चित्रकथा: 'बारिश के बाद भी नहीं टूटेगा हमारा मनोबल, जीतकर जाएंगे'

चित्रकथा: 'बारिश के बाद भी नहीं टूटेगा हमारा मनोबल, जीतकर जाएंगे'

दिल्ली में बीते दो दिनों से बारिश हो रही है. बारिश के बीच भी नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसान डटे हुए हैं. तस्वीरों में देखिए बारिश के बाद गाजीपुर बॉर्डर का हाल.

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दो दिन से हो रही लगातार बारिश के बावजूद गाजीपुर बॉर्डर पर किसान जमे हुए हैं. आंधी के साथ आई बारिश में किसानों के कई टेंट उड़ गए. कई टेंटों के अंदर पानी भर जाने से पहनने, बिछाने और ओढ़ने के कपड़े भी भीग गए हैं. हालांकि इस सबके बावजूद किसानों के हौसलों में कोई कमी नजर नहीं आई.

उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के रहने वाले 70 वर्षीय किसान मोहम्मद इस्लाम अपने साथियों के साथ ट्रॉली में बैठे हुए थे. जब हमने उनसे पूछा कि बारिश के बाद ठंड बढ़ने से घर लौटने का ख्याल नहीं आया तो वह कहते हैं, ''अरे घर लौटने की बात ही नहीं है. अपने हक़ के लिए तो इस ठंड में नंगे होकर भी हम प्रदर्शन कर सकते हैं.''

खुद को बाबा टिकैत के शिष्य बताने वाले इस्लाम, मशहूर क्रांतिकारी शेर 'सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है. देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है' सुनाते हुए आगे कहते हैं, “हम ये लड़ाई तब तक लड़ेंगे जब तक जीत नहीं जाते.

बता दें कि गाजीपुर बॉर्डर एक जनवरी को एक किसान की ठंड लगने से मौत हो गई थी. उसके अगले दिन रामपुर के रहने वाले एक 70 वर्षीय बुजुर्ग किसान ने शौचालय में आत्महत्या कर ली. उन्होंने सुसाइड नोट लिखा था, कि उनका अंतिम संस्कार गाजीपुर बॉर्डर पर ही किया जाए. हालांकि ऐसा नहीं हुआ. लगातार दो दिन में दो लोगों की मौत और बारिश के कारण ठंड बढ़ने से किसानों पर कोई असर नहीं दिख रहा है. वे अपनी मांग मनवाने के बाद ही वापस जाने की बात कहते नजर आते हैं.

भारतीय किसान संगठन के बरेली के जिला मंत्री रमाकांत उपाध्याय कहते है, “यह बारिश हमारा कुछ नहीं कर पाएगी. हम किसान तो खेतों को सिंचने के लिए कई घंटे पानी में रहते हैं. वो भी ठंड और बारिश के बीच में, तो यह कुछ घंटो की बारिश हमारा क्या बिगाड़ पाएगी. हमारा मनोबल बारिश से नहीं टूटेगा.”

बारिश के बाद गाजीपुर बॉर्डर के क्या हालात हैं उसे न्यूज़लॉन्ड्री ने अपने कैमरे में उतारा है. देखिए ये कुछ तस्वीरें...

दो दिन से हो रही लगातार बारिश के बावजूद गाजीपुर बॉर्डर पर किसान जमे हुए हैं. आंधी के साथ आई बारिश में किसानों के कई टेंट उड़ गए. कई टेंटों के अंदर पानी भर जाने से पहनने, बिछाने और ओढ़ने के कपड़े भी भीग गए हैं. हालांकि इस सबके बावजूद किसानों के हौसलों में कोई कमी नजर नहीं आई.

उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के रहने वाले 70 वर्षीय किसान मोहम्मद इस्लाम अपने साथियों के साथ ट्रॉली में बैठे हुए थे. जब हमने उनसे पूछा कि बारिश के बाद ठंड बढ़ने से घर लौटने का ख्याल नहीं आया तो वह कहते हैं, ''अरे घर लौटने की बात ही नहीं है. अपने हक़ के लिए तो इस ठंड में नंगे होकर भी हम प्रदर्शन कर सकते हैं.''

खुद को बाबा टिकैत के शिष्य बताने वाले इस्लाम, मशहूर क्रांतिकारी शेर 'सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है. देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है' सुनाते हुए आगे कहते हैं, “हम ये लड़ाई तब तक लड़ेंगे जब तक जीत नहीं जाते.

बता दें कि गाजीपुर बॉर्डर एक जनवरी को एक किसान की ठंड लगने से मौत हो गई थी. उसके अगले दिन रामपुर के रहने वाले एक 70 वर्षीय बुजुर्ग किसान ने शौचालय में आत्महत्या कर ली. उन्होंने सुसाइड नोट लिखा था, कि उनका अंतिम संस्कार गाजीपुर बॉर्डर पर ही किया जाए. हालांकि ऐसा नहीं हुआ. लगातार दो दिन में दो लोगों की मौत और बारिश के कारण ठंड बढ़ने से किसानों पर कोई असर नहीं दिख रहा है. वे अपनी मांग मनवाने के बाद ही वापस जाने की बात कहते नजर आते हैं.

भारतीय किसान संगठन के बरेली के जिला मंत्री रमाकांत उपाध्याय कहते है, “यह बारिश हमारा कुछ नहीं कर पाएगी. हम किसान तो खेतों को सिंचने के लिए कई घंटे पानी में रहते हैं. वो भी ठंड और बारिश के बीच में, तो यह कुछ घंटो की बारिश हमारा क्या बिगाड़ पाएगी. हमारा मनोबल बारिश से नहीं टूटेगा.”

बारिश के बाद गाजीपुर बॉर्डर के क्या हालात हैं उसे न्यूज़लॉन्ड्री ने अपने कैमरे में उतारा है. देखिए ये कुछ तस्वीरें...

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