हत्या या आत्महत्या: थाने में हुई मौत पर परिजनों ने किया हंगामा

थाने में हुई मौत के हफ्ते भर बाद भी परिजनों को नहीं मिली है पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट.

Article image

सोमवार रात लगभग आठ बजे काफी खोजबीन के बाद जब हम मृतक धर्मेंद्र की बहन के उत्तरी दिल्ली के लिबासपुर गांव स्थित घर पहुंचे तो परिजन उसका तभी अंतिम संस्कार कर लौट रहे थे. घर के सामने टेंट लगा था जिसमें कुछ कुर्सियां पड़ी थीं. उन पर मोहल्ले के कुछ लोग बैठे हुए थे, जबकि रिश्तेदार वापस अपने घरों को लौट रहे थे.

धर्मेंद्र को पुलिस ने यहीं से गिरफ्तार किया था. 40 वर्षीय धर्मेंद्र रविवार 20 सितम्बर सुबह उत्तरी दिल्ली के समयपुर बादली पुलिस थाने में पुलिस बैरक में फांसी पर लटके मिले थे. उन्हें पास ही जब आंबेडकर हॉस्पिटल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. स्वरूप नगर थाने की पुलिस शनिवार को ही उसे 14 साल की बच्ची के साथ रेप के मामले में लिबासपुर स्थित उसके रिश्तेदार के घर से गिरफ्तार कर ले आई थी.

धर्मेंद्र के परिजनों का कहना है कि पुलिस उसे पैरोल संबंधित जांच की बात कह कर घर से ले गई थी. वहां ले जाकर झूठे मामले में फंसा कर उसे रात में इतना पीटा गया कि उसकी मौत हो गई. दिल्ली पुलिस का दावा इसके उलट है, वह कह रही है कि आरोपी ने फांसी लगाकर आत्महत्या की है.

मृतक धर्मेंद्र हत्या के आरोप में तिहाड़ जेल में सजायाफ्ता था और फरवरी में एक महीने की पैरोल पर बाहर आया था. लेकिन लॉकडाउन की वजह से उसकी पैरोल बढ़ा दी गई थी. जो अगले महीने खत्म हो रही थी. खबरों के मुताबिक, वह 10 साल के बच्चे से कुकर्म करने के आरोप में भी दोषी था.

धर्मेंद्र के परिजनों ने पुलिस पर हत्या का आरोप लगाकर थाने में खूब हंगामा किया. उन्होंने धर्मेंद्र को प्रताड़ित करने और उसकी हत्या करने के बाद उसे आत्महत्या का रूप देने, पुलिसकर्मियों पर बदसलूकी करने और धर्मेंद्र के बारे में जानकारी नहीं मुहैया करने का भी आरोप पुलिसकर्मियों पर लगाया. फिलहाल पुलिस अधिकारियों ने लापरवाही बरतने के आरोप में एक सिपाही को निलंबित कर मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं.

हंगामे को देखते हुए स्वरूप नगर थाना और समयपुर बदली पुलिस थाने में सुरक्षा के मद्देनजर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करना पड़ा. मृतक के अंतिम संस्कार तक लिबासपुर में भी भारी पुलिस बल तैनात था. मृतक धर्मेंद्र के भांजे नीरज ने हमें इस घटना के बारे में विस्तार से जानकारी दी. नीरज ने बताया, “शनिवार शाम छह बजे स्वरूप नगर थाने के एएसआई राम नारायण ने फोन किया कि आपके मामा धर्मेंद्र से पैरोल संबंधी पूछताछ करनी है. मामा हमारे यहीं थे तो सादी वर्दी में दो पुलिसवाले आए, जिनमें एएसआई राम नारायण भी थे. वो मामा को पकड़कर ले गए. फिर रात नौ बजे एएसआई राम नारायण ने फोन किया कि तुम्हारे मामा को रेप केस में बंद कर दिया है, इनसे आकर मिल जाओ. इसके बाद रात 11 बजे इन्होंने मामा धर्मेंद्र से बात कराई तो उन्होंने बताया कि ये मुझे मार रहे हैं जबकि मैंने कुछ गलत नहीं किया.”

