मीडिया वाले हमें ही आतंकी कहते हैं."
आधी रात के बाद ही बागपत से गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे विजय चौधरी कहते हैं, "वह काफी दिन से यहीं थे लेकिन आज शाम करीब चार बजे वह अपने घर के लिए निकल गए थे. घर पहुंचते ही फेसबुक और टीवी देखा तो गाजीपुर बॉर्डर के बारे में जानकारी मिली जिसके बाद वह तुरंत ही वहां से निकल गए. यहां (गाजीपुर बॉर्डर) पर कल भी काफी लोग पहुंचने वाले हैं. जितने लोग यहां पहले थे अब उससे भी ज्यादा लोग यहां पहुंचने वाले हैं. अभी मैं चार लोगों के साथ यहां पहुंचा हूं. लेकिन जितने अभी आपको यहां (मंच की ओर इशारा करते हुए) दिख रहे हैं उनमें से करीब 60 प्रतिशत लोग अभी रात में ही आए हैं. जैसे जिसको सूचना मिलती गई वह पहुंचते रहे."
वह आखिरी में कहते हैं, "टिकैत साहब ने यहां तक कह दिया था कि वो अपनी गिरफ्तारी तक देने को तैयार हैं, वो बार-बार अपने लोगों से कह रहे हैं कि अगर यहां आकर पुलिस कुछ गलत भी करे तो आपको कोई हिंसा नहीं करनी है, आराम से रहना है. लेकिन इसके बाद जब यहां यह दिखा कि बीजेपी के कार्यकर्ता यहां पर मारपीट करने के लिए आ गए हैं और पुलिस उनका साथ दे रही है. तब मामला खराब हो गया. हम यहां कानून रद्द करने के लिए आए थे वो तो हुआ नहीं उल्टा हमें ही देशद्रोही और गद्दार का तमंगा मिल गया है. यह तो गलत है."
"लाल किले पर जो हुआ वह दुखद है हर आदमी उसकी निंदा कर रहा है. हमारे हर नेता ने भी यही बोला है. लेकिन पहले हमें यह देखना होगा कि वह कौन है किसने किया है. इसमें दीप सिंद्धू का नाम आ रहा है पुलिस को उसकी जांच करनी चाहिए. पता चल जाएगा कि वह कौन है. जब वो आया तो पुलिस चाहती तो उसे रोक सकती थी लेकिन जान पूछकर उसको रोका नहीं गया. वह कहते हैं दीप सिद्धू को बाइक किसने दी. वह इधर से ट्रैक्टर से गया था और तब उसने लाइव भी किया था. जब लाल किले से आया तो उसके पास बाइक थी. यह बाइक किसने दी यह पता करना चाहिए. सब जानते हैं कि दीप सिद्धू कौन है इनके पास इतनी फोर्स है लेकिन यह उसे गिरफ्तार नहीं कर पा रहे हैं." उन्होंने कहा.
गाजीपुर में बैठे किसानों के घर पुलिस मार रही है छापे
मुरादाबाद के छजलेट के पास खानपुर गांव के 72 वर्षीय किसान महेंद्र सिंह आंदोलन के शुरुआत से ही गाजीपुर बॉर्डर पर हैं. उनका कहना है कि पुलिस उनके घर छापे मार रही है. इस बारे में महेंद्र सिंह कहते हैं, "उनके घर पर आज पुलिस की गाड़ी पहुंची, पुलिस उन्हें घर से उठाना चाहती थी. जब मैं घर पर नहीं मिला था उनके पास पुलिस अधिकारियों का फोन भी आया कि कहां पर हो, मैंने बता दिया गाजीपुर बॉर्डर पर हूं. पुलिस ने कहा कि आप गलत बयानबाजी मत कीजिए इससे क्षेत्र में बवाल हो जाएगा."
