पांच राज्यों के इस ओपिनियन पोल में दो राज्यों में जीत रही हैं एनडीए.
आगामी पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान अभी नहीं हुआ है लेकिन सभी पार्टियों की तैयारियां जोरो-शोरो से चालू हैं. पश्चिम बंगाल में भाजपा टीएमसी को हराने के लिए जोरदार टक्कर दे रही है तो वहीं तमिलनाडु में इस बार यूपीए की सरकार बनती दिख रही है.
एबीपी न्यूज और सी वोटर के इस सर्वे में पांच राज्यों का परिणाम दिखाया गया है. असम, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल और पुडुचेरी. मौजूदा समय में इन पांच राज्यों में असम में एनडीए, पुडुचेरी में यूपीए सरकार, केरल में लेफ्ट, पश्चिम बंगाल में टीएमसी और तमिलनाडु में एआईडीएमके की सरकार है.
पांचों राज्यों के 824 विधानसभा सीटों पर 45 हजार से ज्यादा लोगों से बात करके इस ओपिनियन पोल को जारी किया गया है. इस पोल में सबसे पहले तमिलनाडु राज्य का परिणाम बताया गया है.
सर्वे की माने तो तमिलनाडु में मुख्यमंत्री के कामकाज से राज्य के करीब 60 प्रतिशत लोग संतुष्ट हैं. वहीं प्रधानमंत्री के कामकाज से भी करीब 58 प्रतिशत लोग संतुष्ट हैं, लेकिन इस बार के विधानसभा चुनावों में लोगों की पसंद यूपीए है. सर्वे के मुताबिक यूपीए को 41 प्रतिशत वोट मिल रहे हैं वहीं एनडीए को 29%, एमएनएम को 7%, एएमएमके को 8% और अन्य को 15%.
सीटों की बात करें तो यूपीए को 158-166, एनडीए 60-68, एमएनएम 0-4, एएमएमके 2-6, अन्य 0-4 सीट मिलती दिख रही हैं. बता दें कि राज्य में स्वर्गीय जयललिता की पार्टी एआईडीएमके की सरकार है जिसमें बीजेपी भी उसकी सहयोगी है लेकिन सरकार में बीजेपी का कोई भी सदस्य नहीं है. जयललिता की खास पूर्व सहयोगी शशिकला की पार्टी एएमएमके लोकसभा चुनावों में तो कुछ खास नहीं कर पाई लेकिन इन चुनावों में पार्टी को 8 प्रतिशत वोट मिलने के आसार है.
केरल
केरल में पिछले 40 सालों से हर पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन होता है. वहां दो मुख्य गठबंधन हैं यूडीएफ और एलडीएफ. यूडीएफ- कांग्रेस पार्टी और अन्य पार्टियों के गठबंधन का नाम है तो वहीं एलडीएफ- लेफ्ट और अन्य पार्टियों के गठबंधन का नाम है. इस समय राज्य में पी विजयन की सरकार है. सी वोटर के ओपिनियन पोल के मुताबिक पिछले 40 सालों से चला आ रहा सत्ता परिवर्तन इस बार नहीं होता हुआ दिख रहा है.
सर्वे में एलडीएफ को 42%, यूडीएफ को 35, बीजेपी 15 और अन्य को 8 प्रतिशत वोट मिलता दिख रहा है. अगर इसे वोटों में बदलें तो एलडीएफ 81-89, यूडीएफ 49-57, बीजेपी 0-2 और अन्य 0-2 को सीटें मिलती हुई दिख रही हैं.
खास बात यह है कि इसी राज्य की वायनाड सीट से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सांसद भी हैं. सांसद बनने के बाद से उन्होंने अपने लोकसभा क्षेत्र की कई यात्राएं की हैं. माना जाता है कि यह यात्राएं उन्होंने राज्य के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर की हैं. हालांकि इस सर्वे में उन यात्राओं का कोई खास प्रभाव होता नहीं दिख रहा है.
केरल के इस सर्वे पर पत्रकार दिबांग कहते हैं, अभी सत्ता परिवर्तन तो नहीं दिख रहा है लेकिन (गोल्ड स्मगलिंग केस) में भष्ट्राचार का मामला आने के बाद से मुख्यमंत्री को खासा मुसीबत का सामना करना पड़ा है. अभी चुनाव में काफी समय है और हो सकता है कि यह मामला और तेजी पकड़े तो फिर लोगों का रुझान बदल सकता है.
