लखीमपुर खीरी: पारिवारिक विवाद में तीन साल की मासूम की रेप के बाद हत्या!

आरोपी की पत्नी का छह साल पहले बलात्कार कर हत्या कर दी गई थी. जिसका आरोप पीड़िता के चाचा पर है.

WrittenBy:Akanksha Kumar & Nidhi Suresh
Date:
पीड़िता की मां लखीमपुर खीरी में अपने घर पर
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सितंबर के महीने की बात है. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के सिंगाही गांव में ग्रामीण अब भीषण गर्मी से राहत महसूस करने लगे थे. सविता ने अपने दो महीने की बच्ची को खाट पर लिटा दिया था. बच्ची को दोपहर की नींद में कोई खलल न पड़े और मक्खियां उसे परेशान न करें इसलिए उसे एक भूरे रंग के चादर से ढक दिया. सविता ने बच्ची की पीली रंग की ड्रेस, एक बार्बी गुड़िया, एक गद्दीदार खिलौना और एक नीले रंग का प्लास्टिक का हाथी उसके पास से हटाकर नीचे रख दिया. 'यही सब ही हैं मेरे पास उसके लिए' कहते हुए उसकी आंखो से आंसू निकलने लगे.

"क्या आप कभी अपने बेटे को नित्या के बारे में बताएंगी? ”

सविता ने कहा, "मुझे बताना होगा."

बता दें कि 3 सितंबर को सविता की बेटी नित्या की हत्या कर दी गई थी. पोस्टमार्टम में पता चला कि उसके साथ बलात्कार किया गया. दो दिन बाद नित्या के पिता की शिकायत पर पुलिस ने गांव के ही लेखराम को गिरफ्तार किया. हमने 24 सितंबर को पीड़ित परिवार से मुलाकात की. गांव में तनाव की स्थिति को देखते हुए कुछ पुलिसकर्मी उनके घर के बाहर तैनात थे.

नित्या की खोज

नित्या, 22 वर्षीय सविता और 24 वर्षीय रमेश की पहली संतान थी. जो कि उनकी शादी के चार साल बाद पैदा हुई थी. वहीं इसी साल जुलाई में सविता को दूसरी संतान के रूप में एक बेटा पैदा हुआ. इस खुशी के एक महीने बाद ही परिवार में भूचाल आ गया.

सविता उस मनहूस दिन को याद करते हुए कहती हैं, "अपने बेटे को नहलाने के बाद मैंने तेल से मालिश की थी, मैंने अपनी ननद से नित्या के लिए मूंगफली भूनने के लिए कहा था. और फिर खुद नहाने चली गई."

नित्या के पास मूंगफली थीं और वह आंगन में खेल रही थी. वह आखिरी समय था जब उसकी मां ने नित्या को जिंदा देखा. सविता ने कहा "किसी को नहीं पता कि वह कहां गायब हो गई. हमें सुबह 10 बजे उसके गायब होने का महसूस हुआ तब हमने उसकी तलाश शुरू की."

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नित्या के कपड़े और खिलौने

अगले 12 घंटे तक रमेश और सविता ने अपनी बच्ची की तलाश की. इस दौरान सविता ने घर का कोना-कोना तलाशा तो वहीं रमेश ने गांव के लोगों की मदद से गांव में और आस-पास खोजा. रमेश ने कहा, "बच्ची की तलाश में हमने एक मंदिर से भी घोषणा कर दी थी." रमेश खेती करते हैं और भेड़ों को पालते हैं.

रमेश ने बताया कि, "अगले दिन सुबह 11 बजे नित्या को एक गन्ने के खेत में मृत पाया गया. उसके दांत काले पड़ गए थे. उसने जांघिया और सैंडल पहने हुए थे." नित्या की मां सविता ने बताया कि, "उसकी आंखें बाहर निकल रही थीं और उसके चेहरे पर खून लगा था." इसके बाद रमेश पुलिस स्टेशन गए जहां उन्होंने बेटी की हत्या और सबूत मिटाने की धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई.

