वैक्सीन टीकाकरण: संशय, डर और मीडिया की नो एंट्री

साइड इफेक्ट्स के बारे में कई लोगों की आशंकाएं अब भी बनी हुई हैं. जिस कारण अभी भी लोग टीकाकरण के प्रति उत्साहित नजर नहीं आ रहे हैं.

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बातचीत के दौरान हमने देखा कि अस्पताल में अंदर जाने के लिए टीकाकरण और सामान्य ओपीडी मरीजों के लिए एक ही रास्ता था. पवन ने ये जरूर बताया कि अंदर जाकर पहले फ्लोर पर टीकाकरण वालों के लिए वार्ड बनाए हैं. हालांकि हमें वहां जाकर देखने की इजाजत नहीं थी. हमने अंत में पवन से अस्पताल के टीकाकरण इंचार्ज से बात कराने और एक बार मिलने को कहा तो पवन ने एमएस डॉ. उबैद को फोन लगाकर कहा कि पूछता हूं. उधर से डॉ. ने मिलने से मना किया तो मैंने फोन पर ही कुछ देर बात करने के लिए कहा. इसके बाद डॉ. उबैद से हमने बात की.

बेहद संक्षिप्त बातचीत में डॉ. उबैद ने बताया, "हमें मीडिया से मिलने के लिए सख्ती से मना किया गया है. बाकि वैक्सीन टीकाकरण अभियान बहुत अच्छा चल रहा है."

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इसके बाद हम पवन हुड्डा से बात ही कर रहे थे कि एक नर्सिंग स्टाफ जिनका नाम पवन ने हवाना बताया, कोविड वैक्सीन लगवाकर निकलीं तो हमने उनसे उनके अनुभव जानने की कोशिश की. डॉ. हवाना काफी घबराई हुई नजर आ रही थीं और हमारे काफी कहने के बावजूद उन्होंने हमें कुछ नहीं बताया बस जल्दी-जल्दी में अनमने ढ़ंग से इतना ही कहा- ‘सही रहा, आप किसी ओर से पूछ लेना.’ ये कहकर वो आगे बढ़ गईं. लेकिन उनके हाव-भाव में काफी घबराहट नजर आ रही थी.

इसके बाद हम वहीं किसी दूसरे के आने का इंतजार करने लगे. पवन अंदर जा चुके थे, तभी वहां सामने खड़ा गार्ड जिसने अपना नाम वीरेंद्र बताया आकर हमसे तीखे अंदाज में जाने के लिए कहने लगा. हालांकि काफी समझाने के बाद वह शांत हुए.

इस बीच वहां अंदर से आने वाले काफी मरीजों से हमने वैक्सीन को लेकर बात करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने कुछ नहीं बताया. चूंकि अस्पताल में सामान्य मरीजों और वैक्सीन वालों के लिए कोई अलग से रास्ता नहीं था तो ये जानना भी मुश्किल था कि कौन सामान्य मरीज है और कौन वैक्सीन वाला. आखिरकार काफी कोशिश और कई घंटे वहां बिताने के बाद हमें वापस लौटना पड़ा. लेकिन जितने समय भी हम वहां रहे तो हमें वहां वैक्सीन को लेकर लोगों में जरा भी उत्साह देखने को नजर नहीं आया.

टीकाकरण के पहले दिन दिल्ली में जिन हेल्थ वर्कर्स को कोरोना का टीका लगाया गया, उनमें प्रतिकूल प्रभाव का एक ‘गंभीर’ और 51 ‘मामूली’ मामले सामने आए. लेकिन देश के दूसरे राज्यों से लोगों की हालत बिगड़ने की खबरें भी आईं और आज उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से खबर आई कि अस्पताल के एक वॉर्ड ब्वाय की मौत हो गई उसे कल कोरोना का टीका लगाया गया था. यही कारण है कि लोगों में कहीं न कहीं इस टीके को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कोरोना टीकाकरण अभियान का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शुभारंभ किया था. इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा था कि जिस दिन का बेसब्री से इंतजार था वह आ गया है. कोरोना टीका विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत की है. इस दौरान प्रधानमंत्री उन लोगों की याद में भावुक भी हो गए थे जो बीमार होने पर अस्पताल गए लेकिन वापस नहीं आए. प्रधानमंत्री ने इसे ‘दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान’ भी बताया था.

