फेरारी, रोलेक्स और टीआरपी में गड़बड़ी: बार्क के भ्रष्टाचार का कच्चा चिट्ठा है ऑडिट रिपोर्ट

यह रिपोर्ट पिछले मार्च महीने में तैयार हुई और मुंबई पुलिस द्वारा जाहिर करने के पहले तक दबाकर रखी गई. इसमें पार्थो दासगुप्ता, रोमिल रामगढ़िया और बार्क के दूसरे अधिकारियों का कारनामे उजागर होते है.

WrittenBy:प्रतीक गोयल
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फेरारी, रोलेक्स और गूची

नवंबर 2017 में बार्क का वरिष्ठ प्रबंधन यात्रा के लिए बार्सिलोना, नीस और मोनैको गया. दासगुप्ता भी उनमें से एक थे.

ऑडिट रिपोर्ट इस यात्रा की योजना की बातचीत को विस्तार से दर्ज़ करती है.

उसी साल मई में मानसी कुमार ने मुंबई के एक आलीशान कार्यक्रमों के आयोजक मैग्नैनिमस ग्रुप के एक कर्मचारी को इस यात्रा के प्रबंध करने के लिए ईमेल किया था. मानसी ने लिखा, "पार्थो और उनकी पत्नी समुद्र तट पर रुकना चाहेंगे (आदर्श तौर पर तट पर एक अच्छी जगह). बार्सिलोना में अपने समय के दौरान वह चाहते हैं कि उनके पास एक कार हो (वे जानना चाहेंगे कि क्या-क्या उपलब्ध है हालांकि वह कन्वर्टिबल पसंद करते हैं)."

मैग्नैनिमस के कर्मचारी ने जवाब में लिखा, "हमारा फेरारी की पूर्ति करने वाला व्यक्ति होटल पर होगा… फेरारी केलिफोर्निया को पहुंचाने के लिए."

एक सैर के लिए एक मिनीवैन का प्रबंध करने के लिए मेल में यह भी लिखा था, "सीईओ की फेरारी भी सैर पर जाएगी."

ऑडिट रिपोर्ट इंगित करती है कि, "यात्रा के बाकी लोगों को यह खर्च उठाने के लिए मजबूर किया गया."

मई 2018 में रामगढ़िया ने अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर अज्ञात राशि में एक रोलेक्स घड़ी खरीदी. रिपोर्ट कहती है कि दासगुप्ता की रजामंदी से बार्क ने उनके पैसों की भरपाई कर दी और यह भी जोड़ा कि, "रोलेक्स घड़ी पार्थो के जन्मदिन पर उन्हें भेंट की गई."

ऑडिट रिपोर्ट में ऐसे कई खर्चों को रेखांकित किया गया जिनमें से एक, कुमार की इजाजत से नवंबर 2017 में खरीदा गया बॉलीवुड के निर्देशक करण जौहर के लिए "महंगा उपहार" है. उपहार की कीमत नहीं दर्ज की गई हालांकि इसके साथ संलग्न ईमेल दिखाता है कि उसे खरीदा गूची से गया था.

इसके साथ-साथ एआरसीपीएल की रिपोर्ट बताती है कि बार्क ने, चेयरमैन की स्वीकृति के बिना ही 2017-18 में अपने चुने हुए 22 कर्मचारियों के लिए 8.61 करोड़ रुपए की "दीर्घकालिक प्रोत्साहन राशि योजना" शुरू की. इसके लाभार्थियों में रामगढ़िया, सम्राट, बसु और कुमार भी थे और यह योजना 2022-23 तक देय थी.

पारिवारिक संबंध

दासगुप्ता के अलावा, रामगढ़िया बार्क के वह उच्च अधिकारी हैं जिनका नाम एआरसीपीएल की रिपोर्ट में मुख्य तौर पर मिलता है.

रिपोर्ट दर्शाती है, "रोमिल सीधे तौर पर शामिल थे और उन्हें पता था कि किसी एक खास चैनल के पक्ष में रेटिंगों को बदला जा रहा है. इसके सुदृढ़ लक्षण हैं कि चैनलों की रेटिंग पूर्व निर्धारित थीं. यह संभव है कि डाटा को मनचाहे परिणाम पाने के लिए कई तरीकों से तोड़ा मरोड़ा गया."