सविता ने कहा कि, "जब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई तब तक उसके परिवार ने एक बार भी नहीं सोचा था कि बच्ची के साथ बलात्कार हु्आ है. शुरुआत में सिर्फ यही लगा कि उसे मारा गया है. लेकिन मेडिकल परीक्षण के बाद ही पता चला कि वास्तव में उसके साथ हुआ क्या है. लखीमपुर खीरी के जिला अस्पताल में 3 सितंबर की देर रात को नित्या का पोस्टमार्टम हुआ था. जिसके बाद यह खुलासा हुआ.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, नित्या के जननांग और उसके आस-पास के हिस्से को घायल कर दिया था. उसका हाइमन फटा हुआ था और योनि में खून के क्लॉट थे. यही नहीं नित्या के फेस, गर्दन, छाती, बाई कोहनी, बाई जांघ और उसके नितंब पर भी घाव थे.

सिंगाही पुलिस स्टेशन में जांच अधिकारी प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि, "पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद जब पता चला कि लड़की के साथ बलात्कार हुआ है तो उन्होंने एफआईआर में बलात्कार की धाराओं को जोड़ा. "उन्होंने बताया कि, "पीड़िता के पिता की शिकायत पर लेखराम को गिरफ्तार कर लिया गया था. पूछताछ के दौरान आरोपी ने अपना जुर्म भी कबूल कर लिया है."

नित्या के परिवार को पुलिस सुरक्षा क्यों दी गई इस पर अधिकारी ने कहा. "2014 में आरोपी की पत्नी की हत्या पीड़ित परिवार के किसी व्यक्ति ने कर दी थी इसलिए उन्हें लगता है कि उन्हें झूठा फंसाया जा रहा है. इसके चलते तनाव की स्थिति पैदा न हो पीड़ित परिवार को सुरक्षा प्रदान की गई है."

यह पूछने पर कि लेखराम पर शक क्यों गया? इस पर रमेश कहते हैं, "जब बच्ची लापता हुई तो गांव में लेखराम को छोड़कर सभी बच्ची की तलाश में जुटे थे. तभी से इस बात का शक हुआ और हमने इसकी जानकारी पुलिस को दी.

पीड़िता के पिता गन्ने के खेत में जहां नित्या का शव मिला था

क्या यह झूठे आरोप हैं?

40 वर्षीय लेखराम उनके भाई सतनाम गौतम अपनी मां और लेखराम के दो बच्चों के साथ एक ही घर में रहते हैं. लेखराम और सतनाम दोनों दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं. वह गांव में ही गन्ने के खेतों में भी काम करते हैं जिससे वह 250 रुपए प्रतिदिन कमाते हैं. वहीं जब वह पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में काम करने जाते हैं तो प्रतिदिन 500 रुपए कमाते हैं. लेखराम को मनरेगा में काम पाने के लिए भी पंजीकृत किया गया है.

जब हम गांव पहुंचे तो ग्रामीणों को लेखराम के घर पर इकट्ठा किया गया था. जो कि लेखराम का बचाव कर रहे थे. इस दौरान कुछ गांव वालों ने कहा यह झूठा आरोप है. यह परिवार कुछ समय से लेखराम को फंसाने की कोशिश कर रहा था. लेकिन यह भी गलत है कि उनकी बेटी की हत्या हो गई. लेखराम और रमेश के परिवारों के बीच पिछले छह सालों से विवाद चल रहा है. यह विवाद तब से चल रहा है जब रमेश के भाई आकाश को लेखराम की पत्नी की हत्या और बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

इस दौरान लेखराम के भाई सतनाम एक बयान की कॉपी दिखाते हैं जो लेखराम ने 21 जुलाई 2014 को पुलिस को दिया था. इसमें दावा किया गया है कि 16 जुलाई की रात 10 बजे लेखराम की 30 वर्षीय पत्नी रामपा देवी को आकाश पास के एक गन्ने के खेत में ले गया था. कुछ दिनों बाद उसका शव एक पड़ोसी को मिला. उसका शव बुरी तरह से सड़ चुका था. बयान में कहा गया कि आकाश ने उसकी हत्या कर शव को खेत में फेंक दिया था.

