ज्यादातर अंतरधार्मिक शादियों में हिंदूवादी संगठनों की भूमिका सामने आती है

बजरंग दल और वीएचपी जैसे हिंदुवादी संगठनों का मानना है कि नए धर्मांतरण विरोधी कानून से उनका काम आसान हो गया है.

WrittenBy:बसंत कुमार
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'नए कानून से कोई फायदा नहीं होगा'

बजरंग दल के अलावा कानपुर में राष्ट्रीय बजरंग दल भी काफी सक्रिय है. कथित लव जिहाद के कई मामलों में इनकी भूमिका सामने आई है. ऑप इंडिया और दैनिक जागरण ने राष्ट्रीय बजरंग दल के नेताओं के बयान के आधार पर कई रिपोर्टे लिखी हैं.

बजरंग दल, आरएसएस और विश्व हिन्दू परिषद का एक अंग हैं, वहीं राष्ट्रीय बजरंग दल, अंतराष्ट्रीय हिन्दू परिषद का अंग है जिसका निर्माण वीएचपी से अलग होने वाले प्रवीण तोगड़िया ने किया है. अंतराष्ट्रीय हिन्दू परिषद का महिला विंग भी है जिसका नाम राष्ट्रीय महिला परिषद है. ये संगठन भी काफी सक्रिय रहता है.

नौबस्ता थाना क्षेत्र में कथित तौर पर अपना धर्म छुपाकर लड़की को फंसाने और उसका धर्मपरिवर्तन कर शादी करने का मामला हो या गोविंद नगर इलाके में घर से नाराज़ होकर भागने वाली लड़की का एक मुस्लिम लड़के द्वारा कथित तौर पर बहलाकर शादी करने का मामला हो, इस संगठन ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और मामला दर्ज करवाया. इन दोनों मामलों में आरोपी जेल में हैं.

न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए रामजी तिवारी बताते हैं, ‘‘हम लोग प्रेम के विरोधी नहीं है लेकिन जिस प्रेम में छल-कपट शामिल हो उसे हम किसी भी स्थिति में मंज़ूर नहीं कर सकते.’’

क्या आप लोगों के पास जाते हैं या लोग आप तक आते हैं. इस पर रामजी तिवारी कहते हैं , ‘‘आप लोग जैसे सोर्स बनाते हैं वैसे हमारे भी लोग समाज में हैं. वे हमें जानकरी देते हैं. आर्यन मल्होत्रा नाम बताकर मुस्लिम लड़का एक हिन्दू लड़की के सम्पर्क में था. जब ये बात लड़की के चाचा को पता चली तो वे हमारे पास आए. लड़की नाबालिक थी. हमने उसकी जानकारी निकाली तो उसका आधार कार्ड मिला जिसमें उसका नाम बदला हुआ था. हम उसे पकड़कर पुलिस के पास ले गए. ठीक ऐसा ही नौबस्ता थाने में ही अपना नाम राहुल सिंह बताकर एक लड़का हिन्दू लड़की से शादी कर लिया था. उसके परिजन हम तक पहुंचे तो हमने उनकी हर स्तर पर मदद की. चाहे पुलिस तक उनकी बात पहुंचानी हो या उनके लिए वकील करना हो. हम हर जगह उनके साथ खड़े रहते हैं. आरोपी पक्ष कई दफा पीड़ित पक्ष को धमकाता भी है, लेकिन उनको जैसे पता चलता है कि बजरंग दल के लोग इनके साथ हैं तो वे डर जाते हैं.’’

हिंदुवादी संगठनों के तमाम दावों के बावजूद उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा गठित एसआईटी को जांच में किसी बी तरह की साजिश या गिरोह का पता नहीं चला. उसने रिपोर्ट में लिखा कि कोई संगठित तरीके से इन मामलों में आरोपियों की मदद नहीं कर रहा है. रामजी तिवारी कहते हैं, ‘‘भले ही पाकिस्तान इनको मदद नहीं कर रहा हो लेकिन भारत में ही न जाने कितने लोग और संगठन पाकिस्तान की भाषा बोलते हैं. वे लोग इनकी मदद करते हैं. फिर यह सवाल उठता है कि यह भी एक तरह का आतंकवाद है क्या? भारत में जनसंख्या असंतुलित करने का यह भी एक रूप है क्या? या हिंदुओं के अंदर एक समाजिक और सांस्कृतिक तानाबाना खत्म करने का रूप है.”

