राष्ट्रीय सवर्ण परिषद के नेता के वायरल होते वीडियो का संज्ञान लेते हुए हाथरस पुलिस ने दर्ज किया केस.
उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित लड़की की मौत के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए घटना को ‘शॉकिंग’ बताया. साथ ही कोर्ट ने उत्तर प्रदेश शासन को नोटिस जारी करते हुए मामले में जवाब देने को कहा.
हाथरस मामले में राजनीतिक पार्टियों के जाने से जहां मामला राजनीतिक हो गया हैं, वहीं यह सवर्ण और दलित बनाम भी हो गया है. पुलिस पर इस मामले में एकतरफा कार्रवाई का भी आरोप लग रहा है, क्योंकि जिस दिन उत्तर प्रदेश पुलिस आरएलडी के नेता जयंत चौधरी और उनके कार्यकर्ताओं पर लाठी बरसा रही थी, तो वहीं दूसरी तरफ पीड़िता के गांव के अंदर सवर्ण वर्ग के नेता इस मामले में पंचायत बुलाकर बैठक कर रहे थे.
इस सब के बीच एक वीडियो बहुत वायरल हो रहा है जिसमें दो नेता, पुलिस के सामने भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद को धमकी देते हुए नजर आ रहे हैं. इस नेता का नाम है पंकज धबरैय्या जो राष्ट्रीय सवर्ण परिषद के राष्ट्रीय प्रचारक हैं. ‘सवर्ण जागो’ बैठक को संबोधित करने के बाद इस नेता ने चंद्रशेखर को, देख लेने की धमकी दी.
चार अक्टूबर के इस वीडियो को सोशल मीडिया पर बहुत से लोगों ने शेयर करते हुए सवाल किया कि, कैसे कोई व्यक्ति पुलिस के सामने इस प्रकार से धमकी दे सकता है. वीडियो में दिख रहे नेता, “सवर्ण जागो की बात करते हुए कहते है, यह (चंद्रशेखर) इसको पुलिस जांच पर भरोसा नहीं है, इसको सीबीआई पर भी भरोसा नहीं है.. एक बार मुलाकात कर हम उसे भरोसा दिलाएंगे.”
धमकी के इस वीडियो को रीट्वीट करते हुए अतुल चौरसिया ने लिखा, “जोगीजी का रामराज्य, जहां पुलिस की मौजूदगी में ठाकुर #Hathras पीड़ित को धमकी दे रहा है, 144 का उल्लंघन कर ‘धमकी सभा’ कर रहा है. @Uppolice के लिए एक ही ‘ज़मीर और इक़बाल’, दो सबसे बड़ी चीज़ है पुलिस के लिए. तो बिगाड़ के डर से क्या ईमान की बात न करोगे.”
अतुल के इस ट्वीट पर हाथरस पुलिस ने जवाब देते हुए कहा, इस मामले में चंदपा थाने में केस दर्ज कर लिया है. हाथरस पुलिस ने ट्वीट करते हुए लिखा, “उक्त प्रकरण में थाना चंदपा पर सम्बंधित के विरुद्ध सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर पुलिस द्वारा आवश्यक वैधानिक कार्यवाही की जा रही है”.
गौरतलब हैं कि सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई में उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा, उन्होंने सीबीआई जांच की सिफारिश की हुई है. सुप्रीम कोर्ट खुद मामले की निगरानी करे और मामले की जांच सीबीआई के हवाले कर दे ताकि सच्चाई सामने आ सके.