ऐसे क्या हुआ इस पर वह कहते हैं, "मैंने वीडियो बनाकर व्हाट्सएप पर सबको भेजी है जसमें अपील की है कि अब सभी लोग घर से निकलकर गाजीपुर बॉर्डर आ जाओ. अब यह लड़ाई मान सम्मान की हो गई है. आपसी राजनीति छोड़कर सब गाजीपुर आ जाओ. बाकी जो वहां रह जाओ वो रोड जाम कर दो. इसके बाद पुलिस वाले मेरे घर पहुंच गए. जहां उनके बच्चों से पूछताछ की और मेरी गाड़ी का नंबर भी पूछा कि मैं कौन सी गाड़ी लेकर गाजीपुर बॉर्डर पहुंचा हूं. यह प्रशासन का बहुत गलत तरीका है. हमने बीजेपी को वोट दिया था आज हमें ही यह परेशान कर रहे हैं. हमने उन लोगों से भी वोट दिलवाएं जिन्होंने कभी बीजेपी को वोट नहीं दिया. आज दिल बहुत दुखी है कि बताइए हमने जिसका साथ दिया उसने हमें सबसे ज्यादा दुखी कर दिया है. यह सरकार राकेश टिकैत को परेशान कर रही है जबकि राकेश किसानों के दिलों की धड़कन है. यह सरकार अभी समझ नहीं रही है. ये हम बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. अगर राकेश को जेल हो गई तो हर जिले में बवाल हो जाएगा, आंदोलन तेज हो जाएगा. लोग गिरफ्तारियां दे देंगे. आज दो एसओ मेरे घर पहुंचे मुझे कोई परेशानी नहीं है लेकिन अब हमारी तल्खी सरकार से बढ़ती जा रही है."
बृहस्पतिवार को बीजेपी के विधायकों ने जो तांडव किया है वह बर्दाश्त से बाहर है. वह 200-250 लोगों के साथ गाजीपुर बॉर्जर पहुंचे थे. वह यहां प्रशासन के साथ खड़े होकर राकेश टिकैत को उठाने की बात कर रहे थे. उसके बाद टिकैत को गुस्सा आया फिर गिरफ्तारी के लिए भी मना कर दिया. वरना इससे पहले टिकैत गिरफ्तारी देने के लिए भी तैयार थे.
बता दें कि भाजपा विधायक नंद किशोर की एंट्री से मामले ने यू-टर्न ले लिया. विधायक नंद किशोर अपने कुछ समर्थकों के साथ गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे थे. लोगों का कहना है कि इस दौरान उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों को रविवार तक हटा लें, वरना फिर हम हटाएंगे. इसके बाद राकेश टिकैत भड़क गए. और बाद में उन्होंने गिरफ्तारी तक देने से मना कर दिया. उन्होंने कहा था कि बताइए भाजपा का विधायक पुलिस के साथ किसानों के मारने आया है.
26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड के बाद गाजीपुर बॉर्डर से हजारों किसान अपने घर लौट गए. इसके बाद माहौल ऐसा बनाया गया कि मानों आंदोलन खत्म होने वाला है. मीडिया के एक तबके ने भी आग में घी डालने का काम किया. गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस की मौजूदगी क्या हुई सोशल मीडिया और मेनस्ट्रीम मीडिया ने बाबा रामदेव की याद दिला दी. लेकिन यह सब ज्यादा देर तक नहीं चल सका. कुछ घंटे बाद ही पूरा मामला यू टर्न ले गया. राकेश टिकैत की रोने वाली वीडियो और तस्वीरें जैसे ही लोगों तक पहुंची तो एक बार फिर किसानों में जोश भर गया. यानी कुछ देर के इस इमोशनल माहौल ने आंदोलन में नई जान डाल दी. आधी रात को ही लोगों का गाजीपुर बॉर्डर पर आना शुरू हो गया. हाल ये रहा कि गाजीपुर बॉर्डर को खाली कराने पहुंची पुलिस को भी आधी रात को वापस लौटना पड़ा.
