आदर्श नगर मर्डर केस में पुलिस की जांच पर परिजनों ने खड़े किए सवाल

आदर्श नगर मर्डर केस में मृतक राहुल के परिजन दिल्ली पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि पुलिस जानबूझकर मामले को हल्का कर रही है.

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सोमवार 12 अक्टूबर को लगभग पांच बजे जब हम आदर्श नगर के मूलचंद मोहल्ले में स्थित मृतक राहुल राजपूत के घर पहुंचे तो वहां पहले से ही ‘करणी सेना’ के लोग आए हुए थे. वो राहुल के सामने वाले घर में उसके पापा संजय को घेरकर बैठे थे. उनमें से गले में भगवा गमछा डाले एक व्यक्ति सोशल मीडिया के जरिए इस केस में न्याय दिलाने की बात जोर-जोर से कर रहा था, और लोगों से वीडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर करने के लिए भी कह रहा था. हम जाकर राहुल के घर के बाहर स्थित उसी बैठक मे बैठ गए जहां वह बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था और घटना वाले दिन यहीं से उठकर बाहर गया था.

बैठक में उसकी किताबें और उसकी कोचिंग का बोर्ड रखा हुआ था. परिजनों के मुताबिक, राहुल दिल्ली यूनिवर्सिटी में ओपन से पढ़ाई करने के साथ ही आस-पास के बच्चों को अपनी इसी बैठक में फ्री कोचिंग भी देता था. वह आगे यूपीएससी की तैयारी करना चाहता था.

उत्तरी पश्चिमी दिल्ली के आदर्श नगर में बीती 7 अक्टूबर को 18 वर्षीय राहुल की कथित तौर पर दूसरे समुदाय की युवती के साथ दोस्ती के चलते हत्या कर दी थी. लड़की के परिजनों पर राहुल की पीट पीटकर हत्या करने का आरोप है. इस मामले में उस लड़की के भाई मोहम्मद राज, मनवर हुसैन और तीन नाबालिगों को गिरफ्तार किया है. ये सभी जहांगीरपुरी के निवासी हैं. मृतक राहुल के परिजन इस मामले में पुलिस की लापरवाही के साथ ही अब केस को हल्का करने का आरोप भी लगा रहे हैं.

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घटना के पांच दिन बाद यहां हमें स्थिति सामान्य नजर आई लेकिन एहतियात के तौर पर चारों तरफ भारी पुलिस बल की तैनाती की गई थी. यह घटना बुधवार 7 अक्टूबर को शाम राहुल के घर के पास ही स्थित नंदा रोड पर हुई थी. जब कुछ लड़कों ने उसे ट्यूशन पढ़ाने के नाम पर घर से बुलाया था और उसके साथ मारपीट की थी, जिसकी बाद में इलाज के दौरान मौत हो गई. इसके बाद कुछ लोगों ने इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश भी की. लेकिन इस घटना के पीछे धार्मिक वजह नहीं दिखती क्योंकि पुलिस टीम ने सोमवार को गिरफ्तार आरोपियों से जेल में पूछताछ के बाद उनकी जानकारी के आधार पर इस मारपीट में शामिल एक और आरोपी को गिरफ्तार किया है. उसका नाम शुभम भारद्वाज है. पुलिस ने शुभम को भी जहांगीरपुरी से गिरफ्तार किया है. आरोप है कि शुभम भी राहुल की पिटाई में शामिल था और वह लड़की के भाई मोहम्मद राज का दोस्त है.

डीसीपी नॉर्थ-ईस्ट विजयंता आर्या ने भी लोगों से अपील करते हुये कहा था यह सिर्फ दो परिवारों के विवाद का मामला है, इसे कोई रंग न दिया जाए. मृतक के पिता संजय ने भी लोगों से इस मामले में हिंदु-मुस्लिम करने की बजाए अपने बेटे के कातिलों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की मांग की है.

मृतक राहुल के पिता संजय राजपूत ने हमें बताया, “राहुल इसी बैठक में आस-पास के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था. घटना वाले दिन लड़की यहीं घर आई हुई थी. उसी के फोन पर उसके भाइयों ने कॉल किया कि राहुल से ट्यूशन से संबंधित कोई बात करनी है. जिस पर वे दोनों चले गए. वहां कुछ दूर ले जाकर उसके साथ मारपीट की गई, लड़की ने उसे बचाने की कोशिश की लेकिन वे मारते रहे. इस पर लड़की जब पास ही स्थित पुलिस चौकी पर गई तो उन्होंने आने से मना कर दिया. दोनों पास ही स्थित एक एनजीओ में काम करते थे. वहीं इनकी मुलाकात हुई थी. वह तो हमेशा अपने काम से काम रखता था.”

हम राहुल के पिता से बात कर ही रहे थे कि करणी सेना के लोग सामने से उठकर आए और मृतक के पिता संजय से यह कहते हुए जाने की इजाजत मांगी कि, अपने को अकेला मत समझना हम सब साथ हैं, और हम आते रहेंगे.

