एनडीटीवी इंडिया के अलावा लगभग सभी हिंदीभाषी न्यूज़ चैनलों ने किसानों के भारतबंद को नज़रअंदाज किया.
जिस रोज देश के अलग-अलग हिस्सों में किसान कृषि कानून के विरोध में सड़कों पर थे. पंजाब और हरियाणा के कई इलाकों में दुकानें बंद थी. नाराज़ किसानों ने हाइवे को जाम कर दिया और रेलवे ट्रैक पर लोग आ जमे थे, कई जगहों पर प्रदर्शन कर रहे किसान और पुलिसकर्मी आमने-सामने आ गए तब खुद को नेशनल मीडिया कहने वाले चैनलों ने उनसे दूरी बनाए रखी. टीवी चैनलों पर दीपिका और करण जौहर छाए रहे.
चौबीसों घटने चलने वाले टेलीविजन की दुनिया में प्राइम टाइम का समय सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. अगर 25 सितंबर की शाम सात बजे से रात 9 बजे के दौरान प्रसारित प्रोग्रामों को देखे यह स्पष्ट हो जाता है कि किसानों के प्रदर्शन और उनके मुद्दों को चैनलों ने गंभीरता से नहीं लिया.
न्यूज़ 18 इंडिया
रिलायंस के स्वामित्व वाला न्यूज़ 18 इंडिया हिंदी के प्रमुख चैनलों में से एक है. शाम सात बजे इस चैनल के एंकर अमिश देवगन 'आर-पार' शो लेकर आते हैं.
अपने शो को देश की सबसे बड़ी बहस बताने वाले अमिश ने किसानों के प्रदर्शन वाले दिन ड्रग्स और दीपिका के इर्द-गिर्द शो किया. इसका पोस्ट उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर भी साझा किया. इसपर कमेंट करते हुए एक आशुतोष नाम के ट्वीटर यूजर ने लिखा, ‘‘बहुत दुःख हो रहा की हमारे देश की मीडिया कहा जा रहा है. जो वास्तविक है. किसान अपने हक़ के लिए आंदोलन कर रहा, युवा रोजगार के लिए सड़क पर चिल्ला रहा हैं. इकनॉमी गिरती जा रही हैं और मीडिया सिर्फ फिल्मी हीरो-हीरोइन के पीछे पड़ रहा हैं.’’
उसके बाद ‘सौ बात की एक’ बात लेकर आए एंकर किशोर अजवानी ने अपने कार्यक्रम में दीपिका पादुकोण और ड्रग्स को लेकर ही चर्चा की. किशोर अजवानी के शो का शीर्षक था ड्रग्स लीला के कारण 'छपाक'. इस शो में आधे घंटे तक आजवानी ड्रग्स और बॉलीवुड पर चर्चा करते रहे. आधे हिस्से में इन्होंने चीन को लेकर खबर दिखाई.
'सौ बात की एक बात' कायर्कम आठ से दस बजे तक चलता है. आठ से नौ तो कार्यक्रम दीपिका, ड्रग्स और चीन पर केंद्रित रहा लेकिन नौ बजे से जो कार्यक्रम शुरू हुआ उसमें एंकर किशोर अजवानी ने किसानों के विरोध प्रदर्शन का जिक्र ज़रूर किया. उन्होंने बिहार की राजधानी पटना, हरियाणा समेत देश के अलग-अलग हिस्सों से आई तस्वीरों का जिक्र अपने कार्यक्रम में किया.
ज़ी न्यूज़
देश हित की खबरें दिखाने का दावा करने वाले चैनल ज़ी न्यूज़ के यहां भी देश की अर्थव्यवस्था के मज़बूत स्तंभ किसानों की आवाज़ नहीं दिखी. चैनल के प्रमुख एंकर और एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी के कार्यक्रम डीएनए में किसानों के प्रदर्शन के तरीके पर चर्चा हुई. डीएनए शो में 25 सितंबर को जिन विषयों पर चर्चा उसका जिक्र सुधीर चौधरी ने अपने ट्वीटर पर साझा किया है.
बिहार के 'DIGITAL चुनाव' की DATE SHEET
मास्क, ग्लव्स, PPE किट वाला पहला चुनाव
'बंद' की 'घिसी-पिटी आदत' का DNA टेस्ट
कोरोना और धुएं का 'जानलेवा' संयोग!
क्या है आपकी खुशियों का Report Card?