2014 में पुलिस को दिया गया बयान

सतनाम ने आरोप लगाते हुए कहा, "आकाश जब जेल से बेल लेकर बाहर आया तो उसने और उसके भाई ने लेखराम को कई झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश की."

नित्या के बलात्कार और हत्या के मामले में लेखराम को गिरफ्तार किए जाने के तीन दिन बाद सतनाम ने उत्तर प्रदेश के पुलिस प्रमुख को पत्र लिखा कि उनके भाई को गलत तरीके से फंसाया गया है. सतनाम ने आरोप लगाया कि जब आकाश रिहा होकर बाहर आया तब उसने लेखराम पर दबाव बनाने की कोशिश की थी कि वह उससे फैसला कर ले. लेकिन लेखराम ने ऐसा नहीं किया. इसके बाद आकाश ने खुद को एक ब्लेड से बुरी तरह से घायल कर लिया था, जिसके बाद उसने ऐसा कर लेखराम के खिलाफ एक फर्जी शिकायत दर्ज कराई थी. ताकि वह उसे फंसा सके. हालांकि एक जांच के बाद उसकी शिकायत झूठी साबित हुई. इसके बाद उसने लेखराम पर अपनी बहन के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाने की कोशिश की लेकिन जांच में वह शिकायत भी झूठी साबित हुई. वहीं अब सतनाम ने पत्र में दावा किया है कि आकाश और रमेश नित्या के बलात्कार और हत्या का भी झूठा आरोप लगा रहे हैं.

सतनाम ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि, "जब नित्या के साथ यह घटना हुई तब उसका भाई घर पर था. वह खुद दवाई लेने गया था और उसे रास्ते में नित्या के लापता होने की जानाकारी मिली थी" उसने बताया कि, "उस दिन बहुत बारिश भी हुई थी. जब अगले दिन लड़की का शव मिला तब रमेश ने मीडिया के सामने लेखराम का नाम लिया. लेकिन अगर उन्होंने लेखराम को नित्या को ले जाते हुए देखा था तो उन्होंने उसी दिन उसका नाम क्यों नहीं लिया?"

सतनाम ने कहा कि, "जब शव बरामद हुआ तब लेखराम बैंक गए थे. कुछ समय बाद पुलिस ने घर पर आकर पूछताछ की और फिर उन्हें थाने आने को कहा. पुलिस ने हमे और हमारे सभी रिश्तेदारों को धमकी दी कि अगर हमने विरोध किया तो हमें गिरफ्तार कर लिया जाएगा. इसके बाद उन्हें थाने ले जाया गया. लेकिन स्टेशन के रास्ते पर अचानक रोककर हमें पुलिस ने 200 रुपए दिए और कहा कि हम किसी वाहन से अपने घर चले जाएं. सतनाम ने आगे कहा कि उन्हें भी साथ ले जाएं. लेकिन पुलिस ने उन्हें उतरने के लिए मजबूर किया और फिर अचानक लेखराम को पीछे से पैर में गोली मार दी और फिर उसे काफी दूर ले गए."

जब जांच अधिकारी से यह सब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, "नित्या के पिता ने हमें बताया था कि उसने लेखराम को बच्ची को ले जाते हुए देखा था. हमने उसे पास के गांव निंगासन से गिरफ्तार किया है. इस दौरान आरोपी ने हमें देखकर भागने की कोशिश की जिसके बाद हमने उसके पैर में गोली मार दी फिर उसे गिरफ्तार किया गया."

अधिकारी ने बताया कि, "लेखराम की गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए सतनाम ने 50-60 ग्रामीणों के साथ मिलकर 12 से 14 सितंबर तक धरना प्रदर्शन भी किया." सतनाम ने बताया कि, "पुलिस ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले हर ग्रामीण को धमकी दी है." सतनाम ने 7 सितंबर को स्थानीय भाजपा सांसद अजय कुमार मिश्रा को एक पत्र लिखकर सीबीआई जांच करने की मांग की है.

