मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक समेत तीन चैनलों पर लगाया पैसे देकर टीआरपी बढ़ाने आरोप

पुलिस कमिश्नर ने कहा, बार्क की शिकायत पर मुंबई की क्राइम ब्रांच टीम कर रही पूरे मामले की जांच.

Article image
  • Share this article on whatsapp

टीवी मीडिया में टीआरपी की लड़ाई अपने चरम पर है, इसके साथ ही भारतीय मीडिया में टीवी चैनलों के बीच बहस भी बढ़ गई है. आए दिन रिपब्लिक टीवी और इंडिया टूडे में सोशल मीडिया पर बहस होती रही है.

इस बीच गुरूवार को मुंबई पुलिस ने टीआरपी से छेड़छाड़ करने के आरोप में रिपब्लिक टीवी समेत तीन अन्य चैनलों को पूछताछ के लिए समन भेजा है. पुलिस ने यह कार्रवाई बार्क की शिकायत पर की है.

मुंबई पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि, बार्क की शिकायत पर मुंबई की क्राइम ब्रांच टीम इस मामले की जांच कर रही है, इस जांच में पता चला हैं कि रिपब्लिक भारत, बॉक्स सिनेमा और वक्त मराठी चैनल पैसा देकर टीआरपी को मैन्युपुलेट करने का काम रहे थे.

मुंबई पुलिस ने बताया कि लोगों को अपने घरों में किसी विशेष चैनल को अपने टीवी पर लगाने के लिए करीब 400-500 रूपए हर महीने दिए जाते थे. परमवीर सिंह ने कहा कि पुलिस कमिश्नर ने कहा कि चैनलों के ज़िम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा कि जांच के अनुसार जिसको भी बुलाने या पूछताछ की ज़रूरत होगी उसके हिसाब से कार्रवाई होगी चाहे वो चैनल का कितना भी बड़ा अधिकारी क्यों न हो. उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की जांच संयुक्त आयुक्त लेवल के एक अफ़सर के नेतृत्व में की जा रही है.

पुलिस ने बताया बार्क ने देश भर में 3000 से ज्यादा पैरामीटर्स और मुंबई में तकरीबन 2000 पैरामीटर्स के मेंटेनेंस का जिम्मा हंसा नामक एक एजेंसी को दिया था, जो टीआरपी के साथ छेड़छाड़ कर रही थी.

इस कॉन्फ्रेंस पर राहुल कंवल ने तीन ट्वीट किए, जिसमें उन्होंने रिपब्लिक टीवी के पत्रकार अर्णब गोस्वामी का नाम लेते हुए लिखा कि, “मेरा मानना ​​है कि अर्नब गोस्वामी एक निष्पक्ष सुनवाई के हकदार हैं और मुंबई पुलिस को यह प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं बल्कि अदालत में इन आरोपों को साबित करने की जरूरत है. सबूतों का वजन सबसे ज्यादा मायने रखता है. आपका दृष्टिकोण या पूर्वाग्रह कोई मायने नहीं रखता है. मायने रखता हैं तो सिर्फ सबूत.

subscription-appeal-image

Support Independent Media

The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.

Contribute

प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद इंडिया टूडे ग्रुप ने ट्वीट करते हुए लिखा, “ रिपब्लिक टीवी के टीआरपी फ्राड का भंडाफोड़, मुबंई पुलिस ने अर्णब गोस्वामी से करेगी पूछताछ.

सांस ले,और सांस छोड़े… रिपब्लिक टीवी

वहीं इस मामले में पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने भी ट्वीट किया है. उन्होंने कहा कि " मुंबई पुलिस ने फर्जी टीआरपी रैकेट का भंडाफोड़ किया है. इसमें रिपब्लिक टीवी, लोकल मराठी चैनल और एक फिल्मी चैनल हैं. पुलिस ने इनपर लोगों को पैसे देकर रेटिंग में हेरफेर करने का आरोप लगाया है. इनमें दो मालिकों को गिरफ्तार कर लिया गया है. जबकि तीसरे को तलब किया गया है."

इस पूरे मामले पर रिपब्लिक टीवी ने कहा, पुलिस कमिश्नर गलत और झूठे आरोप लगा रही है. अर्णब गोस्वामी ने कहा कि परमवीर सुशांत के मामले में संदेह के घेरे में है इसलिए वो बौखलाए हुए हैं.

अर्नब ने आगे कहा, क्या सुशांत के लिए लड़ना गलती है मेरी? पहले भी हम लड़े हैं और आज भी हम लड़ेंगे और जीतेंगे. परमबीर सिंह झूठ बोल रहे हैं, रिपब्लिक टीवी मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराएगा.

गौरतलब हैं कि बुधवार को एक कार्यक्रम में सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था, टीआरपी की लड़ाई में टीवी मीडिया अपनी विश्वसनीयता खो रहा है. उन्होंने कहा, पिछले दो महीनों में टीवी मीडिया की रिपोर्टिंग का स्तर नीचे गिर रहा है. हालांकि उन्होने कहा कि, सरकार मीडिया की आजादी में विश्वास रखती है.

उन्होंने कहा, पहले पीत पत्रकारिता ऐसा एक शब्द होता था. फिर पेड न्यूज, फिर फेक न्यूज हुआ. अब टीआरपी पत्रकारिता हो गई है.

Also see
article imageटीआरपी की लालसा और पत्रकारिता की कब्र के बीच पुल बनाता न्यूज़ नेशन
article imageएक दिन रिया चक्रवर्ती के घर के बाहर: बार-बार उठी टेलीविज़न पत्रकारिता की अर्थी
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like