अपने कार्यक्रम में सुधीर चौधरी किसानों के आंदोलन पर सवाल उठाते हुए बोले, ‘‘दो महीने लॉकडाउन में बंद रहने के बावजूद हमारे नेताओं का मन बंद से नहीं भरा है. किसानों के नाम पर देश को बंद करने की कोशिश हो रही है.’’
चौधरी ने 'भारत बंद' होने पर सवाल उठाते हुए 'बंद मुक्त भारत' हैशटैग पर दर्शकों को टवीट करने के लिए कहा. सुधीर चौधरी किसानों की समस्याओं और नाराज़गी पर बात ना करके भारत बंद पर ही चर्चा करते रहे. उन्होंने कहा, “जिस भारत को कोरोना वायरस बंद नहीं करा पाया क्या उसे क्या कुछ राजनीतिक संगठन या कुछ नेता अब बंद करा सकते हैं.” आज के भारत बंद को नकली बताते हुए कहा कि बंद के इस कॉन्सेप्ट को आज का भारत नकार चुका है. अपने कार्यक्रम में इन्होंने कुछ जगहों पर हुए प्रदर्शनों में आए लोगों को कृषि बिल की जानकरी नहीं होने के बारे में पूछते हुए बताने की कोशिश की कि प्रदर्शन किसानों का है ही नहीं.
ज़ी न्यूज़ के कार्यक्रम ताल ठोक-के में भी ड्रग्स और बॉलीवुड पर ही चर्चा हुई. कार्यक्रम में ड्रग्स और बिहार चुनाव में सुशांत मामले को लेकर भी बात हुई. वहीं कार्यक्रम के आखिरी में किसानों के आंदोलन को विपक्षी दलों की चाल बताते हुए कहा गया कि जैसे राम मंदिर और धारा 370 पर लोगों को डराया गया वैसे ही कृषि बिल पर डराया जा रहा है. एंकर कहती हैं कि कृषि बिल पर अन्नदाता को डराकर उन्हें भड़काने की कोशिश हो रही है.
कुल मिलाकर अगर हम 25 सितंबर के दिन किसानों के आंदोलन पर ज़ी न्यूज़ की कवरेज की बात करें तो वह किसानों के आंदोलन पर सवाल खड़ा करते हुए नज़र आया. किसान संगठनों ने उनकी मांगों पर सवाल पूछने जैसे कुछ नज़र नहीं आया.
आज तक
आजतक चैनल पर शाम को सबसे गर्म बहस के लिए दंगल शो जाना जाता है. जिसे रोहित सरदाना होस्ट करते हैं. किसान आंदोलन के दिन उनके बहस का विषय था ‘रैकेट’ में रकुल, दीपिका की बत्ती गुल? इस शो में उनके मेहमान अभिनेता, अभिनेत्री, नेता और पत्रकार भी थे. इस शो में सरदाना दीपिका के ड्रग कनेक्शन और एनसीबी से उनके पूछताछ को लेकर सवाल पूछ रहे थे.
इस शो के बाद अंजना ओम कश्यप का शो आया. उनके शो का नाम हैं ‘हल्ला बोल’. इस शो का शीर्षक था– ‘ड्रग्स गैंग’ की ग्रुप ‘एडमिन’ दीपिका! इस शो में उनके साथ कुल 6 मेहमान थे और 7वें मेहमान आजतक के रिपोर्टर जो मुंबई से अपडेट दे रहे थे कि करिश्मा से कितने घंटे पूछताछ हुई है.
आजतक चैनल पर इन दोनों शो के बाद न्यूज़ बुलेटिन आता है, जिसके बाद श्वेता सिंह का शो ‘खबरदार’ आता है. इस शो का पूरा वीडियो तो हमें यूट्यूब पर नहीं मिला. लेकिन शो का एक 10 सेंकेड का प्रोमो हमें मिला, जिसमें वह रात 9 बजे अपने शो में क्या बात करने वाली है उसका जिक्र उन्होंने किया.
श्वेता के शो ‘खबरदार’ का हेडलाइन था ‘रकुल और करिश्मा के बाद दीपिका के लिए एनसीबी की तैयारी कैसी है? इस हेडलाइन से साफ हैं यह शो भी बॉलीवुड के ड्रग मामले पर ही आधारित है. इस तरह से इस चैनल ने अपने तीनों महत्वपूर्ण शो में किसानों का आंदोलन गायब कर दिया.