लेखराम की गिरफ्तारी के बाद ग्रामीणों द्वारा किए गए प्रदर्शन की खबर दिखाता सतनाम

क्या है सच्चाई

जब रमेश से लेखराम के परिवार के साथ पुराने विवाद को लेकर पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि, "उनके भाई द्वारा पुलिस में झूठा आरोप लगाया गया था. पहले यह मामला आस-पास के खेतों से चारा लेने से संबंधित था लेकिन बाद में लेखराम की पत्नी की हत्या का दोष उन्होंने मेरे भाई आकाश पर डाल दिया. वैसे भी यह विवाद लेखराम और मेरे भाई के बीच था. इसमें मैं शामिल नहीं था, फिर भी मेरे बच्चे को मार दिया गया."

रमेश का परिवार पाल जाति का है जबकि लेखराम गौतम समुदाय से है. रमेश ने कहा, "वे नीची जाति के हैं और वे इस गांव में अधिक संख्या में हैं. गौतम दलित हैं और पाल उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग में गिने जाते हैं." सतनाम ने कहा कि चमार ज्यादा संख्या में हैं. वे सभी एक साथ रहते हैं और हमसे बात करते हैं. लेकिन हम एक दूसरे के घरों में नहीं जाते हैं. उधर एक दुकान है कभी-कभी हम वहां जाते हैं."

जब हम रमेश के घर पहुंचे तो वहां कोई नहीं था. लेकिन लेखराम के घर ग्रामीणों की भीड़ थी. 14 वर्षीय लेखराम की बेटी जो कि शारीरिक रूप से अक्षम है. वह सिर्फ चुपचाप बैठकर बातचीत सुन रही थी. तभी एक ग्रामीण ने कहा, "इस गरीब लड़की को देखो यह अभी सबके लिए खाना बना रही है." एक पड़ोसी महिला कहती हैं कि, "अगर लेखराम जेल में रहेगा तो इसका भविष्य क्या होगा. इसकी शादी करना कितना मुश्किल होगा."

यह सब सुनकर लड़की रोने लगी और कहने लगी कि, "मेरे पिता को वापस भेज दो." वहीं बगल में खड़ी एक महिला ने लड़की के आंसू पोछते हुए कहा, "हम सब इसके लिए यहां हैं, हमने इस परिवार को नहीं छोड़ा है."

नित्या की चाची ने 2 नवंबर को न्यूज़लॉन्ड्री से फोन पर बताया, "नित्या की मौत के बाद से उसकी मां ठीक नहीं है. वह ठीक से खाना भी नहीं खाती है. उसे कमजोरी और हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत है. उसे एक डॉक्टर देख रहे हैं."

सतनाम ने 5 नवंबर को न्यूज़लॉन्ड्री से बताया, "उसने गिरफ्तारी के बाद से लेखराम से केवल दो बार फोन पर बात की है. साथ ही कोविड-19 के प्रोटोकॉल के चलते उससे मिलना भी नहीं हुआ है." सतनाम ने कहा कि, "उन्होंने स्थानीय पुलिस से पूछा है कि वे आरोप पत्र कब दाखिल करेंगे, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला है." साथ ही उन्होंने कहा कि, "उन्हें यकीन भी नहीं है कि यह दायर किया जाएगा." उन्होंने अभी कोई वकील भी नहीं किया है. सतनाम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी पत्र लिखकर नए सिरे से जांच शुरू करवाने की मांग की थी.

दोनों परिवारों के आरोपों पर पुलिस जांच कर रही है. नित्या की मौत का मामला अभी उलझा हुआ है. उम्मीद की जा रही है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जो बात सामने आ रही है फोरेंसिक जांच में उसकी ठीक से पुष्टी हो पाएगी. जांच अधिकारी प्रदीप कुमार सिंह ने कहा, "इसमें थोड़ा समय लग सकता है. उत्तर प्रदेश में केसों की संख्या बहुत ज्यादा है, इसलिए फोरेंसिक लैब में भी टाइम लग सकता है. इसलिए उम्मीद है कि 5-6 महीनों में फोरेंसिक रिपोर्ट मिल पाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि, "उस दिन बहुत तेज बारिश हो रही थी इसलिए बहुत सारे सबूत मिट गए थे. फिलहाल दोनों परिवार शोक में हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं."