असम
पूर्वोत्तर राज्यों बीजेपी ने अपनी सरकार बनाने की शुरुआत असम से ही की थी. यह राज्य पूर्वोत्तर में सबसे बड़ा राज्य है. पांच साल की सर्बानंद सोनोवाल की सरकार फिर से बनेगी या नहीं? इस पर ओपिनियन पोल की माने तो एक बार फिर से सोनोवाल के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बन रही है. पोल में एनडीए को 43, यूपीए को 35, एआईयूडीएफ को 8 और अन्य को 14 फीसदी वोट मिलता दिख रहा है.
वहीं अगर इन वोट प्रतिशत को सीटो में बदले तो एनडीए को 73-81, यूपीए को 36-44, एआईयूडीएफ को 5-9 और अन्य को 0-4 सीटें मिलने का आसार है. असम में खास बात यह है कि इस राज्य में ही सबसे पहले सीएए और एनआरसी लागू किया गया था.
बीजेपी ने 2016 के चुनावों में इस मुद्दे पर लोगों से वोट मांगा था, जिसके बाद वहां की सरकार ने एनआरसी को लागू किया था. सर्वे में जीतती दिख रही एनडीए को यह साफ हो गया है कि लोग सीएए-एनआरसी को समर्थन कर रहे हैं.
एक टीवी डिबेट में यह सवाल सुमित अवस्थी ने जनसत्ता के पूर्व संपादक प्रदीप सिंह से पूछा. इस पर वो कहते हैं, इन पोल के आंकड़ों को देखने के बाद तो यही लग रहा है कि लोग समर्थन कर रहे हैं, लेकिन यहां एक और बात है वह है कांग्रेस के पास कोई राज्य में नेतृत्व नहीं है.
उन्होने आगे कहा, पूर्व मुख्यमंत्री तरूण गोगोई के निधन के बाद से राज्य में कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं बचा है जिसके नाम पर जनता वोट दे. इस पर कांग्रेस के प्रवक्ता मधु गौड़ याक्षी जवाब देते हुए कहते हैं कि कांग्रेस के पास राज्य में चेहरा है और पार्टी जीत हासिल करेगी.
पुडुचेरी
तमिलनाडु से सटे केद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में भी इस इसी साल चुनाव होने हैं. 30 सीटों वाले इस केंद्र शासित प्रदेश में अभी कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार है. जिसके मुख्यमंत्री वी नारायणसामी हैं.
सी वोटर के पोल के मुताबिक कांग्रेस गठबंधन एसडीए को 12 से 16 सीटें मिल सकती हैं. वहीं एनडीए के खाते में 14 से 18 सीटें मिलने का अनुमान है. एमएनएम MNM के खाते में 0 से 1 सीट जा सकती है. अन्य के हिस्से में भी 0 से एक सीट आ सकती है.
सर्वे के परिणामों को अगर सच माने तो इस बार राज्य में दोनों गठबंधनों में जोरदार टक्कर होती हुई दिख रही है, जिसमें एनडीए बाजी मार रही है. बता दें कि इस समय पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी हैं, वहां आए दिन मुख्यमंत्री के टकराव की खबरें आती रहती हैं.
पश्चिम बंगाल
इन पांच राज्यों में अगर सबसे महत्वपूर्ण चुनावों की बात करें जिन पर सबकी नजरें होगी तो वह राज्य है पश्चिम बंगाल. ममता बनर्जी के 10 सालों के शासनकाल के बाद क्या जनता एक बार फिर से उन्हें मौका देगी या बीजेपी राज्य में सरकार बनाएगी, इसका जवाब इस पोल में दिया गया है.
15 सालों के लेफ्ट शासन को हराकर राज्य में टीएमसी की सरकार बनाने वाली ममता बनर्जी को इस बार बीजेपी से जोरदार टक्कर मिल रही है. बीजेपी ने राज्य में टीएमसी के कई बड़े नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है जिसके बाद से टीएमसी के लिए चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं.
सोमवार शाम को जब ओपिनियन पोल को जारी किया गया तो उसी दिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नंदीग्राम में रैली कर रही थीं. ऐसा माना जाता है कि राज्य में नंदीग्राम सत्ता का महत्वपूर्ण केंद्र है. इस समय यहां से शुभेंदु अधिकारी विधायक हैं, जो कुछ महीने पहले ही बीजेपी में शामिल हुए हैं.