रामजी एसआईटी की रिपोर्ट पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहते हैं, ‘‘उन्होंने ठीक से जांच नहीं की. उन लोगों ने उन्हें ही उठाकर जेल भेजा जिसकी सूचना हमने उन्हें दी. उनके साथ के लोगों को क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया. यह अकेले का काम नहीं था. उस मौलवी को गिरफ्तार क्यों नहीं किया जिसने निकाह कराया. वो कौन लोग हैं जो इनको कानूनी सहायता दे रहे हैं. आज ये लोग हाईकोर्ट जाते हैं तो इनकी फीस कौन दे रहा है. ये तो ड्राइवर, मज़दूर लोग हैं. हाईकोर्ट के वकील की फीस लाखों में होती है. फिर इनको कौन मदद पहुंचा रहा है. इसकी जांच क्यों नहीं हुई. हम इसके लिए भी जल्द ही आंदोलन करने वाले हैं.’’

योगी सरकार ने जो कानून पास किया उससे क्या लव जिहाद के मामलों में कमी आएगी. इस सवाल पर रामजी कहते हैं, ‘‘देखिए देश में पहले से ही कई कानून बने हुए हैं. एक कानून और पास हो गया तो कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. जो कानून मौजूद है उनके हिसाब से ही काम किया जाए तो ऐसे मामलों को रोका जा सकता है. बजरंग दल के लोगों की सरकार है इसलिए वे कुछ बोल नहीं रहे है लेकिन हमारी तो सरकार नहीं है इसलिए हम कह सकते हैं कि इस कानून से कोई फायदा नहीं होगा.’’

परिजनों की सहमति के बावजूद क्यों रोकी शादी?

दो दिसंबर को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पारा इलाके में रैना और आदिल की शादी होनी थी. ये शादी दोनों परिवारों की रजामंदी से हो रही थी. शादी हिन्दू और मुस्लिम दोनों रीति से होनी थी. लेकिन दो दिसंबर को अचानक से पुलिस पहुंची और शादी रुकवा दी गई. जब दोनों के परिजन राजी थे तो आखिर पुलिस को सूचना किसने दिया? किसी इस शादी से परेशानी हुई? इस सवाल का जवाब हैं राष्ट्रीय युवा वाहिनी और हिन्दू महासभा.

राष्ट्रीय युवा वाहिनी के प्रमुख केडी शर्मा का आवास लड़का और लड़की के घर से महज पांच सौ मीटर की दूरी पर हैं. इनके कार्यालय में बाबा साहब अंबेडकर, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, अटल बिहारी वाजपेयी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के कई नेताओं की तस्वीर लगी हुई है. लम्बे समय तक बहुजन समाज पार्टी के सदस्य रहे केडी शर्मा साल 2012 में पश्चिमी लखनऊ से निर्दलीय विधायक का चुनाव भी लड़ चुके हैं हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा. यह संगठन वैसे तो आरएसएस या बीजेपी का कोई अंग नहीं ये खुद को भाजपा का सहयोगी संगठन बताते हैं. जो इनके तमाम पोस्टर पर भी लिखा मिलता हैं.

इस शादी को रुकवाने का पत्र केडी शर्मा ने खुद तो नहीं लिखा बल्कि संगठन के अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष यासिर खान से लिखवाया. एक दिसंबर को सहायक आयुक्त को लिखे अपने पत्र में यासिर लिखते हैं, ''हमें इस शादी से कोई ऐतराज नहीं है लेकिन इनके द्वारा नवीन कानून लव जिहाद का उल्लंघन किया जा रहा है. हम सभी का कर्तव्य है कि नए कानून का पालन किया जाए. ऐसा नहीं होने पर कोई भी घटना घट सकती है. मैं चाहता हूं कि इस शादी को तत्काल प्रभाव से रोककर क़ानूनी व्यवस्था के अनुसार शादी कराई जाए.''