खबर में सुरक्षा की दृष्टि से कुछ नाम बदल दिए गए हैं.

अनिल वर्मा, रिया अग्रवाल और सुकृति वत्स ने रिपोर्टिंग में सहयोग किया.

सभी तस्वीरें आकांक्षा कुमार द्वारा ली गई हैं.

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सितंबर के महीने की बात है. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के सिंगाही गांव में ग्रामीण अब भीषण गर्मी से राहत महसूस करने लगे थे. सविता ने अपने दो महीने की बच्ची को खाट पर लिटा दिया था. बच्ची को दोपहर की नींद में कोई खलल न पड़े और मक्खियां उसे परेशान न करें इसलिए उसे एक भूरे रंग के चादर से ढक दिया. सविता ने बच्ची की पीली रंग की ड्रेस, एक बार्बी गुड़िया, एक गद्दीदार खिलौना और एक नीले रंग का प्लास्टिक का हाथी उसके पास से हटाकर नीचे रख दिया. 'यही सब ही हैं मेरे पास उसके लिए' कहते हुए उसकी आंखो से आंसू निकलने लगे.

"क्या आप कभी अपने बेटे को नित्या के बारे में बताएंगी? ”

सविता ने कहा, "मुझे बताना होगा."

बता दें कि 3 सितंबर को सविता की बेटी नित्या की हत्या कर दी गई थी. पोस्टमार्टम में पता चला कि उसके साथ बलात्कार किया गया. दो दिन बाद नित्या के पिता की शिकायत पर पुलिस ने गांव के ही लेखराम को गिरफ्तार किया. हमने 24 सितंबर को पीड़ित परिवार से मुलाकात की. गांव में तनाव की स्थिति को देखते हुए कुछ पुलिसकर्मी उनके घर के बाहर तैनात थे.

नित्या की खोज

नित्या, 22 वर्षीय सविता और 24 वर्षीय रमेश की पहली संतान थी. जो कि उनकी शादी के चार साल बाद पैदा हुई थी. वहीं इसी साल जुलाई में सविता को दूसरी संतान के रूप में एक बेटा पैदा हुआ. इस खुशी के एक महीने बाद ही परिवार में भूचाल आ गया.

सविता उस मनहूस दिन को याद करते हुए कहती हैं, "अपने बेटे को नहलाने के बाद मैंने तेल से मालिश की थी, मैंने अपनी ननद से नित्या के लिए मूंगफली भूनने के लिए कहा था. और फिर खुद नहाने चली गई."

नित्या के पास मूंगफली थीं और वह आंगन में खेल रही थी. वह आखिरी समय था जब उसकी मां ने नित्या को जिंदा देखा. सविता ने कहा "किसी को नहीं पता कि वह कहां गायब हो गई. हमें सुबह 10 बजे उसके गायब होने का महसूस हुआ तब हमने उसकी तलाश शुरू की."

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अगले 12 घंटे तक रमेश और सविता ने अपनी बच्ची की तलाश की. इस दौरान सविता ने घर का कोना-कोना तलाशा तो वहीं रमेश ने गांव के लोगों की मदद से गांव में और आस-पास खोजा. रमेश ने कहा, "बच्ची की तलाश में हमने एक मंदिर से भी घोषणा कर दी थी." रमेश खेती करते हैं और भेड़ों को पालते हैं.

रमेश ने बताया कि, "अगले दिन सुबह 11 बजे नित्या को एक गन्ने के खेत में मृत पाया गया. उसके दांत काले पड़ गए थे. उसने जांघिया और सैंडल पहने हुए थे." नित्या की मां सविता ने बताया कि, "उसकी आंखें बाहर निकल रही थीं और उसके चेहरे पर खून लगा था." इसके बाद रमेश पुलिस स्टेशन गए जहां उन्होंने बेटी की हत्या और सबूत मिटाने की धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई.

