अमीश देवगन के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

अमीश देवगन पर आरोप है कि उन्होंने अपनी कथित अपमानजनक टिप्पणियों से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है.

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पत्रकार अमीश देवगन के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करने से इनकार कर दिया. अमीश पर ये एफआईआर सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती पर कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए देश के कई शहरों में की गई थीं. अमीश देवगन पर आरोप है कि उन्होंने अपनी कथित अपमानजनक टिप्पणियों से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है. हालांकि पत्रकार के खिलाफ कठोर कार्रवाई पर रोक का आदेश जारी रहेगा.

जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने देवगन के खिलाफ सभी दर्ज एफआईआर को अजमेर स्थानांतरित कर दिया है.

इससे पहले 25 सिंतबर को जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने अमीश देवगन की उस याचिका पर अपना फ़ैसला सुरक्षित रखा था जिसमें न्यूज़ एंकर ने कहा था कि उनकी ज़ुबान फिसल गई थी और इसके लिए वह अपनी ओर से खेद भी ज़ाहिर कर चुके हैं.

गौरतलब है कि 15 जून को प्रसारित होने वाले अपने प्राइम टाइम शो "आर-पार" में अमीश ने सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी और ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, जिन्हें ख़्वाजा गरीब नवाज के नाम से भी जाना जाता है, एक "हमलावर" और "लुटेरे" के रूप में कहा था. इस पर देवगन के खिलाफ राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना में सात एफआईआर दर्ज की गई थीं.

बाद में अमीश देवगन ने टीवी प्रोग्राम में माफ़ी मांगने के अलावा 16-17 जून को ट्विटर के ज़रिए भी इस पर अपनी सफ़ाई दी थी. देवगन की याचिका अधिवक्ता विवेक जैन के माध्यम से दायर की गई थी. जिसमें इन एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी. इस पर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है.

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पत्रकार अमीश देवगन के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करने से इनकार कर दिया. अमीश पर ये एफआईआर सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती पर कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए देश के कई शहरों में की गई थीं. अमीश देवगन पर आरोप है कि उन्होंने अपनी कथित अपमानजनक टिप्पणियों से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है. हालांकि पत्रकार के खिलाफ कठोर कार्रवाई पर रोक का आदेश जारी रहेगा.

जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने देवगन के खिलाफ सभी दर्ज एफआईआर को अजमेर स्थानांतरित कर दिया है.

इससे पहले 25 सिंतबर को जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने अमीश देवगन की उस याचिका पर अपना फ़ैसला सुरक्षित रखा था जिसमें न्यूज़ एंकर ने कहा था कि उनकी ज़ुबान फिसल गई थी और इसके लिए वह अपनी ओर से खेद भी ज़ाहिर कर चुके हैं.

गौरतलब है कि 15 जून को प्रसारित होने वाले अपने प्राइम टाइम शो "आर-पार" में अमीश ने सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी और ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, जिन्हें ख़्वाजा गरीब नवाज के नाम से भी जाना जाता है, एक "हमलावर" और "लुटेरे" के रूप में कहा था. इस पर देवगन के खिलाफ राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना में सात एफआईआर दर्ज की गई थीं.

बाद में अमीश देवगन ने टीवी प्रोग्राम में माफ़ी मांगने के अलावा 16-17 जून को ट्विटर के ज़रिए भी इस पर अपनी सफ़ाई दी थी. देवगन की याचिका अधिवक्ता विवेक जैन के माध्यम से दायर की गई थी. जिसमें इन एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी. इस पर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है.

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