राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक तीनों कानून वापस नहीं हो जाते वे यहां से नहीं जाएंगे, उनका आंदोलन जारी रहेगा. टिकैत पुलिस-प्रशासन पर गलत कार्रवाई का आरोप लगाते हुए रो पड़े.
गय्यूर बताते हैं, “पहले तो रात में हमारी लाइट काट दी गई. फिर उसके बाद सफाईकर्मियों के रूप में नई झाड़ू और नई ड्रेस में कुछ आदमी यहां आए जो सेल्फी ले रहे थे, उन्होंने हमारी एक झोपड़ी भी तोड़ दी. जब हमने पूछा तो कहा कि हमारी चाबी खो गई है. जब हमने उनकी वीडियो बनानी शुरू की तो वे भाग खड़े हुए. यहीं किसी आदमी ने उनकी पहचान की तो पता चला कि वो बीजेपी कार्यकर्ता थे. यहां मौजूद फोर्स से हमने विनती की तो उन्होंने भी कुछ नहीं किया.”
वह आगे कहते हैं, "26 जनवरी के बाद आंदोलन चल रहा है और आगे भी चलेगा. प्रशासन आंदोलन खत्म करने के लिए दबाव बना रहा है लेकिन जो उपदर्वी हैं उन्हें सरकार सजा नहीं दे रही है. आम आदमी का समर्थन अभी भी हमारे पास है. बिल वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं,”
उनके बराबर में छोले दे रहे अशोक कुमार भी गय्यूर की बातों में हां में हां मिला रहे थे. यहां से आगे बढ़ने पर स्टेज पर कुछ वक्ता भाषण दे रहे थे. रात में बिजली काटने को लेकर एक वक्ता ने कहा, “किसान अंधेरे से नहीं डरता, वह सुबह 4 बजे उठ जाता है. आप किसान को अंधेरा कर नहीं डरा सकते. साथ ही ज्यादातर वक्ता गोदी मीडिया पर भी निशाना साधते नजर आए.”
स्टेज पर पहुंचने पर अपेक्षाकृत कुछ कम भीड़ थी. हालांकि जैसे ही राकेश टिकैत भाषण देने आए तो पूरी तरह भीड़ जमा हो गई थी. राकेश टिकैत ने कहा, अभी उन्हें प्रशासन के साथ मीटिंग में जाना है तो कोई मीडिया वाले उनसे अभी सवाल न करे. मीटिंग के बाद यहीं स्टेज पर आकर सब कुछ बता दिया जाएगा."
दोपहर को दिए अपने भाषण में टिकैत ने अपने ऊपर हुई एफआई पर बोलते हुए कहा था, “एलआईयू या जो भी आना चाहे आए, हम लखत पढ़त में गिरफ्तारी देने को तैयार हैं. लेकिन सवाल ये है कि जहां लाल किले पर गणतंत्र दिवस के दिन मक्खी तक नहीं पहुंच सकती वहां इतने लोग अंदर गए कैसे. वहां जाकर सिख कौम का झंडा फहराकर एक कौम को बदनाम करने की साजिश की गई. इसकी हमें पहले से जिसका नाम इस मामले में आ रहा है उसके प्रधानमंत्री और बीजेपी नेताओं के साथ फोटो हैं. हमारे सीधे-साधे किसानों को चक्रव्यूह के तहत फंसाया गया. जो रूट हमें दिए गए उनपर बैरिकेडिंग थी. और जिसने ये हरकत की या उल्टे-सीधे ट्रैक्टर चलाए उनपर पुलिस कार्यवाई करे. यह जय जवान, जय किसान को टोड़ने की एक कोशिश है. रात हमारा पानी भी काट दिया.”
अंत में राकेश टिकैत ने लोगों से कहा था, "पुलिस प्रशासन चाहे यहां कुछ भी करे, तोड़-फोड़ करे, लेकिन आपको उसका कोई जवाब नहीं देना है. हमने न हिंसा में यकीन किया है और न आगे करेंगे. हमारा प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, और न ये खत्म हुआ है और न होगा."
इस बीच हमें 26 जनवरी को हुई हिंसा और उसके बाद पुलिस एक्शन का कुछ डर यहां नजर आया. दिन छिपने से पहले चारों तरफ घूमने पर हमने देखा कि कुछ लोग अपने ट्रैक्टर लेकर अपने घरों को जा रहे हैं. हालांकि जब हम उनसे पूछते तो वे बात को टाल देते. लेकिन नजर आ रहा था कि कुछ किसान यहां से जा रहे हैं.