सविता ने कहा कि, "जब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई तब तक उसके परिवार ने एक बार भी नहीं सोचा था कि बच्ची के साथ बलात्कार हु्आ है. शुरुआत में सिर्फ यही लगा कि उसे मारा गया है. लेकिन मेडिकल परीक्षण के बाद ही पता चला कि वास्तव में उसके साथ हुआ क्या है. लखीमपुर खीरी के जिला अस्पताल में 3 सितंबर की देर रात को नित्या का पोस्टमार्टम हुआ था. जिसके बाद यह खुलासा हुआ.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, नित्या के जननांग और उसके आस-पास के हिस्से को घायल कर दिया था. उसका हाइमन फटा हुआ था और योनि में खून के क्लॉट थे. यही नहीं नित्या के फेस, गर्दन, छाती, बाई कोहनी, बाई जांघ और उसके नितंब पर भी घाव थे.

सिंगाही पुलिस स्टेशन में जांच अधिकारी प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि, "पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद जब पता चला कि लड़की के साथ बलात्कार हुआ है तो उन्होंने एफआईआर में बलात्कार की धाराओं को जोड़ा. "उन्होंने बताया कि, "पीड़िता के पिता की शिकायत पर लेखराम को गिरफ्तार कर लिया गया था. पूछताछ के दौरान आरोपी ने अपना जुर्म भी कबूल कर लिया है."

नित्या के परिवार को पुलिस सुरक्षा क्यों दी गई इस पर अधिकारी ने कहा. "2014 में आरोपी की पत्नी की हत्या पीड़ित परिवार के किसी व्यक्ति ने कर दी थी इसलिए उन्हें लगता है कि उन्हें झूठा फंसाया जा रहा है. इसके चलते तनाव की स्थिति पैदा न हो पीड़ित परिवार को सुरक्षा प्रदान की गई है."

यह पूछने पर कि लेखराम पर शक क्यों गया? इस पर रमेश कहते हैं, "जब बच्ची लापता हुई तो गांव में लेखराम को छोड़कर सभी बच्ची की तलाश में जुटे थे. तभी से इस बात का शक हुआ और हमने इसकी जानकारी पुलिस को दी.

पीड़िता के पिता गन्ने के खेत में जहां नित्या का शव मिला था

क्या यह झूठे आरोप हैं?

40 वर्षीय लेखराम उनके भाई सतनाम गौतम अपनी मां और लेखराम के दो बच्चों के साथ एक ही घर में रहते हैं. लेखराम और सतनाम दोनों दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं. वह गांव में ही गन्ने के खेतों में भी काम करते हैं जिससे वह 250 रुपए प्रतिदिन कमाते हैं. वहीं जब वह पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में काम करने जाते हैं तो प्रतिदिन 500 रुपए कमाते हैं. लेखराम को मनरेगा में काम पाने के लिए भी पंजीकृत किया गया है.

जब हम गांव पहुंचे तो ग्रामीणों को लेखराम के घर पर इकट्ठा किया गया था. जो कि लेखराम का बचाव कर रहे थे. इस दौरान कुछ गांव वालों ने कहा यह झूठा आरोप है. यह परिवार कुछ समय से लेखराम को फंसाने की कोशिश कर रहा था. लेकिन यह भी गलत है कि उनकी बेटी की हत्या हो गई. लेखराम और रमेश के परिवारों के बीच पिछले छह सालों से विवाद चल रहा है. यह विवाद तब से चल रहा है जब रमेश के भाई आकाश को लेखराम की पत्नी की हत्या और बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

इस दौरान लेखराम के भाई सतनाम एक बयान की कॉपी दिखाते हैं जो लेखराम ने 21 जुलाई 2014 को पुलिस को दिया था. इसमें दावा किया गया है कि 16 जुलाई की रात 10 बजे लेखराम की 30 वर्षीय पत्नी रामपा देवी को आकाश पास के एक गन्ने के खेत में ले गया था. कुछ दिनों बाद उसका शव एक पड़ोसी को मिला. उसका शव बुरी तरह से सड़ चुका था. बयान में कहा गया कि आकाश ने उसकी हत्या कर शव को खेत में फेंक दिया था.

2014 में पुलिस को दिया गया बयान

सतनाम ने आरोप लगाते हुए कहा, "आकाश जब जेल से बेल लेकर बाहर आया तो उसने और उसके भाई ने लेखराम को कई झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश की."