ऑडिट करने वाली टीम को यह जानकारियां भी मिलीं जो इशारा करती हैं कि रामगढ़िया ने निहित स्वार्थ की पूर्ति करने वाला बर्ताव किया.

यह स्वार्थ पूरक बर्ताव रामगढ़िया के कथित तौर पर ज़ी बांग्ला और ज़ी बांग्ला सिनेमा पर प्रसारित बंगाली फिल्मों के "ब्रॉडकास्ट मॉनिटर डाटा" के साझा किए जाने से पैदा हुआ.

यह डाटा कोलकाता स्थित एसकेय समूह के एक भाग एसकेय मूवीज़ जो एक फिल्म निर्माता और वितरक कंपनी है, के साथ साझा किया गया.

रिपोर्ट के अनुसार इस आग्रह को लेकर बार्क में "आंतरिक विमर्श" हुए, क्योंकि "यह डाटा एसकेय के द्वारा ज़ी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने में उपयोग किया जा सकता था और इसलिए कानूनी टीम भी इस विमर्श में शामिल थी." रामगढ़िया ने कानूनी मत का "विद्रोह" किया और एसकेय को "डाटा भेजने पर ज़ोर दिया."

उस समय, रामगढ़िया के भाई राकेश रामगढ़िया एसकेय थियेटर्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक थे, जो एसकेय समूह का हिस्सा है.

ऐसी ही एक और घटना में, मानसी कुमार 2016 में एक "ईद समारोह के भोज" की व्यवस्था करने में शामिल थीं, जिसमें बिरयानी अफेयर नाम के एक रेस्टोरेंट से 54,405 रुपए का खाना मंगाया गया. इसी रेस्टोरेंट में 2016 और 2017 में बार्क के दो और कार्यक्रमों में खाने का प्रबंध किया. रिपोर्ट यह बताती है कि बिरयानी अफेयर्स की मालिक कुमार की बहन थीं, लेकिन उन्होंने इसका खुलासा नहीं किया.

"रेटिंग बदल दो"

तेलुगु और कन्नड़ चैनलों के मामले में एआरसीपीएल की रिपोर्ट वेंकट सुजित सम्राट के "रेटिंग से गड़बड़ी" करने में शामिल होने की तरफ इशारा करती है.

उदाहरण के तौर पर जनवरी 2017 में एक कर्मचारी ने तेलुगु समाचार चैनलों की पहले हफ्ते की रेटिंग सम्राट को भेजीं. सम्राट ने एक ईमेल रामगढ़िया, मेहता और रजनीश राठौर को भेजी जिसमें कहा गया, "हमें TV5, एबीएन आंध्र ज्योति और TV10 को काट देना चाहिेए."

वे एक दूसरे ईमेल में रामगढ़िया को लिखते हैं, "हमें साक्षी व एचएमटीवी को भी थोड़ा नीचे लाना होगा…करीब 10-12 अंकों की बढ़त तक." उनकी एक और ईमेल पूछती है, "क्या हम TV9 की बढ़त को 39 अंकों की जगह 25 तक ही सीमित कर सकते हैं?"

ऑडिट रिपोर्ट कहती है कि अगस्त 2018 में सम्राट ने "TV5 कन्नड़, एनटीवी, एबीएन TV5 तेलुगु, AP 24x7 और आई न्यूज़ की रेटिंग में परिवर्तन करने के लिए आग्रह किया था."

पेखम बासु भी इसमें शामिल थे, उन्होंने फरवरी 2017 में रामगढ़िया, राठौर, मेहता और बाकी अधिकारियों को ईमेल किया, "तेलुगु समाचार क्षेत्र की रैंकिंग को देखे जाने की जरूरत है. TV5, एबीएन आंध्र ज्योति और टी न्यूज़ को एन टीवी से नीचे लाया जाए. TV9 नीचे गया है, जो कि ठीक है. कृपया उसे एन टीवी के पास ही रखें."

बासु का नाम टाइम्स नाउ की रेटिंगों से छेड़खानी में भी उभरकर आता है. वह 20 अगस्त 2017 को रामगढ़िया और मेहता को ईमेल करते हैं, "अंग्रेजी समाचारों में कुछ रैंकिंग के मुद्दे हैं. मैंने टाइम्स नाउ को मंगलवार को छोड़कर बाकी सभी दिनों में नियंत्रण में रखा है- इससे उसे रिपब्लिक टीवी के नीचे आ जाना चाहिए. री-रन के बाद देखते हैं. टीम रिपब्लिक टीवी के नीचे आने के कारणों को ढूंढेंगी."