यह तीनों ही शो चैनल के सबसे लोकप्रिय शो हैं, जिसे तीनों सीनियर एंकर होस्ट करते है, लेकिन पूरे प्राइम टाइम में चैनल ने किसानों की हड़ताल को नहीं दिखाया.
रिपब्लिक भारत
नंबर वन होने का दावा करने वाले रिपब्लिक भारत ने किसान आंदोलन को सिरे गायब कर दिया.
शाम 7 बजे रिपब्लिक भारत पर शो का आगाज होता है, जिसका नाम हैं ‘महाभारत’ उसे सुचरिता कुकरेती होस्ट करती है. आमतौर पर अपने स्टूडियो से शो करने वाली सुचरिता ने शुक्रवार का शो मुंबई के एनसीबी ऑफिस के सामने से शो किया. इस दौरान वह सुशांत सिंह की मौत की बात करती हैं. इस शो में उनके साथ 7 मेहमान जुड़े थे.
रिपब्लिक भारत के यूट्यूब चैनल पर ‘महाभारत’ के बाद ‘पूछता है भारत’ शो होता है, जिसे अर्णब गोस्वामी होस्ट करते है. अपने चिर-परचित अंदाज में शो की शुरुआत करते हुए अर्णब सुशांत सिंह मौत मामले को उठाते है. उनके शो की हेडलाइन ‘बड़ा खुलासा: सुशांत को गला दबाकर मारा गया?’ अर्णब अपने इस शो को सुपर एक्सक्लूसिव बताते हुए इस शो की शुरुआत करते हैं.
यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि यह मुद्दा महाभारत शो का भी था, जिसपर सुचरिता ने शो किया. एक बार फिर से वही मुद्दा जिस पर अर्णब शो कर रहे थे. एक मुद्दे पर दो शो, लेकिन किसानों के आंदोलन को कोई जगह नहीं. जिस शोर से वह अपने शो में चिल्ला रहे थे, शायद उनकी आवाज़ किसानों तक पहुंची लेकिन किसानों की आवाज़ उन तक नहीं पहुंच पाई.
एनडीटीवी इंडिया
तमाम चैनलों से अलग एनडीटीवी पर किसानों के प्रदर्शन और उनकी समस्याओं को काफी जगह दी गई. रात नौ बजे प्राइम टाइम में एंकर और वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने 'क्या सरकार मंडियों को खत्म करना चाहती थी?' शीर्षक से शो किया. रवीश कुमार ने अपने कार्यक्रम में बताया कि इस प्रदर्शन को पंजाब और हरियाणा का प्रदर्शन बताया जा रहा है जबकि ऐसा नहीं है. उड़ीसा, तेलांगना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में इस बिल को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं.
एनडीटीवी के कार्यक्रम देस की बात समेत ज़्यादातर कार्य्रकम किसानों के आंदोलन पर ही केंद्रित रहे.
हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि चैनलों ने एक ज़रूरी मुद्दें को छोड़कर गैरज़रूरी मुद्दे उठाए हों. ऐसा बीते कई सालों से हो रहा है.
आपात काल के दौरान भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला था. बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट के मुताबिक 6 फरवरी को दिल्ली के रामलीला मैदान में जनता पार्टी ने एक रैली का आयोजन किया था. जिसमें कांग्रेस छोड़ सारी पार्टियां शामिल हुई थीं. इससे चिंतित तत्कालीन सूचना मंत्री वीसी शुक्ल ने दूरदर्शन पर बॉबी फिल्म दिखाने की घोषणा कर दी थी. अभिनेता ऋषि कपूर की फिल्म बॉबी तब काफी चर्चा में थी. हालांकि यह लालच भी जनता को रोकने में सफल नहीं हुआ और लाखों की संख्या में लोग रामलीला मैदान पहुंचे.
भारत के टेलीविजन मीडिया में पिछले कुछ महीने से लगातार सुशांत सिंह की हत्या/आत्महत्या और बॉलीवुड के इर्द-गिर्द खबरें चल रही है. जिसके कारण कोरोना के बढ़ते मामले हो या कोरोना से लोगों की हो रही लगातार मौत हो. किसी भी मसले पर चर्चा नहीं हो रही है. टेलीविजन के साथ-साथ अख़बारों की स्थिति भी कुछ-कुछ ऐसी ही रही है.