नीरज आगे कहते हैं, “इस पर हम रात लगभग साढ़े ग्यारह बजे थाने गए तो हमें वहां उनसे मिलने नहीं दिया गया और एसआई प्रेमलता ने हमारे साथ बदतमीजी की. हमने जंगले से देखा तो वहां तीन चार पुलिसकर्मी धर्मेंद्र के सिर को दीवार पर पटक रहे थे. साथ ही हरे डंडे से उनकी पिटाई कर रहे थे. मामा के चिल्लाने की आवाज भी आ रही थी. इसके अलावा दो सफेद कट्टों में दारू रखी थी जो मामा को जबरदस्ती पिलाई. हमने एफआईआर मांगी तो वह भी नहीं दिखाई. और हमें वहां से भगा दिया.”

नीरज ने आगे बताया, “सुबह इनकी पत्नी कंचन और मां प्रेमवती सात बजे जब मिलने स्वरूप नगर थाने पहुंचीं तो इन्हें बताया कि वह बादली थाने में हैं. वो लोग भागकर वहां पहुंचीं तो इन्हें मिलने नहीं दिया गया. लगभग साढ़े दस बजे मुश्किल से अंदर जाकर देखा तो वह फांसी पर लटके हुए थे. इस पर इन्होंने शोर मचाया और तुरंत एसएचओ की गाड़ी में लेकर इन्हें आंबेडकर हॉस्पिटल ले गए. लेकिन वह तो यहीं खत्म हो चुके थे.”

नीरज सवाल उठाते हुए कहते हैं, “इनके पूरे शरीर पर चोट के निशान थे. और गर्दन पर रस्सी के निशान नहीं थे. जो व्यक्ति 20 साल से जेल की सजा काट रहा है वह कैसे सुसाइड कर लेगा! ये तो साफ मर्डर है. लॉकअप में चादर कहां से आई. वहां तो कंबल मिलता है. और पोस्टमार्टम तो पेट से ऊपर का होता है तो फिर ये पैर पर चोट के निशान क्यों है.”

जब हम नीरज से बात कर रहे थे तो पास बैठे अन्य लोग भी उनकी हां में हां मिलाते हुए पुलिस के रवैये पर लगातार सवाल उठा रहे थे. उनके पड़ोसी गुड्डू ने कहा, “थाने में सुरक्षा और देखभाल की जिम्मेदारी भी तो पुलिस की ही है.” “वह तो अब भी बच्चों का गुजारा करने के लिए 300 रुपए मजदूरी कर रहा था और तिहाड़ में भी उसे चार-पांच हजार तनख्वाह मिलती थी,” एक अन्य रिश्तेदार सुखपाल ने बताया.

नीरज कहते हैं, “अब प्रशासन चुप क्यों है और अगर उन्होंने फांसी लगाई तो फिर संतरी को सस्पेंड क्यों किया. हमें सात गाड़ी सुरक्षा क्यों दी गई. और अगर गलत किया तो कानून सजा देता, ये इस तरह कौन होते हैं सजा देने वाले. वह पुलिस की मार से मरे हैं. हमें इंसाफ चाहिए और जो भी लोग इसमें शामिल हैं, उन्हें सजा मिले.”

इस केस का दूसरा पक्ष और सही तस्दीक के लिए हमने स्वरूप नगर थाने में जाकर पुलिस से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने हमें कोई खास सहयोग नहीं किया. जब हम वहां पहुंचे तो थाने के आस-पास अतिरिक्त पुलिस बल तैनात था. थाने के गेट पर भी बहुत से पुलिसवाले बैठे हुए थे. गेट पर हमारी मुलाकात हेड कांस्टेबल सुभाष से हुई. उन्होंने हमसे कहा कि सारे अधिकारी समयपुर बादली पुलिस थाने में हैं, वहां मीटिंग चल रही है आप वहीं जाकर पता करो. हमने धर्मेंद्र के मामले पर बातचीत शुरू की तो उन्होंने कुछ भी बताने से साफ इंकार कर दिया और हमें थाने में घुसने से भी रोक दिया. इतना ही नहीं कांस्टेबल सुभाष ने वहां मौजूद बाकी पुलिस वालों से भी हमसे बात नहीं करने के लिए कहा. धर्मेंद्र का थाना बदलने के सवाल पर वहीं बैठे एक अन्य पुलिसकर्मी ने कहा कि यहां लॉकअप नहीं है इसलिए वहां लेकर गए थे.