नियमों का उल्लंघन

मानसी कुमार एक और अधिकारी हैं जिनका नाम इस रिपोर्ट में काफी प्रधानता से आता है, वह उस समय बार्क की मुख्य जन अधिकारी और मानव संसाधन विभाग की प्रमुख थीं. उन पर "कार्य क्षेत्र के आचार और नियमों के उल्लंघन करने वाले कामों में शामिल होने" का आरोप है.

रिपोर्ट कहती है, "यह देखा गया कि वह कुछ विशिष्ट विक्रेताओं का पक्ष लेती थीं और उनके साथ उनकी प्रतिद्वंदी कंपनियों आर्थिक हवाले साझा करती थीं, जुटाने की प्रक्रिया का उल्लंघन करती थीं, संस्था के पैसों का दुरुपयोग, रेटिंग से गड़बड़ी पर आपत्ति जताने वाले लोगों का स्थानांतरण और प्रदर्शन पर आधारित लाभराशी की संभाल में लापरवाही दिखाती थीं."

यह भी आरोप लग रहा है कि मानसी कुमार ने बार्क के विश्लेषण विभाग के प्रमुख विजय सुब्रमण्यन के स्थानांतरण में "मुख्य भूमिका" निभाई थी, जब उन्होंने "अनुचित क्रियाकलापों का विरोध" किया.

जुलाई 2016 में सुब्रमण्यन ने रामगढ़िया को एक ई-मेल भेजा जिस में शिकायत की गई थी कि शोध टीम पर डाटा बदलने के लिए "दबाव" डाला गया था. अगस्त में उन्हें उनके पद से हटा दिया गया था. रिपोर्ट यह नहीं स्पष्ट करती कि उन्हें कहां भेजा गया.

कुमार 2016 में बार्क का हिस्सा बनीं और 4 सालों में उनकी सालाना तनख्वाह 44 लाख से बढ़कर 91.88 लाख हो गई. रिपोर्ट कहती है कि 2017 में उनका सालाना वेतन 55 प्रतिशत बढ़ा जबकि बढ़त का संस्थागत औसत 10 प्रतिशत था.

फेरारी, रोलेक्स और गूची

नवंबर 2017 में बार्क का वरिष्ठ प्रबंधन यात्रा के लिए बार्सिलोना, नीस और मोनैको गया. दासगुप्ता भी उनमें से एक थे.

ऑडिट रिपोर्ट इस यात्रा की योजना की बातचीत को विस्तार से दर्ज़ करती है.

उसी साल मई में मानसी कुमार ने मुंबई के एक आलीशान कार्यक्रमों के आयोजक मैग्नैनिमस ग्रुप के एक कर्मचारी को इस यात्रा के प्रबंध करने के लिए ईमेल किया था. मानसी ने लिखा, "पार्थो और उनकी पत्नी समुद्र तट पर रुकना चाहेंगे (आदर्श तौर पर तट पर एक अच्छी जगह). बार्सिलोना में अपने समय के दौरान वह चाहते हैं कि उनके पास एक कार हो (वे जानना चाहेंगे कि क्या-क्या उपलब्ध है हालांकि वह कन्वर्टिबल पसंद करते हैं)."

मैग्नैनिमस के कर्मचारी ने जवाब में लिखा, "हमारा फेरारी की पूर्ति करने वाला व्यक्ति होटल पर होगा… फेरारी केलिफोर्निया को पहुंचाने के लिए."

एक सैर के लिए एक मिनीवैन का प्रबंध करने के लिए मेल में यह भी लिखा था, "सीईओ की फेरारी भी सैर पर जाएगी."

ऑडिट रिपोर्ट इंगित करती है कि, "यात्रा के बाकी लोगों को यह खर्च उठाने के लिए मजबूर किया गया."

मई 2018 में रामगढ़िया ने अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर अज्ञात राशि में एक रोलेक्स घड़ी खरीदी. रिपोर्ट कहती है कि दासगुप्ता की रजामंदी से बार्क ने उनके पैसों की भरपाई कर दी और यह भी जोड़ा कि, "रोलेक्स घड़ी पार्थो के जन्मदिन पर उन्हें भेंट की गई."

