जिला मजिस्ट्रेट द्वारा मानहानि मामले का संज्ञान लेने के बाद मलयाला मनोरमा के संपादकों ने उच्च न्यायालय का किया था रुख.
केरल हाईकोर्ट ने अखबार में खबर छापने को लेकर मलयाला मनोरमा के संपादकों के खिलाफ मानहानि के मामले को खारिज कर दिया है. इस दौरान कोर्ट ने कहा- प्रेस को अपनी अभिव्यक्ति के साथ किसी भी समाचार को प्रकाशित करने का अधिकार है, जब तक कि वह गलत इरादे से नहीं किया जाता है या फिर इससे सार्वजनिक हित का नुकसान नहीं होता है.
लाइव लॉ पर प्रकाशित खबर के मुताबिक, मलयाला मनोरमा द्वारा प्रकाशित विजिलेंस रिपोर्ट में शिकायतकर्ता को आरोपी के रूप में बताया गया था. जिसके बाद शिकायतकर्ता ने जिला मजिस्ट्रेट को शिकायत की थी. इस मामले में जिला मजिस्ट्रेट द्वारा मामले का संज्ञान लेने के बाद अखबार ने हाईकोर्ट का रुख किया था. बता दें कि मलयाला मनोरमा के मैनेजिंग संपादक, मुख्य संपादक और प्रकाशक के खिलाफ यह शिकायत दर्ज की गई थी.
जस्टिस पी. सोमराजन ने कहा, “धारा 499/आईपीसी के तहत पहले नियम में लोकतांत्रिक प्रणाली में एक व्यापक प्रचार और उसकी आवश्यक टिप्पणियों के साथ समाचार प्रकाशित करने का अधिकार मिला है और कभी-कभी अवमानना करने वाले विचारों को तब तक निष्फल नहीं किया जा सकता है, जब तक कि उसके खिलाफ कुछ गलत न लिखा गया हो. समाचार अगर सत्यता से जुड़ा है, जिसे सार्वजनिक सद्भावना के लिए प्रकाशित किया गया हो तो वह अवमानना की श्रेणी में नहीं आता है.”
अदालत ने आगे कहा- सभी समाचार सामग्री को प्रकाशित करना चौथे स्तम्भ का कर्तव्य है, विशेष रूप से सार्वजनिक महत्व के मामले में और यह उनका कर्तव्य है कि वे समाचार आइटम पर टिप्पणी करें ताकि समाज को सतर्क कर सकें. यह सेक्शन 499 आईपीसी से जुड़े पहले अपवाद के तहत आता है.
केरल हाईकोर्ट ने अखबार में खबर छापने को लेकर मलयाला मनोरमा के संपादकों के खिलाफ मानहानि के मामले को खारिज कर दिया है. इस दौरान कोर्ट ने कहा- प्रेस को अपनी अभिव्यक्ति के साथ किसी भी समाचार को प्रकाशित करने का अधिकार है, जब तक कि वह गलत इरादे से नहीं किया जाता है या फिर इससे सार्वजनिक हित का नुकसान नहीं होता है.
लाइव लॉ पर प्रकाशित खबर के मुताबिक, मलयाला मनोरमा द्वारा प्रकाशित विजिलेंस रिपोर्ट में शिकायतकर्ता को आरोपी के रूप में बताया गया था. जिसके बाद शिकायतकर्ता ने जिला मजिस्ट्रेट को शिकायत की थी. इस मामले में जिला मजिस्ट्रेट द्वारा मामले का संज्ञान लेने के बाद अखबार ने हाईकोर्ट का रुख किया था. बता दें कि मलयाला मनोरमा के मैनेजिंग संपादक, मुख्य संपादक और प्रकाशक के खिलाफ यह शिकायत दर्ज की गई थी.
जस्टिस पी. सोमराजन ने कहा, “धारा 499/आईपीसी के तहत पहले नियम में लोकतांत्रिक प्रणाली में एक व्यापक प्रचार और उसकी आवश्यक टिप्पणियों के साथ समाचार प्रकाशित करने का अधिकार मिला है और कभी-कभी अवमानना करने वाले विचारों को तब तक निष्फल नहीं किया जा सकता है, जब तक कि उसके खिलाफ कुछ गलत न लिखा गया हो. समाचार अगर सत्यता से जुड़ा है, जिसे सार्वजनिक सद्भावना के लिए प्रकाशित किया गया हो तो वह अवमानना की श्रेणी में नहीं आता है.”
अदालत ने आगे कहा- सभी समाचार सामग्री को प्रकाशित करना चौथे स्तम्भ का कर्तव्य है, विशेष रूप से सार्वजनिक महत्व के मामले में और यह उनका कर्तव्य है कि वे समाचार आइटम पर टिप्पणी करें ताकि समाज को सतर्क कर सकें. यह सेक्शन 499 आईपीसी से जुड़े पहले अपवाद के तहत आता है.