संजय आगे कहते हैं, “इस केस में ढील दी जा रही है. एफआईआर भी 24 घंटे बाद दर्ज की गई. पुलिस कहती रही कि पहले दाग लगा दो फिर करा देंगे. संजय सिंह कहते हैं कि अगर पुलिस ठीक से जांच नहीं कर सकती है तो हमें बता दें हम सीबीआई जांच कराएंगे. सरकार के कान पर जूं नहीं रेंग रही. कल एसएचओ यहां आकर कह रहे थे कि आज तो हम आ रहे हैं, कल आपको आना पड़ेगा. मामले को पुलिस दबाने की कोशिश कर रही है.” अंत में संजय ने कहा, “हमें हिंदू-मुस्लिम कुछ नहीं चाहिए. हमें इस केस में सिर्फ न्याय चाहिए. जो पकड़े हैं उनमें तीन नाबालिग बता दिए हम चाहते हैं कि उन्हें भी कड़ी से कड़ी सजा दी जाए, जिससे की आगे किसी और को अपना बेटा न खोना पड़े.”

हम परिजनों के इन आरोपों पर आदर्श नगर थाने के एसएचओ सुधीर कुमार से मिलने थाने पहुंचे तो वह बाहर गए हुए थे. बाद में फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने कहा, “अब आरोप तो कोई भी लगा सकता है बाकि पांचों लोगों को दो घंटे के अंदर पकड़ लिया गया था, ये ढ़ीलेपन से तो संभव नहीं था ना. और आगे भी दिन-रात टीमें काम कर रही हैं. अभी उसकी जांच चल रही है पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है बाकि 2-3 लोगों का नाम ओर सामने आ रहा है, जिनकी तलाश की जा रही है. रही बात नाबालिगों की तो उनको सजा देने का काम कोर्ट का है, हमारा काम तो उन्हें पकड़ कर कोर्ट के सामने पेश करना है. जो कानूनी प्रक्रिया है उसमें तो हम कुछ नहीं कर सकते. वह तो कोर्ट डिसाइड करेगी. बाकि जो हमारा काम है, उसमें हम कहीं से कहीं तक कोई कोताही नहीं कर रहे हैं.”

जिन आरोपियों पर हत्या का आरोप है वे पास ही स्थित जहांगीरपुरी के एच ब्लॉक के रहने वाले हैं. हमने वहां जाकर उनके परिजनों से मुलाकात की. ये सारे आरोपी आस-पास के ही रहने वाले थे और सहपाठी थे. बेहद संकरी गली और दड़बेनुमा घरों के बीच जब हम इनके यहां पहुंचे तो हमें देख कर मोहल्ले के काफी लोग जमा हो गए.

घटना में शामिल एक नाबालिग जो 10वीं में पढ़ता था उसके पिता फलों का ठेला लगाते थे लेकिन घटना के बाद से डरे हुए हैं और काम पर नहीं गए हैं. उसकी मां ने बताया कि हमें तो पता भी तब चला जब थाने से फोन आया, वरना हमें तो पता ही नहीं था. और वह तो यहां भी किसी से नहीं लड़ता झगड़ता, लेकिन दोस्ती में साथ चला गया. दो अन्य नाबालिगों की मां से भी हमारी मुलाकात हुई उन्होंने भी यही कहा. सभी लड़की के भाई से दोस्ती के कारण वहां गए थे. साथ ही वहां मौजूद सभी लोग राहुल की मौत पर भी गहरा दुख जता रहे थे. तीनों आरोपी की मां ने यही कहा, “वह भी किसी का बेटा था. हमारा तो आज न कल आ जाएगा लेकिन उनका तो इकलौता चला गया.”

अंत में हम लड़की के घर गए. बेहद छोटे एक कमरे के मकान में गुजर-बसर कर रहे परिवार से जब हम मिले तो उनकी मां से हमारी मुलाकात हुई. पीछे कमरे में बीमार पिता लेटे हुए थे. लड़की की मां कमरजहां बताती है, "ये बीमार थे तो बेटी ने लॉकडाउन के बाद एक एनजीओ में नौकरी करना शुरु कर दिया, ताकि घर को सपोर्ट कर सके. हमें उन दोनों की दोस्ती के बारे में कुछ नही पता."

कमरजहां आगे कहती है, "बेटी बीए में पढ़ती थी. मैंने तो बेटा और बेटी को पढ़ाने के चक्कर में अपनी झोपड़ी तक नहीं खरीदी. मेरी तो जिंदगी खराब हो गई. घटना के बाद से हम अपने लड़के और लड़की से नहीं मिल पाए है. बाद में पुलिस हमारे घर आई और आधार कार्ड समेत अन्य कागजात ले गई. पुलिस ने कहा आपकी लड़की सुरक्षित है और नारी निकेतन में है और लड़का जेल में है."

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