जब दोनों पक्ष शादी के लिए राजी थे. कोई धर्म परिवर्तन नहीं हो रहा था. ऐसे में नए कानून का पालन नहीं करने का सवाल कैसे उठता है. आखिर आपको कौन सी घटना घटने का डर था. इस सवाल के जवाब में यासिर खान कहते हैं, “जागरूक नागरिक होने के नाते किसी भी कानून का पालन कराना हमारी जिम्मेदारी है और वही ज़िम्मेदारी हमने निभाई है. जहां तक घटना घटने की बात है तो आसपास के लोगों में नाराज़गी थी. कुछ और संगठन के लोग वहां पहुंच गए थे. ऐसे में दंगा भी ही सकता था.”

तो क्या आप सड़क चलते किसी भी जगह कानून का पालन होते नहीं देखते तो उसकी शिकायत करते हैं. उन्हें रोककर कानून पालन करने की नसीहत देते हैं? इस सवाल के जवाब में यासिर कहते हैं, “हम कोशिश करते हैं. हमारे संगठन का मकसद समाज में शांति व्यवस्था कायम करना है. हम लोग कोई चुनाव तो लड़ते नहीं हैं. ऐसे में जहां लगता है कि समाज में टूट पड़ेगी वहां हम आगे बढ़कर चीजों को बेहतर करने की कोशिश करते हैं. यकीन मानिए इसके अलावा हमें कोई मतलब नहीं.’’

केडी शर्मा का दावा है कि स्थानीय लोग उनके पास शिकायत लेकर पहुंचे थे. उन्होंने ने ही यासिर खान को मामले को देखने के लिए बोला. जब शिकायत आपके पास आई तो आपने खुद आगे बढ़कर मामले को क्यों नहीं देखा कि यासिर खान को यह ज़िम्मेदारी सौंप दी. इस पर शर्मा कोई स्पष्ट जवाब नहीं देते. वो बताते हैं, ‘‘दोनों के परिवार से लोग तो हमारे पास नहीं आए थे लेकिन उस गली के हिन्दू मेरे पास आए और उन्होंने बताया कि अजीब तरह से यह शादी हो रही है. हिन्दू रीतिरिवाज से मंडप में भी शादी होगी और इस्लाम के मुताबिक निकाह भी होगा. लड़की के पिता का निधन हो गया है. उसका सौतेला पिता शराबी है और वह मुस्लिम लड़के से शराब मंगा कर पीता है. पूरे परिवार का माइंड वॉश मुसलमान परिवार ने कर दिया था. इसलिए शादी हो रही है. इसका गलत असर हमारी घर की बेटियों पर पड़ेगा. यह सब जानने के बाद हमने यासिर को फोन किया और फिर शादी रुकवाई गई. बिना कानून का पालन किए शादी करना गलत है.’’

हिन्दू लड़कियों पर क्या गलत असर पड़ सकता था यह शादी होने की स्थिति में? इस सवाल के जवाब में केडी शर्मा बताते हैं, ‘‘नियम को ताक पर रखते हुए मंडप लगाकर शादी एक विशेष वर्ग के व्यक्ति से की जा रही हो. ऐसे में अन्य हिन्दू लड़कियां निडर हो जाएगी कि जब उन्होंने नियम को ताक पर रखकर शादी किया है तो हम क्यों न करें. इसी वजह से हमने करवाई करने का प्लान बनाया. यह वास्तव में लव जिहाद था.’’

केडी शर्मा बजरंग दल से थोड़ा अलग सोचते हैं. अंतरधार्मिक विवाह में भले ही लड़का-लड़की किसी भी धर्म के हो इनके लिए यह लव जिहाद ही है. पुलिस आपकी ऐसे मामलों में कैसे मदद करती है. इस सवाल के जवाब में केडी शर्मा कहते हैं, ‘‘सरकार कोई भी हो पुलिस हमें मदद करती रही है. हम कानून से बाहर जाकर कोई काम करते ही नहीं है. इसी मामले को देख लीजिए. हमने कानूनसम्मत काम किया तो पुलिस भी तत्काल कार्रवाई करते हुए शादी रुकवा दी. दोनों के परिजनों को बुलाकर समझाया गया. उन्हें नए कानून के बारे में बताया गया.’’