आखिरकार हम वहां से निकलकर समयपुर बदली थाने पहुंचे. वहां हमें लगभग 500 मीटर दूर ही रोक दिया गया. वहां आरपीएफ और पुलिस तैनात थी. हम दूसरे रास्ते से अंदर पहुंचे और डीसीपी गौरव शर्मा से मिलने के लिए पूछा. वहां मौजूद एसओ ने बताया कि हम मीडिया को कल बयान दे चुके हैं. आप पुलिस हेडक्वार्टर से जाकर ले लें. इसके बाद हमने स्वरूप नगर एसएचओ सुभाष मीणा से मिलने की कोशिश की तो पता चला कि वह भी किसी काम से जा चुके हैं.

इस पर हमने एसएचओ सुभाष को फोन किया तो उन्होंने भी यही कहा कि मीडिया में तो ये कल ही आ चुका है. थोड़ा जोर देने पर उन्होंने संक्षिप्त जवाब देते हुए कहा, “स्वरूप नगर में इसने एक लड़की से रेप किया था. उसी सिलसिले में इसे गिरफ्तार किया गया था. उसने यहां लॉकअप में सुसाइड कर लिया.” परिजनों के आरोप पर उन्होंने कहा, “ऐसा नहीं है, वह पहले ही दो केसों में कन्विक्टेड है. पैरोल पर आया हुआ था और उसका कोई स्थायी ठिकाना भी नहीं था.”

जाहिर है परिजनों और पुलिस के अपने-अपने दावे हैं. इस मामले में धर्मेंद्र की मौत की गुत्थी उसकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से सुलझ सकती है. लेकिन घटना के एक हफ्ते बाद भी परिजनों का कहना है कि उन्हें पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं दी गई है. इसे लेकर परिजन भी चिंतिंत हैं. मृतक के भांजे नीरज ने कहा कि इतना टाइम लग गया पता नहीं क्यूं नहीं आ रही. समयपुर बादली थाने के एसआई संदीप संधू से एक अक्टूबर को जब हमने इस बारे में बात की तो उन्होंने भी यही कहा कि अभी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं आई है. अभी तो यही कह सकता हूं.

हालांकि इस बारे में जब हमने मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में बात की, जहां धर्मेंद्र का पोस्टमार्टम हुआ था तो उन्होंने बताया कि ये पोस्टमार्टम एचओडी डॉ. उपेंद्र, डॉ. धीरज और डॉ. अमनदीप कौर की टीम की निगरानी में किया गया था. जिसकी रिपोर्ट आ चुकी है. जब इंक्वारी ऑफिसर लेने आएंगे तो हम उन्हें ये सौंप देंगे, वो लेने तो आएं. बाकि इसके बारे में हम आपको और कोई जानकारी नहीं दे सकते.

हमने फिर दोबारा एसआई संदीप संधू से जब इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा ये मजिस्ट्री जांच है, पुलिस का इसमें रोल नहीं है. मजिस्ट्रेट उपासना सतीजा इसकी जांच कर रही हैं. आप उनसे बात कीजिए. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने में हो रही देरी भी इस पूरे केस की हत्या और आत्महत्या की गुत्थी को उलझा रही है.

Also see
article imageअपराध रिपोर्टिंग के अपराध: चरित्र हत्या, मीडिया ट्रायल, पुलिस प्लांट और मनोहर कहानियां?
article imageयूपी में पत्रकार की गोली मारकर हत्या, पिता ने पुलिस पर लगाया आरोप

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like