जस्टिस डब्लू डिंगडोह ने याचिका रद्द करते हुए कहा, यह फेसबुक पोस्ट मेघालय में आदिवासियों और गैर आदिवासियों के सौहार्दपूर्ण संबंधों के बीच दरार पैदा करने वाला है.
मेघालय हाईकोर्ट ने गुरुवार को शिलांग टाइम्स की एडिटर और वरिष्ठ पत्रकार पेट्रीसिया मुखीम की पुलिस द्वारा दर्ज आपराधिक केस को रद्द करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया.
पेट्रीसिया के खिलाफ यह केस उनके एक फेसबुक पोस्ट पर दर्ज किया गया है. इस पोस्ट में उन्होंने लॉसहटून के बॉस्केटबॉल कोर्ट में आदिवासी और गैर-आदिवासी युवाओं के बीच झड़प का जिक्र करते हुए लिखा था कि, मेघालय में गैर-आदिवासियों पर यहां लगातार हमला जारी है, जिनके हमलावरों को 1979 से कभी गिरफ्तार नहीं किया गया जिसके परिणामस्वरूप मेघालय लंबे समय तक विफल राज्य रहा.
लाइव लॉ के अनुसार, इस फेसबुक पोस्ट के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई थी. जिस पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए पत्रकार के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर उन्हें पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन आने को कहा.
इस नोटिस के खिलाफ पेट्रीसिया ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस केस को रद्द करने की मांग की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस डब्लू डिंगडोह ने कहा, यह पोस्ट मेघालय में आदिवासियों और गैर आदिवासियों के सौहार्दपूर्ण संबंधों के बीच दरार पैदा करने वाला है. इसलिए याचिका को रद्द किया जाता है.
बता दें कि पिछले साल सितंबर में छपे एक लेख को लेकर मेघालय हाईकोर्ट ने ‘शिलांग टाइम्स’ अखबार की एडिटर पैट्रीसिया मुखीम और पब्लिशर शोभा चौधरी को कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराया था. इस लेख में एक रिटायर्ड जज और उनके परिवार को सुविधा दिलाने के कोर्ट के आदेश के बारे में लिखा गया था.
कोर्ट ने दोनो पत्रकारों पर दो लाख रुपए का जुर्माना और कोर्ट में सुनवाई खत्म ना हो जाने तक कोर्ट में बैठने का आदेश दिया था. साथ ही कोर्ट ने कहा था कि एक हफ्ते में जुर्माना न देने पर दोनों पत्रकारों को छह महीने जेल की सजा भुगतनी होगी और अखबार पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा.
हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी थी और मेघालय हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी कर इस पूरे मामले पर जवाब भी मांगा था.