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बातचीत के दौरान हमने देखा कि अस्पताल में अंदर जाने के लिए टीकाकरण और सामान्य ओपीडी मरीजों के लिए एक ही रास्ता था. पवन ने ये जरूर बताया कि अंदर जाकर पहले फ्लोर पर टीकाकरण वालों के लिए वार्ड बनाए हैं. हालांकि हमें वहां जाकर देखने की इजाजत नहीं थी. हमने अंत में पवन से अस्पताल के टीकाकरण इंचार्ज से बात कराने और एक बार मिलने को कहा तो पवन ने एमएस डॉ. उबैद को फोन लगाकर कहा कि पूछता हूं. उधर से डॉ. ने मिलने से मना किया तो मैंने फोन पर ही कुछ देर बात करने के लिए कहा. इसके बाद डॉ. उबैद से हमने बात की.

बेहद संक्षिप्त बातचीत में डॉ. उबैद ने बताया, "हमें मीडिया से मिलने के लिए सख्ती से मना किया गया है. बाकि वैक्सीन टीकाकरण अभियान बहुत अच्छा चल रहा है."

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इसके बाद हम पवन हुड्डा से बात ही कर रहे थे कि एक नर्सिंग स्टाफ जिनका नाम पवन ने हवाना बताया, कोविड वैक्सीन लगवाकर निकलीं तो हमने उनसे उनके अनुभव जानने की कोशिश की. डॉ. हवाना काफी घबराई हुई नजर आ रही थीं और हमारे काफी कहने के बावजूद उन्होंने हमें कुछ नहीं बताया बस जल्दी-जल्दी में अनमने ढ़ंग से इतना ही कहा- ‘सही रहा, आप किसी ओर से पूछ लेना.’ ये कहकर वो आगे बढ़ गईं. लेकिन उनके हाव-भाव में काफी घबराहट नजर आ रही थी.

इसके बाद हम वहीं किसी दूसरे के आने का इंतजार करने लगे. पवन अंदर जा चुके थे, तभी वहां सामने खड़ा गार्ड जिसने अपना नाम वीरेंद्र बताया आकर हमसे तीखे अंदाज में जाने के लिए कहने लगा. हालांकि काफी समझाने के बाद वह शांत हुए.

इस बीच वहां अंदर से आने वाले काफी मरीजों से हमने वैक्सीन को लेकर बात करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने कुछ नहीं बताया. चूंकि अस्पताल में सामान्य मरीजों और वैक्सीन वालों के लिए कोई अलग से रास्ता नहीं था तो ये जानना भी मुश्किल था कि कौन सामान्य मरीज है और कौन वैक्सीन वाला. आखिरकार काफी कोशिश और कई घंटे वहां बिताने के बाद हमें वापस लौटना पड़ा. लेकिन जितने समय भी हम वहां रहे तो हमें वहां वैक्सीन को लेकर लोगों में जरा भी उत्साह देखने को नजर नहीं आया.

टीकाकरण के पहले दिन दिल्ली में जिन हेल्थ वर्कर्स को कोरोना का टीका लगाया गया, उनमें प्रतिकूल प्रभाव का एक ‘गंभीर’ और 51 ‘मामूली’ मामले सामने आए. लेकिन देश के दूसरे राज्यों से लोगों की हालत बिगड़ने की खबरें भी आईं और आज उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से खबर आई कि अस्पताल के एक वॉर्ड ब्वाय की मौत हो गई उसे कल कोरोना का टीका लगाया गया था. यही कारण है कि लोगों में कहीं न कहीं इस टीके को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कोरोना टीकाकरण अभियान का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शुभारंभ किया था. इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा था कि जिस दिन का बेसब्री से इंतजार था वह आ गया है. कोरोना टीका विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत की है. इस दौरान प्रधानमंत्री उन लोगों की याद में भावुक भी हो गए थे जो बीमार होने पर अस्पताल गए लेकिन वापस नहीं आए. प्रधानमंत्री ने इसे ‘दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान’ भी बताया था.

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