कश्मीर टाइम्स की एडिटर अनुराधा भसीन को आवंटित फ्लैट में पूर्व एमएलसी के भाई ने जबरन घुसकर तोड़फोड की.
जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने के कई महीनों बाद तक, प्रदेश में इंटरनेट और फोन सेवा की बहाली नहीं की गई थी. लगभग ब्लॉक हो चुके सूचना माध्यमों को फिर से शुरू करवाने को लेकर ‘कश्मीर टाइम्स’ की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसपर कोर्ट ने कोई फैसला तो नहीं सुनाया था, लेकिन उसके बाद से इंटरनेट की बहाली सरकार ने करना शुरू कर दिया था.
उन्हीं अनुराधा भसीन ने फेसबुक के द्वारा एक पोस्ट लिखकर जम्मू कश्मीर की पूर्व एमएलसी शहनाज़ गनाई के भाई, डॉ इमरान गनाई पर उनके घर में जबरन घुसने, चोरी करने और तोड़फोड़ का आरोप लगाया है. उन्हें लिखा यह संपदा विभाग और कुछ पुलिस कर्मियों की मिलीभगत से की गई है.
भसीन ने लिखा, वज़रात रोड पर स्थित यह फ्लैट सरकार ने उन्हें साल 2000 में आवंटित किया था. लेकिन अचानक से इमरान गनाई वहां कुछ गुंड़ो के साथ आए और मेरे घर का समान फेंकने लगे. इस दौरान जब मैंने उनका फोटो खींचने करने की कोशिश की तो, उन्होंने अपना चेहरा छिपा लिया.
भसीन आगे लिखती हैं कि, जब उन्होंने पीर मीठा पुलिस स्टेशन के एसएचओ को बुलाया तो, वह लोग भाग गए. जब मैने एसएचओ को कहा कि वह घर में घुसकर एक बार देख लें कि कैसे उन्होंने मेरे घर का समान लूटा, जिसमें मेरी तस्वीरें और किताबें भी शामिल थी, तो उन्होंने मेरी शिकायत टालने की कोशिश की और इमरान गनाई का पक्ष लेते हुए कहा कि उन्हीं को यह घर अधिकृत रूप से आवंटित किया गया है.
हालांकि कुछ देर बाद, जब मेरे वकील आए तो उन्होंने पुलिस स्टेशन में एक औपचारिक शिकायत दर्ज करने के लिए सहमति व्यक्त की और खुद के लिए चीजों को देखने के लिए घर का दौरा किया.
अनुराधा ने सवाल पूछते हुए लिखा, हाल के कुछ वर्षों में शहनाज़ गनाई और उनके परिवार के सदस्यों को इलाके में पांच से अधिक फ्लैट आवंटित किए गए है. लेकिन किस आधार पर? क्या पिछले मामले भी इसी तरह के गैरकानूनी अत्याचार और चोरी के थे?
क्या अनुमान के कारण लोगों को बिना कारण बताओ नोटिस दिए, पिछले आवंटियों को सूचित किए बिना अपने सामान को हटाने के लिए फ्लैट को किसी अन्य को आवंटित कर सकते है. संपदा विभाग ऐसे कर चोरी को बढ़ावा दे रहा है. वहीं पुलिस विभाग के कुछ अधिकारी स्वेच्छा से इस पर आंखें मूंदें हुए है.
अनुराधा ने अपने पोस्ट के आखिर में जम्मू कश्मीर सरकार, जम्मू कश्मीर शिकायत सेल और शहनाज़ गनाई को टैग भी किया.