ऑडिट रिपोर्ट में ऐसे कई खर्चों को रेखांकित किया गया जिनमें से एक, कुमार की इजाजत से नवंबर 2017 में खरीदा गया बॉलीवुड के निर्देशक करण जौहर के लिए "महंगा उपहार" है. उपहार की कीमत नहीं दर्ज की गई हालांकि इसके साथ संलग्न ईमेल दिखाता है कि उसे खरीदा गूची से गया था.

इसके साथ-साथ एआरसीपीएल की रिपोर्ट बताती है कि बार्क ने, चेयरमैन की स्वीकृति के बिना ही 2017-18 में अपने चुने हुए 22 कर्मचारियों के लिए 8.61 करोड़ रुपए की "दीर्घकालिक प्रोत्साहन राशि योजना" शुरू की. इसके लाभार्थियों में रामगढ़िया, सम्राट, बसु और कुमार भी थे और यह योजना 2022-23 तक देय थी.

पारिवारिक संबंध

दासगुप्ता के अलावा, रामगढ़िया बार्क के वह उच्च अधिकारी हैं जिनका नाम एआरसीपीएल की रिपोर्ट में मुख्य तौर पर मिलता है.

रिपोर्ट दर्शाती है, "रोमिल सीधे तौर पर शामिल थे और उन्हें पता था कि किसी एक खास चैनल के पक्ष में रेटिंगों को बदला जा रहा है. इसके सुदृढ़ लक्षण हैं कि चैनलों की रेटिंग पूर्व निर्धारित थीं. यह संभव है कि डाटा को मनचाहे परिणाम पाने के लिए कई तरीकों से तोड़ा मरोड़ा गया."

ऑडिट करने वाली टीम को यह जानकारियां भी मिलीं जो इशारा करती हैं कि रामगढ़िया ने निहित स्वार्थ की पूर्ति करने वाला बर्ताव किया.

यह स्वार्थ पूरक बर्ताव रामगढ़िया के कथित तौर पर ज़ी बांग्ला और ज़ी बांग्ला सिनेमा पर प्रसारित बंगाली फिल्मों के "ब्रॉडकास्ट मॉनिटर डाटा" के साझा किए जाने से पैदा हुआ.

यह डाटा कोलकाता स्थित एसकेय समूह के एक भाग एसकेय मूवीज़ जो एक फिल्म निर्माता और वितरक कंपनी है, के साथ साझा किया गया.

रिपोर्ट के अनुसार इस आग्रह को लेकर बार्क में "आंतरिक विमर्श" हुए, क्योंकि "यह डाटा एसकेय के द्वारा ज़ी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने में उपयोग किया जा सकता था और इसलिए कानूनी टीम भी इस विमर्श में शामिल थी." रामगढ़िया ने कानूनी मत का "विद्रोह" किया और एसकेय को "डाटा भेजने पर ज़ोर दिया."

उस समय, रामगढ़िया के भाई राकेश रामगढ़िया एसकेय थियेटर्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक थे, जो एसकेय समूह का हिस्सा है.

ऐसी ही एक और घटना में, मानसी कुमार 2016 में एक "ईद समारोह के भोज" की व्यवस्था करने में शामिल थीं, जिसमें बिरयानी अफेयर नाम के एक रेस्टोरेंट से 54,405 रुपए का खाना मंगाया गया. इसी रेस्टोरेंट में 2016 और 2017 में बार्क के दो और कार्यक्रमों में खाने का प्रबंध किया. रिपोर्ट यह बताती है कि बिरयानी अफेयर्स की मालिक कुमार की बहन थीं, लेकिन उन्होंने इसका खुलासा नहीं किया.

"रेटिंग बदल दो"

तेलुगु और कन्नड़ चैनलों के मामले में एआरसीपीएल की रिपोर्ट वेंकट सुजित सम्राट के "रेटिंग से गड़बड़ी" करने में शामिल होने की तरफ इशारा करती है.