इस घटना के बाद सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर भी आंदोलनकारी एक्टिव हो गए. सोशल मीडिया और ऑडियो मैसेज के जरिए लोगों को रात में ही सूचना देने का काम शुरू हो गया. मैसेज में लोगों से अपील की जाने लगी कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे. इसका असर भी होता दिखाई दिया. गाजीपुर बॉर्डर पर पूरी रात रुकने के बाद हमने देखा कि रात में ही चार पहिया वाहनों से लोग गाजीपुर आंदोलन में शामिल होने पहुंच गए.
बॉर्डर पर मौजूद युवाओं के अलग-अलग गुटों ने रात भर नारेबाजी कर आंदोलनकारियों में जोश भरने का काम किया. वहीं एक ट्रैक्टर पर तेज आवाज में डीजे बजाकर उसके सामने डांस करते हुए और नारेबाजी करते हुए युवाओं को देखा जा सकता था. ये सब यह संदेश देने की कोशिश कर रहे थे कि आंदोलन खत्म नहीं हुआ है बल्कि और तेज हुआ है. कई युवा चेहरे पूरी रात लाइव करके लोगों को गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचने की अपील करते रहे.
बता दें कि बृहस्पतिवार शाम से ही गाजीपुर बॉर्डर पर हलचल शुरू हो गई थी. पुलिस ने गाजीपुर बॉर्डर को चारो ओर से घेर सा लिया था. चारो ओर से बैरिकेडिंग कर आंदोलन की ओर जाने वाले सभी रास्ते बंद कर दिए थे. हम भी जब गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे तो हमारी कैब को भी पुलिस ने एंट्री देने से मना कर दिया. जिसके बाद करीब दो किलोमीटर तक पैदल चलकर हम धरना स्थल पर पहुंचे.
रात भर नहीं सोए राकेश टिकैत, मंच पर लोगों से करते रहे वार्ता
किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत रात भर नहीं सोए. वह मंच पर ही बैठकर लोगों से बात करते रहे. बीच में कई बार उन्होंने मीडिया को भी संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने मीडिया के जरिए किसानों से गाजीपुर आने की अपील की. उन्होंने कहा, "कुछ किसान ट्रैक्टर लेकर रात में ही गाजीपुर बॉर्डर के लिए चल दिए हैं, और कुछ सुबह चल देंगे. यह आंदोलन ऐसे खत्म नहीं होगा. जब तक ये तीनों कृषि कानून वापस नहीं हो जाते हैं तब तक हम यहां से नहीं उठेंगे. यह आंदोलन ऐसे ही शांतिपूर्ण चलता रहेगा."
आधी रात में वायरल किया गया ऑडियो संदेश
देर रात तक सिंघु और टिकरी बॉर्डर से भी लोगों ने किसान आंदोलन में जुड़ने की अपील की. व्हाट्सएप द्वारा भेजे गए ऑडियो संदेश में बताया गया कि गाजीपुर में हुई गुंडागर्दी से लोग आहत हैं. यह संदेश हमें भी रात सवा बारह बजे प्राप्त हुआ. ट्रॉली टाइम्स अखबार निकालने वाले अजय पाल ने हमें यह संदेश भेजा था.
इस ऑडियो संदेश में वह कहते हैं- "माफी चाहता हूं कि मैं आपको इतनी रात में परेशान कर रहा हूं. लेकिन यह एक जरूरी सूचना है. जो भी सरकार पुलिस और प्राइवेट गुंडों के द्वारा गाजीपुर बॉर्डर पर गुंडागर्दी करवा रही है. गुंडो से जबरदस्ती आंदोलन में बैठे लोगों को जो उठाने की कोशिश की है उसके विरोध में पंजाब, हरियाणा उत्तर प्रदेश और राजस्थान के हजारों लाखों किसान दिल्ली आ रहे हैं. वह सभी लोग रात में ही चल दिए हैं. सरकार का यह गेम अब उल्टा पड़ गया है. सरकार ने जो 26 तारीख की बात को आधार बनाकार एक एजेंडा सेट करने की कोशिश की थी वह अब पूरी तरह से उलट गया है. क्योंकि अब लोग यह चाल समझ चुके हैं. लोगों में पूरा उत्साह है और किसान आंदोलन में डटे हुए हैं."