इस जिले के आस-पास करीब 180 विधानसभा सीटें हैं जिनको इस जिले से प्रभावित किया जा सकता है. इसलिए ही ममता बनर्जी ने रैली में भी कहा जरूरत पड़ी तो वह नंदीग्राम से और अपनी पारंपरिक सीट दोनों जगहों से विधानसभा का चुनाव लडे़ंगी.
इस पोल में बताया गया है कि मोदी सरकार के कामकाज से करीब 74 प्रतिशत जनता संतुष्ट है. वहीं ममता बनर्जी के कामकाज से 38 प्रतिशत लोग संतुष्ट हैं. जबकि राज्य सरकार के काम काज से असंतुष्ट लोगों की संख्या 49 फीसदी है.
ओपिनियन पोल के मुताबिक, इस बार के चुनाव में टीएमसी को 43 फीसदी वोट मिल सकते हैं. वहीं बीजेपी को 37.5 फीसदी वोट मिल सकते हैं. कांग्रेस और लेफ्ट के गठबंधन के खाते में 12 फीसदी सीटें जा सकती हैं. इसके अलावा अन्य को 7.5 फीसदी वोट मिल सकते हैं.
अगर इन वोटो को सीटों में परिवर्तित करें तो, टीएमसी को 154 से 162 सीटें मिल सकती हैं. वहीं बीजेपी के खाते में 98 से 106 सीटें जानें का अनुमान है. कांग्रेस और लेफ्ट के गठबंधन को 26 से 34 सीटें मिल सकती हैं. वहीं अन्य के खाते में 2 से 6 सीटें जा सकती हैं.
यानी की एक बार फिर से टीएमसी की सरकार बन रही है. इन चुनावों में प्रशांत किशोर के बीजेपी के डबल संख्या में सीमित होने वाले बयान की भी काफी चर्चा है. यह पहली बार था कि प्रशांत किशोर ने किसी पार्टी को लेकर यह बयान दिया था. जिसके बाद उन्होंने टाइम्स नाउ से बातचीत में फिर से दोहराया था कि अगर उनका यह बयान सहीं नहीं होगा तो वह यह काम छोड़ देंगे.
हालांकि अभी चुनावों में काफी समय है इसलिए यह देखना रोचक होगा कि आने वाले समय में राज्य में क्या स्थिति बनेगी और किसकी ताजपोशी होगी.
आगामी पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान अभी नहीं हुआ है लेकिन सभी पार्टियों की तैयारियां जोरो-शोरो से चालू हैं. पश्चिम बंगाल में भाजपा टीएमसी को हराने के लिए जोरदार टक्कर दे रही है तो वहीं तमिलनाडु में इस बार यूपीए की सरकार बनती दिख रही है.
एबीपी न्यूज और सी वोटर के इस सर्वे में पांच राज्यों का परिणाम दिखाया गया है. असम, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल और पुडुचेरी. मौजूदा समय में इन पांच राज्यों में असम में एनडीए, पुडुचेरी में यूपीए सरकार, केरल में लेफ्ट, पश्चिम बंगाल में टीएमसी और तमिलनाडु में एआईडीएमके की सरकार है.
पांचों राज्यों के 824 विधानसभा सीटों पर 45 हजार से ज्यादा लोगों से बात करके इस ओपिनियन पोल को जारी किया गया है. इस पोल में सबसे पहले तमिलनाडु राज्य का परिणाम बताया गया है.
सर्वे की माने तो तमिलनाडु में मुख्यमंत्री के कामकाज से राज्य के करीब 60 प्रतिशत लोग संतुष्ट हैं. वहीं प्रधानमंत्री के कामकाज से भी करीब 58 प्रतिशत लोग संतुष्ट हैं, लेकिन इस बार के विधानसभा चुनावों में लोगों की पसंद यूपीए है. सर्वे के मुताबिक यूपीए को 41 प्रतिशत वोट मिल रहे हैं वहीं एनडीए को 29%, एमएनएम को 7%, एएमएमके को 8% और अन्य को 15%.
सीटों की बात करें तो यूपीए को 158-166, एनडीए 60-68, एमएनएम 0-4, एएमएमके 2-6, अन्य 0-4 सीट मिलती दिख रही हैं. बता दें कि राज्य में स्वर्गीय जयललिता की पार्टी एआईडीएमके की सरकार है जिसमें बीजेपी भी उसकी सहयोगी है लेकिन सरकार में बीजेपी का कोई भी सदस्य नहीं है. जयललिता की खास पूर्व सहयोगी शशिकला की पार्टी एएमएमके लोकसभा चुनावों में तो कुछ खास नहीं कर पाई लेकिन इन चुनावों में पार्टी को 8 प्रतिशत वोट मिलने के आसार है.