'नए कानून से कोई फायदा नहीं होगा'

बजरंग दल के अलावा कानपुर में राष्ट्रीय बजरंग दल भी काफी सक्रिय है. कथित लव जिहाद के कई मामलों में इनकी भूमिका सामने आई है. ऑप इंडिया और दैनिक जागरण ने राष्ट्रीय बजरंग दल के नेताओं के बयान के आधार पर कई रिपोर्टे लिखी हैं.

बजरंग दल, आरएसएस और विश्व हिन्दू परिषद का एक अंग हैं, वहीं राष्ट्रीय बजरंग दल, अंतराष्ट्रीय हिन्दू परिषद का अंग है जिसका निर्माण वीएचपी से अलग होने वाले प्रवीण तोगड़िया ने किया है. अंतराष्ट्रीय हिन्दू परिषद का महिला विंग भी है जिसका नाम राष्ट्रीय महिला परिषद है. ये संगठन भी काफी सक्रिय रहता है.

नौबस्ता थाना क्षेत्र में कथित तौर पर अपना धर्म छुपाकर लड़की को फंसाने और उसका धर्मपरिवर्तन कर शादी करने का मामला हो या गोविंद नगर इलाके में घर से नाराज़ होकर भागने वाली लड़की का एक मुस्लिम लड़के द्वारा कथित तौर पर बहलाकर शादी करने का मामला हो, इस संगठन ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और मामला दर्ज करवाया. इन दोनों मामलों में आरोपी जेल में हैं.

न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए रामजी तिवारी बताते हैं, ‘‘हम लोग प्रेम के विरोधी नहीं है लेकिन जिस प्रेम में छल-कपट शामिल हो उसे हम किसी भी स्थिति में मंज़ूर नहीं कर सकते.’’

क्या आप लोगों के पास जाते हैं या लोग आप तक आते हैं. इस पर रामजी तिवारी कहते हैं , ‘‘आप लोग जैसे सोर्स बनाते हैं वैसे हमारे भी लोग समाज में हैं. वे हमें जानकरी देते हैं. आर्यन मल्होत्रा नाम बताकर मुस्लिम लड़का एक हिन्दू लड़की के सम्पर्क में था. जब ये बात लड़की के चाचा को पता चली तो वे हमारे पास आए. लड़की नाबालिक थी. हमने उसकी जानकारी निकाली तो उसका आधार कार्ड मिला जिसमें उसका नाम बदला हुआ था. हम उसे पकड़कर पुलिस के पास ले गए. ठीक ऐसा ही नौबस्ता थाने में ही अपना नाम राहुल सिंह बताकर एक लड़का हिन्दू लड़की से शादी कर लिया था. उसके परिजन हम तक पहुंचे तो हमने उनकी हर स्तर पर मदद की. चाहे पुलिस तक उनकी बात पहुंचानी हो या उनके लिए वकील करना हो. हम हर जगह उनके साथ खड़े रहते हैं. आरोपी पक्ष कई दफा पीड़ित पक्ष को धमकाता भी है, लेकिन उनको जैसे पता चलता है कि बजरंग दल के लोग इनके साथ हैं तो वे डर जाते हैं.’’

हिंदुवादी संगठनों के तमाम दावों के बावजूद उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा गठित एसआईटी को जांच में किसी बी तरह की साजिश या गिरोह का पता नहीं चला. उसने रिपोर्ट में लिखा कि कोई संगठित तरीके से इन मामलों में आरोपियों की मदद नहीं कर रहा है. रामजी तिवारी कहते हैं, ‘‘भले ही पाकिस्तान इनको मदद नहीं कर रहा हो लेकिन भारत में ही न जाने कितने लोग और संगठन पाकिस्तान की भाषा बोलते हैं. वे लोग इनकी मदद करते हैं. फिर यह सवाल उठता है कि यह भी एक तरह का आतंकवाद है क्या? भारत में जनसंख्या असंतुलित करने का यह भी एक रूप है क्या? या हिंदुओं के अंदर एक समाजिक और सांस्कृतिक तानाबाना खत्म करने का रूप है.”