संदेश में आगे कहा गया है, "असल में किसान आंदोलन तो अब शुरू हुआ है अब तक तो यह ट्रैलर था. कल सुबह तक सभी मोर्चों पर माहौल बदला हुआ दिखेगा. इतने लोग एक साथ सड़कों पर आ गए हैं कि रोड जाम होने लगे हैं. सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर लोग डटे हुए हैं."
खबर सुनकर रात में ही गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे लोग
राकेश टिकैत के रोने वाली खबर सुनकर आधी रात को ही लोग गाजीपुर बॉर्जर पहुंच गए. गाड़ियों के कई जत्थे रात भर आते रहे. यह सभी नारेबाजी करते हुए मंच पर पहुंचे. इस दौरान रात में पहुंचे कई लोगों से हमारी मुलाकात हुई.
करीब दो बजे गुड़गांव से गाजीपुर पहुंचे मनप्रीत सिंह कहते हैं, "उन्हें फेसबुक के माध्यम से पता चला कि गाजीपुर में पुलिस जबरदस्ती लोगों को उठाकर आंदोलन को खत्म करने की कोशिश कर रही है. राकेश टिकैत जी को जो कुछ गलत बोला गया है वह हम बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. वह 62 दिनों से लगे हुए हैं, उन्हें अब ऐसे परेशान किया जाएगा यह सही नहीं है. हमारा आंदोलन शांतिपूर्वक चल रहा है. हम किसी से लड़ाई भी नहीं कर रहे हैं. हम यहां से ऐसे खाली नहीं करेंगे. वह लगभग 70 लोगों के साथ यहां गाड़ियों से पहुंचे हैं."
हरियाणा के गुहाना गुरुद्वारा से पहुंचे मुकेंद्र सिंह कहते हैं, "वह चार लोग यहां गाड़ी से आए हैं. जब मैंने राकेश टिकैत की रोने वाली वीडियो देखी तो मुझसे रुका नहीं गया. 62 दिन तक प्रेम से आंदोलन चला है लेकिन अब वो रोने वाला वीडियो देखा नहीं गया. ये सरकार नहीं पसीज रही है, पर सरकार जो चाहती है वह अब नहीं होगा. हम यहां आ गए हैं चाहें हमारी जान ले लें पर हम यहां से नहीं जाएंगे. यहीं पर अब सारा दिन सारी रात रहेंगे. हम इससे पहले सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर भी रहे हैं. अभी दो तीन दिन के लिए मैं अपने बच्चों के साथ रहने घर गया हुआ था लेकिन चौधरी साहब की यह वीडियो देखकर मुझे लौटना पड़ा. वीडियो देखकर ही मैं वहां से तुरंत निकल गया."
वह आगे कहते हैं, "अब आकर दिखाएं पुलिस वाले हम गोली खाने को तैयार हैं पर हम यहां से जाने वाले नहीं हैं. अब जब यह तीनों कानून रद्द हो जाएंगे तब ही हम यहां से खाली करेंगे."
वहीं गुड़गांव से आए धरेंद्र सिंह कहते हैं. "प्रधानमंत्री जी आपका हर हुक्म हम सर माथे से मानते हैं. हम बहुत भोले लोग हैं. आप जैसे कहते हैं हम वैसे ही मान लेते हैं. लेकिन अब हमारी बात भी तो मान लो. हम किसान हैं अन्नदाता हैं. हम रात दिन अपनी खेती करते हैं, खेत जोतते हैं, उसको बोते हैं और फिर लोग खाते हैं. इसलिए हम आपसे निवेदन करते हैं कि हमारी इन कानूनों को वापस करने वाली विनती को मान लो"
उन्होंने कहा, "आप कहते हो थाली खड़काओ तो हम थाली खड़का देते हैं, आप कहते हो दीपक जलाओ तो हम दीपक जला देते हैं. आप कहते हो फूल बरसाओ तो हम फूल भी बरसा देते हैं. कोरोना भगाने के लिए. लेकिन अब हमारी बात भी मान लो कि ये तीनों कानून वापस ले लो. आप कहते हो कि यह लाभदायक हैं, हमे तो ऐसा लाभ चाहिए ही नहीं. जिस चीज का टीका आप लगा रहे हो वह टीका तो हमें चाहिए ही नहीं. आप उस टीके को वापस ले लो. हम आपसे विनती करते हैं कि जो टीका आप हमें लगा रहे हो आप उसे वापस ले लो हमें नहीं चाहिए. ये तीनों कानूनों वाला टीका हमें नहीं चाहिए, आपको मुबारक."