केरल
केरल में पिछले 40 सालों से हर पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन होता है. वहां दो मुख्य गठबंधन हैं यूडीएफ और एलडीएफ. यूडीएफ- कांग्रेस पार्टी और अन्य पार्टियों के गठबंधन का नाम है तो वहीं एलडीएफ- लेफ्ट और अन्य पार्टियों के गठबंधन का नाम है. इस समय राज्य में पी विजयन की सरकार है. सी वोटर के ओपिनियन पोल के मुताबिक पिछले 40 सालों से चला आ रहा सत्ता परिवर्तन इस बार नहीं होता हुआ दिख रहा है.
सर्वे में एलडीएफ को 42%, यूडीएफ को 35, बीजेपी 15 और अन्य को 8 प्रतिशत वोट मिलता दिख रहा है. अगर इसे वोटों में बदलें तो एलडीएफ 81-89, यूडीएफ 49-57, बीजेपी 0-2 और अन्य 0-2 को सीटें मिलती हुई दिख रही हैं.
खास बात यह है कि इसी राज्य की वायनाड सीट से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सांसद भी हैं. सांसद बनने के बाद से उन्होंने अपने लोकसभा क्षेत्र की कई यात्राएं की हैं. माना जाता है कि यह यात्राएं उन्होंने राज्य के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर की हैं. हालांकि इस सर्वे में उन यात्राओं का कोई खास प्रभाव होता नहीं दिख रहा है.
केरल के इस सर्वे पर पत्रकार दिबांग कहते हैं, अभी सत्ता परिवर्तन तो नहीं दिख रहा है लेकिन (गोल्ड स्मगलिंग केस) में भष्ट्राचार का मामला आने के बाद से मुख्यमंत्री को खासा मुसीबत का सामना करना पड़ा है. अभी चुनाव में काफी समय है और हो सकता है कि यह मामला और तेजी पकड़े तो फिर लोगों का रुझान बदल सकता है.
असम
पूर्वोत्तर राज्यों बीजेपी ने अपनी सरकार बनाने की शुरुआत असम से ही की थी. यह राज्य पूर्वोत्तर में सबसे बड़ा राज्य है. पांच साल की सर्बानंद सोनोवाल की सरकार फिर से बनेगी या नहीं? इस पर ओपिनियन पोल की माने तो एक बार फिर से सोनोवाल के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बन रही है. पोल में एनडीए को 43, यूपीए को 35, एआईयूडीएफ को 8 और अन्य को 14 फीसदी वोट मिलता दिख रहा है.
वहीं अगर इन वोट प्रतिशत को सीटो में बदले तो एनडीए को 73-81, यूपीए को 36-44, एआईयूडीएफ को 5-9 और अन्य को 0-4 सीटें मिलने का आसार है. असम में खास बात यह है कि इस राज्य में ही सबसे पहले सीएए और एनआरसी लागू किया गया था.
बीजेपी ने 2016 के चुनावों में इस मुद्दे पर लोगों से वोट मांगा था, जिसके बाद वहां की सरकार ने एनआरसी को लागू किया था. सर्वे में जीतती दिख रही एनडीए को यह साफ हो गया है कि लोग सीएए-एनआरसी को समर्थन कर रहे हैं.
एक टीवी डिबेट में यह सवाल सुमित अवस्थी ने जनसत्ता के पूर्व संपादक प्रदीप सिंह से पूछा. इस पर वो कहते हैं, इन पोल के आंकड़ों को देखने के बाद तो यही लग रहा है कि लोग समर्थन कर रहे हैं, लेकिन यहां एक और बात है वह है कांग्रेस के पास कोई राज्य में नेतृत्व नहीं है.
उन्होने आगे कहा, पूर्व मुख्यमंत्री तरूण गोगोई के निधन के बाद से राज्य में कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं बचा है जिसके नाम पर जनता वोट दे. इस पर कांग्रेस के प्रवक्ता मधु गौड़ याक्षी जवाब देते हुए कहते हैं कि कांग्रेस के पास राज्य में चेहरा है और पार्टी जीत हासिल करेगी.
पुडुचेरी
तमिलनाडु से सटे केद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में भी इस इसी साल चुनाव होने हैं. 30 सीटों वाले इस केंद्र शासित प्रदेश में अभी कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार है. जिसके मुख्यमंत्री वी नारायणसामी हैं.