उदाहरण के तौर पर जनवरी 2017 में एक कर्मचारी ने तेलुगु समाचार चैनलों की पहले हफ्ते की रेटिंग सम्राट को भेजीं. सम्राट ने एक ईमेल रामगढ़िया, मेहता और रजनीश राठौर को भेजी जिसमें कहा गया, "हमें TV5, एबीएन आंध्र ज्योति और TV10 को काट देना चाहिेए."

वे एक दूसरे ईमेल में रामगढ़िया को लिखते हैं, "हमें साक्षी व एचएमटीवी को भी थोड़ा नीचे लाना होगा…करीब 10-12 अंकों की बढ़त तक." उनकी एक और ईमेल पूछती है, "क्या हम TV9 की बढ़त को 39 अंकों की जगह 25 तक ही सीमित कर सकते हैं?"

ऑडिट रिपोर्ट कहती है कि अगस्त 2018 में सम्राट ने "TV5 कन्नड़, एनटीवी, एबीएन TV5 तेलुगु, AP 24x7 और आई न्यूज़ की रेटिंग में परिवर्तन करने के लिए आग्रह किया था."

पेखम बासु भी इसमें शामिल थे, उन्होंने फरवरी 2017 में रामगढ़िया, राठौर, मेहता और बाकी अधिकारियों को ईमेल किया, "तेलुगु समाचार क्षेत्र की रैंकिंग को देखे जाने की जरूरत है. TV5, एबीएन आंध्र ज्योति और टी न्यूज़ को एन टीवी से नीचे लाया जाए. TV9 नीचे गया है, जो कि ठीक है. कृपया उसे एन टीवी के पास ही रखें."

बासु का नाम टाइम्स नाउ की रेटिंगों से छेड़खानी में भी उभरकर आता है. वह 20 अगस्त 2017 को रामगढ़िया और मेहता को ईमेल करते हैं, "अंग्रेजी समाचारों में कुछ रैंकिंग के मुद्दे हैं. मैंने टाइम्स नाउ को मंगलवार को छोड़कर बाकी सभी दिनों में नियंत्रण में रखा है- इससे उसे रिपब्लिक टीवी के नीचे आ जाना चाहिए. री-रन के बाद देखते हैं. टीम रिपब्लिक टीवी के नीचे आने के कारणों को ढूंढेंगी."

नियमों का उल्लंघन

मानसी कुमार एक और अधिकारी हैं जिनका नाम इस रिपोर्ट में काफी प्रधानता से आता है, वह उस समय बार्क की मुख्य जन अधिकारी और मानव संसाधन विभाग की प्रमुख थीं. उन पर "कार्य क्षेत्र के आचार और नियमों के उल्लंघन करने वाले कामों में शामिल होने" का आरोप है.

रिपोर्ट कहती है, "यह देखा गया कि वह कुछ विशिष्ट विक्रेताओं का पक्ष लेती थीं और उनके साथ उनकी प्रतिद्वंदी कंपनियों आर्थिक हवाले साझा करती थीं, जुटाने की प्रक्रिया का उल्लंघन करती थीं, संस्था के पैसों का दुरुपयोग, रेटिंग से गड़बड़ी पर आपत्ति जताने वाले लोगों का स्थानांतरण और प्रदर्शन पर आधारित लाभराशी की संभाल में लापरवाही दिखाती थीं."

यह भी आरोप लग रहा है कि मानसी कुमार ने बार्क के विश्लेषण विभाग के प्रमुख विजय सुब्रमण्यन के स्थानांतरण में "मुख्य भूमिका" निभाई थी, जब उन्होंने "अनुचित क्रियाकलापों का विरोध" किया.

जुलाई 2016 में सुब्रमण्यन ने रामगढ़िया को एक ई-मेल भेजा जिस में शिकायत की गई थी कि शोध टीम पर डाटा बदलने के लिए "दबाव" डाला गया था. अगस्त में उन्हें उनके पद से हटा दिया गया था. रिपोर्ट यह नहीं स्पष्ट करती कि उन्हें कहां भेजा गया.

कुमार 2016 में बार्क का हिस्सा बनीं और 4 सालों में उनकी सालाना तनख्वाह 44 लाख से बढ़कर 91.88 लाख हो गई. रिपोर्ट कहती है कि 2017 में उनका सालाना वेतन 55 प्रतिशत बढ़ा जबकि बढ़त का संस्थागत औसत 10 प्रतिशत था.

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