रामजी एसआईटी की रिपोर्ट पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहते हैं, ‘‘उन्होंने ठीक से जांच नहीं की. उन लोगों ने उन्हें ही उठाकर जेल भेजा जिसकी सूचना हमने उन्हें दी. उनके साथ के लोगों को क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया. यह अकेले का काम नहीं था. उस मौलवी को गिरफ्तार क्यों नहीं किया जिसने निकाह कराया. वो कौन लोग हैं जो इनको कानूनी सहायता दे रहे हैं. आज ये लोग हाईकोर्ट जाते हैं तो इनकी फीस कौन दे रहा है. ये तो ड्राइवर, मज़दूर लोग हैं. हाईकोर्ट के वकील की फीस लाखों में होती है. फिर इनको कौन मदद पहुंचा रहा है. इसकी जांच क्यों नहीं हुई. हम इसके लिए भी जल्द ही आंदोलन करने वाले हैं.’’

योगी सरकार ने जो कानून पास किया उससे क्या लव जिहाद के मामलों में कमी आएगी. इस सवाल पर रामजी कहते हैं, ‘‘देखिए देश में पहले से ही कई कानून बने हुए हैं. एक कानून और पास हो गया तो कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. जो कानून मौजूद है उनके हिसाब से ही काम किया जाए तो ऐसे मामलों को रोका जा सकता है. बजरंग दल के लोगों की सरकार है इसलिए वे कुछ बोल नहीं रहे है लेकिन हमारी तो सरकार नहीं है इसलिए हम कह सकते हैं कि इस कानून से कोई फायदा नहीं होगा.’’

परिजनों की सहमति के बावजूद क्यों रोकी शादी?

दो दिसंबर को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पारा इलाके में रैना और आदिल की शादी होनी थी. ये शादी दोनों परिवारों की रजामंदी से हो रही थी. शादी हिन्दू और मुस्लिम दोनों रीति से होनी थी. लेकिन दो दिसंबर को अचानक से पुलिस पहुंची और शादी रुकवा दी गई. जब दोनों के परिजन राजी थे तो आखिर पुलिस को सूचना किसने दिया? किसी इस शादी से परेशानी हुई? इस सवाल का जवाब हैं राष्ट्रीय युवा वाहिनी और हिन्दू महासभा.

राष्ट्रीय युवा वाहिनी के प्रमुख केडी शर्मा का आवास लड़का और लड़की के घर से महज पांच सौ मीटर की दूरी पर हैं. इनके कार्यालय में बाबा साहब अंबेडकर, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, अटल बिहारी वाजपेयी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के कई नेताओं की तस्वीर लगी हुई है. लम्बे समय तक बहुजन समाज पार्टी के सदस्य रहे केडी शर्मा साल 2012 में पश्चिमी लखनऊ से निर्दलीय विधायक का चुनाव भी लड़ चुके हैं हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा. यह संगठन वैसे तो आरएसएस या बीजेपी का कोई अंग नहीं ये खुद को भाजपा का सहयोगी संगठन बताते हैं. जो इनके तमाम पोस्टर पर भी लिखा मिलता हैं.

इस शादी को रुकवाने का पत्र केडी शर्मा ने खुद तो नहीं लिखा बल्कि संगठन के अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष यासिर खान से लिखवाया. एक दिसंबर को सहायक आयुक्त को लिखे अपने पत्र में यासिर लिखते हैं, ''हमें इस शादी से कोई ऐतराज नहीं है लेकिन इनके द्वारा नवीन कानून लव जिहाद का उल्लंघन किया जा रहा है. हम सभी का कर्तव्य है कि नए कानून का पालन किया जाए. ऐसा नहीं होने पर कोई भी घटना घट सकती है. मैं चाहता हूं कि इस शादी को तत्काल प्रभाव से रोककर क़ानूनी व्यवस्था के अनुसार शादी कराई जाए.''