आधी रात को आने के सवाल पर वह कहते हैं, "इतना दर्द देखने की शक्ति हमारे अंदर नहीं है. जो मर्जी कर लो अब हम यहां से नहीं जाने वाले हैं. फेसबुक पर चौधरी साहब की वीडियो देखकर हम यहां आए हैं. टीवी वाले तो हमें दिखा ही नहीं रहे हैं. हमें पता नहीं क्या क्या कह रहे हैं. कभी खालिस्तानी, आतंकवादी, अलगाववादी, पाकिस्तानी और उग्रवादी पता नहीं क्या क्या कह रहे हैं. जबकि हम जनता के बीच रहने वाले उनके बच्चे हैं. हमें गोली चलाने वाला कहते हैं. जबकि हमारा ही खाते हैं और ये मीडिया वाले हमें ही आतंकी कहते हैं."
आधी रात के बाद ही बागपत से गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे विजय चौधरी कहते हैं, "वह काफी दिन से यहीं थे लेकिन आज शाम करीब चार बजे वह अपने घर के लिए निकल गए थे. घर पहुंचते ही फेसबुक और टीवी देखा तो गाजीपुर बॉर्डर के बारे में जानकारी मिली जिसके बाद वह तुरंत ही वहां से निकल गए. यहां (गाजीपुर बॉर्डर) पर कल भी काफी लोग पहुंचने वाले हैं. जितने लोग यहां पहले थे अब उससे भी ज्यादा लोग यहां पहुंचने वाले हैं. अभी मैं चार लोगों के साथ यहां पहुंचा हूं. लेकिन जितने अभी आपको यहां (मंच की ओर इशारा करते हुए) दिख रहे हैं उनमें से करीब 60 प्रतिशत लोग अभी रात में ही आए हैं. जैसे जिसको सूचना मिलती गई वह पहुंचते रहे."
वह आखिरी में कहते हैं, "टिकैत साहब ने यहां तक कह दिया था कि वो अपनी गिरफ्तारी तक देने को तैयार हैं, वो बार-बार अपने लोगों से कह रहे हैं कि अगर यहां आकर पुलिस कुछ गलत भी करे तो आपको कोई हिंसा नहीं करनी है, आराम से रहना है. लेकिन इसके बाद जब यहां यह दिखा कि बीजेपी के कार्यकर्ता यहां पर मारपीट करने के लिए आ गए हैं और पुलिस उनका साथ दे रही है. तब मामला खराब हो गया. हम यहां कानून रद्द करने के लिए आए थे वो तो हुआ नहीं उल्टा हमें ही देशद्रोही और गद्दार का तमंगा मिल गया है. यह तो गलत है."
"लाल किले पर जो हुआ वह दुखद है हर आदमी उसकी निंदा कर रहा है. हमारे हर नेता ने भी यही बोला है. लेकिन पहले हमें यह देखना होगा कि वह कौन है किसने किया है. इसमें दीप सिंद्धू का नाम आ रहा है पुलिस को उसकी जांच करनी चाहिए. पता चल जाएगा कि वह कौन है. जब वो आया तो पुलिस चाहती तो उसे रोक सकती थी लेकिन जान पूछकर उसको रोका नहीं गया. वह कहते हैं दीप सिद्धू को बाइक किसने दी. वह इधर से ट्रैक्टर से गया था और तब उसने लाइव भी किया था. जब लाल किले से आया तो उसके पास बाइक थी. यह बाइक किसने दी यह पता करना चाहिए. सब जानते हैं कि दीप सिद्धू कौन है इनके पास इतनी फोर्स है लेकिन यह उसे गिरफ्तार नहीं कर पा रहे हैं." उन्होंने कहा.