नित्या के बलात्कार और हत्या के मामले में लेखराम को गिरफ्तार किए जाने के तीन दिन बाद सतनाम ने उत्तर प्रदेश के पुलिस प्रमुख को पत्र लिखा कि उनके भाई को गलत तरीके से फंसाया गया है. सतनाम ने आरोप लगाया कि जब आकाश रिहा होकर बाहर आया तब उसने लेखराम पर दबाव बनाने की कोशिश की थी कि वह उससे फैसला कर ले. लेकिन लेखराम ने ऐसा नहीं किया. इसके बाद आकाश ने खुद को एक ब्लेड से बुरी तरह से घायल कर लिया था, जिसके बाद उसने ऐसा कर लेखराम के खिलाफ एक फर्जी शिकायत दर्ज कराई थी. ताकि वह उसे फंसा सके. हालांकि एक जांच के बाद उसकी शिकायत झूठी साबित हुई. इसके बाद उसने लेखराम पर अपनी बहन के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाने की कोशिश की लेकिन जांच में वह शिकायत भी झूठी साबित हुई. वहीं अब सतनाम ने पत्र में दावा किया है कि आकाश और रमेश नित्या के बलात्कार और हत्या का भी झूठा आरोप लगा रहे हैं.

सतनाम ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि, "जब नित्या के साथ यह घटना हुई तब उसका भाई घर पर था. वह खुद दवाई लेने गया था और उसे रास्ते में नित्या के लापता होने की जानाकारी मिली थी" उसने बताया कि, "उस दिन बहुत बारिश भी हुई थी. जब अगले दिन लड़की का शव मिला तब रमेश ने मीडिया के सामने लेखराम का नाम लिया. लेकिन अगर उन्होंने लेखराम को नित्या को ले जाते हुए देखा था तो उन्होंने उसी दिन उसका नाम क्यों नहीं लिया?"

सतनाम ने कहा कि, "जब शव बरामद हुआ तब लेखराम बैंक गए थे. कुछ समय बाद पुलिस ने घर पर आकर पूछताछ की और फिर उन्हें थाने आने को कहा. पुलिस ने हमे और हमारे सभी रिश्तेदारों को धमकी दी कि अगर हमने विरोध किया तो हमें गिरफ्तार कर लिया जाएगा. इसके बाद उन्हें थाने ले जाया गया. लेकिन स्टेशन के रास्ते पर अचानक रोककर हमें पुलिस ने 200 रुपए दिए और कहा कि हम किसी वाहन से अपने घर चले जाएं. सतनाम ने आगे कहा कि उन्हें भी साथ ले जाएं. लेकिन पुलिस ने उन्हें उतरने के लिए मजबूर किया और फिर अचानक लेखराम को पीछे से पैर में गोली मार दी और फिर उसे काफी दूर ले गए."

जब जांच अधिकारी से यह सब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, "नित्या के पिता ने हमें बताया था कि उसने लेखराम को बच्ची को ले जाते हुए देखा था. हमने उसे पास के गांव निंगासन से गिरफ्तार किया है. इस दौरान आरोपी ने हमें देखकर भागने की कोशिश की जिसके बाद हमने उसके पैर में गोली मार दी फिर उसे गिरफ्तार किया गया."

अधिकारी ने बताया कि, "लेखराम की गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए सतनाम ने 50-60 ग्रामीणों के साथ मिलकर 12 से 14 सितंबर तक धरना प्रदर्शन भी किया." सतनाम ने बताया कि, "पुलिस ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले हर ग्रामीण को धमकी दी है." सतनाम ने 7 सितंबर को स्थानीय भाजपा सांसद अजय कुमार मिश्रा को एक पत्र लिखकर सीबीआई जांच करने की मांग की है.