जब दोनों पक्ष शादी के लिए राजी थे. कोई धर्म परिवर्तन नहीं हो रहा था. ऐसे में नए कानून का पालन नहीं करने का सवाल कैसे उठता है. आखिर आपको कौन सी घटना घटने का डर था. इस सवाल के जवाब में यासिर खान कहते हैं, “जागरूक नागरिक होने के नाते किसी भी कानून का पालन कराना हमारी जिम्मेदारी है और वही ज़िम्मेदारी हमने निभाई है. जहां तक घटना घटने की बात है तो आसपास के लोगों में नाराज़गी थी. कुछ और संगठन के लोग वहां पहुंच गए थे. ऐसे में दंगा भी ही सकता था.”

तो क्या आप सड़क चलते किसी भी जगह कानून का पालन होते नहीं देखते तो उसकी शिकायत करते हैं. उन्हें रोककर कानून पालन करने की नसीहत देते हैं? इस सवाल के जवाब में यासिर कहते हैं, “हम कोशिश करते हैं. हमारे संगठन का मकसद समाज में शांति व्यवस्था कायम करना है. हम लोग कोई चुनाव तो लड़ते नहीं हैं. ऐसे में जहां लगता है कि समाज में टूट पड़ेगी वहां हम आगे बढ़कर चीजों को बेहतर करने की कोशिश करते हैं. यकीन मानिए इसके अलावा हमें कोई मतलब नहीं.’’

केडी शर्मा का दावा है कि स्थानीय लोग उनके पास शिकायत लेकर पहुंचे थे. उन्होंने ने ही यासिर खान को मामले को देखने के लिए बोला. जब शिकायत आपके पास आई तो आपने खुद आगे बढ़कर मामले को क्यों नहीं देखा कि यासिर खान को यह ज़िम्मेदारी सौंप दी. इस पर शर्मा कोई स्पष्ट जवाब नहीं देते. वो बताते हैं, ‘‘दोनों के परिवार से लोग तो हमारे पास नहीं आए थे लेकिन उस गली के हिन्दू मेरे पास आए और उन्होंने बताया कि अजीब तरह से यह शादी हो रही है. हिन्दू रीतिरिवाज से मंडप में भी शादी होगी और इस्लाम के मुताबिक निकाह भी होगा. लड़की के पिता का निधन हो गया है. उसका सौतेला पिता शराबी है और वह मुस्लिम लड़के से शराब मंगा कर पीता है. पूरे परिवार का माइंड वॉश मुसलमान परिवार ने कर दिया था. इसलिए शादी हो रही है. इसका गलत असर हमारी घर की बेटियों पर पड़ेगा. यह सब जानने के बाद हमने यासिर को फोन किया और फिर शादी रुकवाई गई. बिना कानून का पालन किए शादी करना गलत है.’’

हिन्दू लड़कियों पर क्या गलत असर पड़ सकता था यह शादी होने की स्थिति में? इस सवाल के जवाब में केडी शर्मा बताते हैं, ‘‘नियम को ताक पर रखते हुए मंडप लगाकर शादी एक विशेष वर्ग के व्यक्ति से की जा रही हो. ऐसे में अन्य हिन्दू लड़कियां निडर हो जाएगी कि जब उन्होंने नियम को ताक पर रखकर शादी किया है तो हम क्यों न करें. इसी वजह से हमने करवाई करने का प्लान बनाया. यह वास्तव में लव जिहाद था.’’

केडी शर्मा बजरंग दल से थोड़ा अलग सोचते हैं. अंतरधार्मिक विवाह में भले ही लड़का-लड़की किसी भी धर्म के हो इनके लिए यह लव जिहाद ही है. पुलिस आपकी ऐसे मामलों में कैसे मदद करती है. इस सवाल के जवाब में केडी शर्मा कहते हैं, ‘‘सरकार कोई भी हो पुलिस हमें मदद करती रही है. हम कानून से बाहर जाकर कोई काम करते ही नहीं है. इसी मामले को देख लीजिए. हमने कानूनसम्मत काम किया तो पुलिस भी तत्काल कार्रवाई करते हुए शादी रुकवा दी. दोनों के परिजनों को बुलाकर समझाया गया. उन्हें नए कानून के बारे में बताया गया.’’

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