गाजीपुर में बैठे किसानों के घर पुलिस मार रही है छापे
मुरादाबाद के छजलेट के पास खानपुर गांव के 72 वर्षीय किसान महेंद्र सिंह आंदोलन के शुरुआत से ही गाजीपुर बॉर्डर पर हैं. उनका कहना है कि पुलिस उनके घर छापे मार रही है. इस बारे में महेंद्र सिंह कहते हैं, "उनके घर पर आज पुलिस की गाड़ी पहुंची, पुलिस उन्हें घर से उठाना चाहती थी. जब मैं घर पर नहीं मिला था उनके पास पुलिस अधिकारियों का फोन भी आया कि कहां पर हो, मैंने बता दिया गाजीपुर बॉर्डर पर हूं. पुलिस ने कहा कि आप गलत बयानबाजी मत कीजिए इससे क्षेत्र में बवाल हो जाएगा."
ऐसे क्या हुआ इस पर वह कहते हैं, "मैंने वीडियो बनाकर व्हाट्सएप पर सबको भेजी है जसमें अपील की है कि अब सभी लोग घर से निकलकर गाजीपुर बॉर्डर आ जाओ. अब यह लड़ाई मान सम्मान की हो गई है. आपसी राजनीति छोड़कर सब गाजीपुर आ जाओ. बाकी जो वहां रह जाओ वो रोड जाम कर दो. इसके बाद पुलिस वाले मेरे घर पहुंच गए. जहां उनके बच्चों से पूछताछ की और मेरी गाड़ी का नंबर भी पूछा कि मैं कौन सी गाड़ी लेकर गाजीपुर बॉर्डर पहुंचा हूं. यह प्रशासन का बहुत गलत तरीका है. हमने बीजेपी को वोट दिया था आज हमें ही यह परेशान कर रहे हैं. हमने उन लोगों से भी वोट दिलवाएं जिन्होंने कभी बीजेपी को वोट नहीं दिया. आज दिल बहुत दुखी है कि बताइए हमने जिसका साथ दिया उसने हमें सबसे ज्यादा दुखी कर दिया है. यह सरकार राकेश टिकैत को परेशान कर रही है जबकि राकेश किसानों के दिलों की धड़कन है. यह सरकार अभी समझ नहीं रही है. ये हम बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. अगर राकेश को जेल हो गई तो हर जिले में बवाल हो जाएगा, आंदोलन तेज हो जाएगा. लोग गिरफ्तारियां दे देंगे. आज दो एसओ मेरे घर पहुंचे मुझे कोई परेशानी नहीं है लेकिन अब हमारी तल्खी सरकार से बढ़ती जा रही है."
बृहस्पतिवार को बीजेपी के विधायकों ने जो तांडव किया है वह बर्दाश्त से बाहर है. वह 200-250 लोगों के साथ गाजीपुर बॉर्जर पहुंचे थे. वह यहां प्रशासन के साथ खड़े होकर राकेश टिकैत को उठाने की बात कर रहे थे. उसके बाद टिकैत को गुस्सा आया फिर गिरफ्तारी के लिए भी मना कर दिया. वरना इससे पहले टिकैत गिरफ्तारी देने के लिए भी तैयार थे.
बता दें कि भाजपा विधायक नंद किशोर की एंट्री से मामले ने यू-टर्न ले लिया. विधायक नंद किशोर अपने कुछ समर्थकों के साथ गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे थे. लोगों का कहना है कि इस दौरान उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों को रविवार तक हटा लें, वरना फिर हम हटाएंगे. इसके बाद राकेश टिकैत भड़क गए. और बाद में उन्होंने गिरफ्तारी तक देने से मना कर दिया. उन्होंने कहा था कि बताइए भाजपा का विधायक पुलिस के साथ किसानों के मारने आया है.