सी वोटर के पोल के मुताबिक कांग्रेस गठबंधन एसडीए को 12 से 16 सीटें मिल सकती हैं. वहीं एनडीए के खाते में 14 से 18 सीटें मिलने का अनुमान है. एमएनएम MNM के खाते में 0 से 1 सीट जा सकती है. अन्य के हिस्से में भी 0 से एक सीट आ सकती है.
सर्वे के परिणामों को अगर सच माने तो इस बार राज्य में दोनों गठबंधनों में जोरदार टक्कर होती हुई दिख रही है, जिसमें एनडीए बाजी मार रही है. बता दें कि इस समय पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी हैं, वहां आए दिन मुख्यमंत्री के टकराव की खबरें आती रहती हैं.
पश्चिम बंगाल
इन पांच राज्यों में अगर सबसे महत्वपूर्ण चुनावों की बात करें जिन पर सबकी नजरें होगी तो वह राज्य है पश्चिम बंगाल. ममता बनर्जी के 10 सालों के शासनकाल के बाद क्या जनता एक बार फिर से उन्हें मौका देगी या बीजेपी राज्य में सरकार बनाएगी, इसका जवाब इस पोल में दिया गया है.
15 सालों के लेफ्ट शासन को हराकर राज्य में टीएमसी की सरकार बनाने वाली ममता बनर्जी को इस बार बीजेपी से जोरदार टक्कर मिल रही है. बीजेपी ने राज्य में टीएमसी के कई बड़े नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है जिसके बाद से टीएमसी के लिए चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं.
सोमवार शाम को जब ओपिनियन पोल को जारी किया गया तो उसी दिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नंदीग्राम में रैली कर रही थीं. ऐसा माना जाता है कि राज्य में नंदीग्राम सत्ता का महत्वपूर्ण केंद्र है. इस समय यहां से शुभेंदु अधिकारी विधायक हैं, जो कुछ महीने पहले ही बीजेपी में शामिल हुए हैं.
इस जिले के आस-पास करीब 180 विधानसभा सीटें हैं जिनको इस जिले से प्रभावित किया जा सकता है. इसलिए ही ममता बनर्जी ने रैली में भी कहा जरूरत पड़ी तो वह नंदीग्राम से और अपनी पारंपरिक सीट दोनों जगहों से विधानसभा का चुनाव लडे़ंगी.
इस पोल में बताया गया है कि मोदी सरकार के कामकाज से करीब 74 प्रतिशत जनता संतुष्ट है. वहीं ममता बनर्जी के कामकाज से 38 प्रतिशत लोग संतुष्ट हैं. जबकि राज्य सरकार के काम काज से असंतुष्ट लोगों की संख्या 49 फीसदी है.
ओपिनियन पोल के मुताबिक, इस बार के चुनाव में टीएमसी को 43 फीसदी वोट मिल सकते हैं. वहीं बीजेपी को 37.5 फीसदी वोट मिल सकते हैं. कांग्रेस और लेफ्ट के गठबंधन के खाते में 12 फीसदी सीटें जा सकती हैं. इसके अलावा अन्य को 7.5 फीसदी वोट मिल सकते हैं.
अगर इन वोटो को सीटों में परिवर्तित करें तो, टीएमसी को 154 से 162 सीटें मिल सकती हैं. वहीं बीजेपी के खाते में 98 से 106 सीटें जानें का अनुमान है. कांग्रेस और लेफ्ट के गठबंधन को 26 से 34 सीटें मिल सकती हैं. वहीं अन्य के खाते में 2 से 6 सीटें जा सकती हैं.
यानी की एक बार फिर से टीएमसी की सरकार बन रही है. इन चुनावों में प्रशांत किशोर के बीजेपी के डबल संख्या में सीमित होने वाले बयान की भी काफी चर्चा है. यह पहली बार था कि प्रशांत किशोर ने किसी पार्टी को लेकर यह बयान दिया था. जिसके बाद उन्होंने टाइम्स नाउ से बातचीत में फिर से दोहराया था कि अगर उनका यह बयान सहीं नहीं होगा तो वह यह काम छोड़ देंगे.
हालांकि अभी चुनावों में काफी समय है इसलिए यह देखना रोचक होगा कि आने वाले समय में राज्य में क्या स्थिति बनेगी और किसकी ताजपोशी होगी.