पीलीभीत के एक किसान से जब मैंने पूछा तो उन्होंने कहा कि जब हमारे नेता ही नहीं हैं तो अब हम क्या करेंगे. जब पूछा कि 2 महीने से आंदोलन चल रहा है और कानून तो वापस हुए नहीं तो उन्होंने कहा अब जो होगा देखा जाएगा, भगवान मालिक है. इसके बाद उन्होंने कहा कि फिर बात करेंगे.
इस बीच खालसा एड वाले भी अपना सामान समेट रहे थे. पूछने पर मुश्किल से बताया कि पानी नहीं आ रहा तो काम कैसे करें. बेसिक जरूरत में भी समस्या आ रही है. वहीं कुछ लोगों ने जवाब दिया कि जो जा रहे हैं, उन्हे सरकार से माल मिल गया है. वहीं कुछ लोगों ने जवाब दिया कि जो लड़का मर गया था उसके दाह संस्कार में लोग चले गए हैं, जो वापस आ जाएंगे. लेकिन जाने वालों की संख्या कम ही थी और कोई भी सही से जवाब नहीं दे रहा था.
गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन में दोपहर तक कुछ कमजोरी नजर आ रही थी. शाम को एक समय पर लगा कि आज पुलिस आंदोलन कर रहे किसानों को यहां से उठा देगी. लेकिन शाम को राकेश टिकैत के दिए मार्मिक भाषण के वायरल होने के बाद जैसे आंदोलन फिर से जीवित हो गया. देश के कोने-कोने से लोगों के रात में ही दिल्ली आंदोलन में पहुंचने की तस्वीरें आईं. गावों में लाउडस्पीकर से ऐलान कर लोगों से दिल्ली जाने की अपीलें की गईं. कुछ लोग मेरे वहां रहने तक पहुंच भी चुके थे. और वे पूरे उत्साह से लबरेज नजर आ रहे थे. साथ ही जय जवान जय किसान और ‘योगी तेरी तानाशाही नहीं चलेगी’ के नारे रात 11 बजे तक वहां गूंज रहे थे. आंदोलन में एक नया ही जोश नजर आ रहा था.
रात 11 बजे मेरे निकलने के कुछ समय बाद खबर आई कि जो अतिरिक्त पुलिस बल वहां के लिए बुलाया गया था, उसे भी वापस जाने का आदेश दे दिया गया है और फिलहाल प्रशासन का आंदोलन को खत्म कराने का कोई प्लान नहीं है. दूसरी ओर राकेश टिकैत के भाई नरेश टिकैत ने आज यानी शुक्रवार को मुजफ्फरनगर सिटी के राजकीय इंटर कॉलेज में महापंचायत बुलाई है.
गय्यूर बताते हैं, “पहले तो रात में हमारी लाइट काट दी गई. फिर उसके बाद सफाईकर्मियों के रूप में नई झाड़ू और नई ड्रेस में कुछ आदमी यहां आए जो सेल्फी ले रहे थे, उन्होंने हमारी एक झोपड़ी भी तोड़ दी. जब हमने पूछा तो कहा कि हमारी चाबी खो गई है. जब हमने उनकी वीडियो बनानी शुरू की तो वे भाग खड़े हुए. यहीं किसी आदमी ने उनकी पहचान की तो पता चला कि वो बीजेपी कार्यकर्ता थे. यहां मौजूद फोर्स से हमने विनती की तो उन्होंने भी कुछ नहीं किया.”
वह आगे कहते हैं, "26 जनवरी के बाद आंदोलन चल रहा है और आगे भी चलेगा. प्रशासन आंदोलन खत्म करने के लिए दबाव बना रहा है लेकिन जो उपदर्वी हैं उन्हें सरकार सजा नहीं दे रही है. आम आदमी का समर्थन अभी भी हमारे पास है. बिल वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं,”
उनके बराबर में छोले दे रहे अशोक कुमार भी गय्यूर की बातों में हां में हां मिला रहे थे. यहां से आगे बढ़ने पर स्टेज पर कुछ वक्ता भाषण दे रहे थे. रात में बिजली काटने को लेकर एक वक्ता ने कहा, “किसान अंधेरे से नहीं डरता, वह सुबह 4 बजे उठ जाता है. आप किसान को अंधेरा कर नहीं डरा सकते. साथ ही ज्यादातर वक्ता गोदी मीडिया पर भी निशाना साधते नजर आए.”
स्टेज पर पहुंचने पर अपेक्षाकृत कुछ कम भीड़ थी. हालांकि जैसे ही राकेश टिकैत भाषण देने आए तो पूरी तरह भीड़ जमा हो गई थी. राकेश टिकैत ने कहा, अभी उन्हें प्रशासन के साथ मीटिंग में जाना है तो कोई मीडिया वाले उनसे अभी सवाल न करे. मीटिंग के बाद यहीं स्टेज पर आकर सब कुछ बता दिया जाएगा."