लेखराम की गिरफ्तारी के बाद ग्रामीणों द्वारा किए गए प्रदर्शन की खबर दिखाता सतनाम

क्या है सच्चाई

जब रमेश से लेखराम के परिवार के साथ पुराने विवाद को लेकर पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि, "उनके भाई द्वारा पुलिस में झूठा आरोप लगाया गया था. पहले यह मामला आस-पास के खेतों से चारा लेने से संबंधित था लेकिन बाद में लेखराम की पत्नी की हत्या का दोष उन्होंने मेरे भाई आकाश पर डाल दिया. वैसे भी यह विवाद लेखराम और मेरे भाई के बीच था. इसमें मैं शामिल नहीं था, फिर भी मेरे बच्चे को मार दिया गया."

रमेश का परिवार पाल जाति का है जबकि लेखराम गौतम समुदाय से है. रमेश ने कहा, "वे नीची जाति के हैं और वे इस गांव में अधिक संख्या में हैं. गौतम दलित हैं और पाल उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग में गिने जाते हैं." सतनाम ने कहा कि चमार ज्यादा संख्या में हैं. वे सभी एक साथ रहते हैं और हमसे बात करते हैं. लेकिन हम एक दूसरे के घरों में नहीं जाते हैं. उधर एक दुकान है कभी-कभी हम वहां जाते हैं."

जब हम रमेश के घर पहुंचे तो वहां कोई नहीं था. लेकिन लेखराम के घर ग्रामीणों की भीड़ थी. 14 वर्षीय लेखराम की बेटी जो कि शारीरिक रूप से अक्षम है. वह सिर्फ चुपचाप बैठकर बातचीत सुन रही थी. तभी एक ग्रामीण ने कहा, "इस गरीब लड़की को देखो यह अभी सबके लिए खाना बना रही है." एक पड़ोसी महिला कहती हैं कि, "अगर लेखराम जेल में रहेगा तो इसका भविष्य क्या होगा. इसकी शादी करना कितना मुश्किल होगा."

यह सब सुनकर लड़की रोने लगी और कहने लगी कि, "मेरे पिता को वापस भेज दो." वहीं बगल में खड़ी एक महिला ने लड़की के आंसू पोछते हुए कहा, "हम सब इसके लिए यहां हैं, हमने इस परिवार को नहीं छोड़ा है."

नित्या की चाची ने 2 नवंबर को न्यूज़लॉन्ड्री से फोन पर बताया, "नित्या की मौत के बाद से उसकी मां ठीक नहीं है. वह ठीक से खाना भी नहीं खाती है. उसे कमजोरी और हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत है. उसे एक डॉक्टर देख रहे हैं."

सतनाम ने 5 नवंबर को न्यूज़लॉन्ड्री से बताया, "उसने गिरफ्तारी के बाद से लेखराम से केवल दो बार फोन पर बात की है. साथ ही कोविड-19 के प्रोटोकॉल के चलते उससे मिलना भी नहीं हुआ है." सतनाम ने कहा कि, "उन्होंने स्थानीय पुलिस से पूछा है कि वे आरोप पत्र कब दाखिल करेंगे, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला है." साथ ही उन्होंने कहा कि, "उन्हें यकीन भी नहीं है कि यह दायर किया जाएगा." उन्होंने अभी कोई वकील भी नहीं किया है. सतनाम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी पत्र लिखकर नए सिरे से जांच शुरू करवाने की मांग की थी.

दोनों परिवारों के आरोपों पर पुलिस जांच कर रही है. नित्या की मौत का मामला अभी उलझा हुआ है. उम्मीद की जा रही है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जो बात सामने आ रही है फोरेंसिक जांच में उसकी ठीक से पुष्टी हो पाएगी. जांच अधिकारी प्रदीप कुमार सिंह ने कहा, "इसमें थोड़ा समय लग सकता है. उत्तर प्रदेश में केसों की संख्या बहुत ज्यादा है, इसलिए फोरेंसिक लैब में भी टाइम लग सकता है. इसलिए उम्मीद है कि 5-6 महीनों में फोरेंसिक रिपोर्ट मिल पाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि, "उस दिन बहुत तेज बारिश हो रही थी इसलिए बहुत सारे सबूत मिट गए थे. फिलहाल दोनों परिवार शोक में हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं."

खबर में सुरक्षा की दृष्टि से कुछ नाम बदल दिए गए हैं.

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