दोपहर को दिए अपने भाषण में टिकैत ने अपने ऊपर हुई एफआई पर बोलते हुए कहा था, “एलआईयू या जो भी आना चाहे आए, हम लखत पढ़त में गिरफ्तारी देने को तैयार हैं. लेकिन सवाल ये है कि जहां लाल किले पर गणतंत्र दिवस के दिन मक्खी तक नहीं पहुंच सकती वहां इतने लोग अंदर गए कैसे. वहां जाकर सिख कौम का झंडा फहराकर एक कौम को बदनाम करने की साजिश की गई. इसकी हमें पहले से जिसका नाम इस मामले में आ रहा है उसके प्रधानमंत्री और बीजेपी नेताओं के साथ फोटो हैं. हमारे सीधे-साधे किसानों को चक्रव्यूह के तहत फंसाया गया. जो रूट हमें दिए गए उनपर बैरिकेडिंग थी. और जिसने ये हरकत की या उल्टे-सीधे ट्रैक्टर चलाए उनपर पुलिस कार्यवाई करे. यह जय जवान, जय किसान को टोड़ने की एक कोशिश है. रात हमारा पानी भी काट दिया.”
अंत में राकेश टिकैत ने लोगों से कहा था, "पुलिस प्रशासन चाहे यहां कुछ भी करे, तोड़-फोड़ करे, लेकिन आपको उसका कोई जवाब नहीं देना है. हमने न हिंसा में यकीन किया है और न आगे करेंगे. हमारा प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, और न ये खत्म हुआ है और न होगा."
इस बीच हमें 26 जनवरी को हुई हिंसा और उसके बाद पुलिस एक्शन का कुछ डर यहां नजर आया. दिन छिपने से पहले चारों तरफ घूमने पर हमने देखा कि कुछ लोग अपने ट्रैक्टर लेकर अपने घरों को जा रहे हैं. हालांकि जब हम उनसे पूछते तो वे बात को टाल देते. लेकिन नजर आ रहा था कि कुछ किसान यहां से जा रहे हैं.
पीलीभीत के एक किसान से जब मैंने पूछा तो उन्होंने कहा कि जब हमारे नेता ही नहीं हैं तो अब हम क्या करेंगे. जब पूछा कि 2 महीने से आंदोलन चल रहा है और कानून तो वापस हुए नहीं तो उन्होंने कहा अब जो होगा देखा जाएगा, भगवान मालिक है. इसके बाद उन्होंने कहा कि फिर बात करेंगे.
इस बीच खालसा एड वाले भी अपना सामान समेट रहे थे. पूछने पर मुश्किल से बताया कि पानी नहीं आ रहा तो काम कैसे करें. बेसिक जरूरत में भी समस्या आ रही है. वहीं कुछ लोगों ने जवाब दिया कि जो जा रहे हैं, उन्हे सरकार से माल मिल गया है. वहीं कुछ लोगों ने जवाब दिया कि जो लड़का मर गया था उसके दाह संस्कार में लोग चले गए हैं, जो वापस आ जाएंगे. लेकिन जाने वालों की संख्या कम ही थी और कोई भी सही से जवाब नहीं दे रहा था.
गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन में दोपहर तक कुछ कमजोरी नजर आ रही थी. शाम को एक समय पर लगा कि आज पुलिस आंदोलन कर रहे किसानों को यहां से उठा देगी. लेकिन शाम को राकेश टिकैत के दिए मार्मिक भाषण के वायरल होने के बाद जैसे आंदोलन फिर से जीवित हो गया. देश के कोने-कोने से लोगों के रात में ही दिल्ली आंदोलन में पहुंचने की तस्वीरें आईं. गावों में लाउडस्पीकर से ऐलान कर लोगों से दिल्ली जाने की अपीलें की गईं. कुछ लोग मेरे वहां रहने तक पहुंच भी चुके थे. और वे पूरे उत्साह से लबरेज नजर आ रहे थे. साथ ही जय जवान जय किसान और ‘योगी तेरी तानाशाही नहीं चलेगी’ के नारे रात 11 बजे तक वहां गूंज रहे थे. आंदोलन में एक नया ही जोश नजर आ रहा था.
रात 11 बजे मेरे निकलने के कुछ समय बाद खबर आई कि जो अतिरिक्त पुलिस बल वहां के लिए बुलाया गया था, उसे भी वापस जाने का आदेश दे दिया गया है और फिलहाल प्रशासन का आंदोलन को खत्म कराने का कोई प्लान नहीं है. दूसरी ओर राकेश टिकैत के भाई नरेश टिकैत ने आज यानी शुक्रवार को मुजफ्फरनगर सिटी के राजकीय इंटर कॉलेज में महापंचायत बुलाई है.